लखनऊ : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समावेशीय सोच के आधार पर ही सबका साथ और सबका विकास विचारधारा की नींव रखी है. इसी सोच के तहत समाज के हर वर्ग के लोगों का विकास संभव हो सका है. खेलों में भी सभी को बराबर के मौके मिलने चाहिए, जिससे स्पेशल बच्चे भी सामान्य बच्चों की तरह अपनी प्रतिभा को दिखा सके. समाज के हर वर्ग को स्पेशल बच्चों को खेलों में आगे लाने के लिए हर संभव मदद करना चाहिए. इससे न केवल स्पेशल बच्चों के अंदर छिपी हुई प्रतिभा सभी के सामने आती है. बल्कि उनके परिवार को भी उनके खेल के प्रदर्शन के बल पर समाज में गौरवान्वित महसूस होने का मौका मिलता है. इन स्पेशल बच्चों में खेल के विकास को बढ़ावा देने में सबसे बड़ी बाधा इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है. जो इन स्पेशल बच्चों को उनकी तैयारी करने से रोक देता है. ऐसे बच्चों को खेलों में बढ़ावा देने और उन्हें आगे ले जाने के लिए समाज कल्याण विभाग पूरी मदद करेगा. विभाग पूरे प्रदेश में संचालित अपने 105 आवासीय विद्यालय (सर्वोदय विद्यालय) में से किन्हीं पांच विद्यालयों को इन स्पेशल बच्चों के खेल के केंद्र के रूप में विकसित करेगा.
यह बातें समाज कल्याण, अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण ने कही हैं. वह भागीदारी भवन में स्पेशल ओलंपिक भारत के उत्तर प्रदेश की नई कार्य समिति का चुनाव संपन्न व सामान्य परिषद की बैठक में बोल रहे थे. मंत्री असीम अरुण ने कहा कि स्पेशल बच्चों को खेलों में बढ़ावा देने के साथ ही उन्हें समाज के अन्य बच्चों के साथ बराबरी करने का मौका विभाग की ओर से प्रदान किया जाएगा. इसके लिए विभाग की ओर से संचालित सभी आवासीय विद्यालयों में स्पेशल बच्चों को पढ़ने की पूरी सुविधा प्रदान की जाएगी. साथ ही उनके अंदर के खेलने की प्रतिभा को भी डेवलप में मदद प्रदान किया जाएगा.
इस अवसर पर नवनिर्वाचित अध्यक्ष मुकेश शुक्ला ने कहा कि हाल ही में जर्मनी के बर्लिन में हुए स्पेशल ओलंपिक के आयोजन में भारत के 199 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया और उसमें 200 मेडल जीते. उन्होंने कहा कि तेजी से चलने वाली मेंबरशिप ड्राइव, स्पेशल बच्चों का उपयोगी स्टेशन सहित अनेक कार्यक्रमों की योजना आगामी 1 वर्षों में पूरा होंगे. पूरे उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में जिला स्तरीय इकाई बनाई जाएगी जो स्पेशल बच्चों और उनके विकास के लिए कार्य करेंगी. साथ ही स्पेशल बच्चों के लिए एक निशुल्क हेल्पलाइन नंबर प्रदेश में शुरू की जाएगी. जिसके माध्यम से इन बच्चों को प्रॉपर गाइडेंस, उनकी देखभाल व उनके लिए उपलब्ध सुविधा या व्यवस्थाओं के संदर्भ में उनके पेरेंट्स को जानकारियां उपलब्ध होंगी, इसके लिए एक पैनल बनाकर सभी तक सूचना व समाधान पहुंचाने का काम किया जाएगा.
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