लखनऊ : उत्तर प्रदेश के कृषि क्षेत्र के विकास के लिए रणनीति और रोडमैप विकसित करने के लिए 'सीजीआईएआर प्रौद्योगिकियों के हस्तक्षेप के माध्यम से किसानों की आय को बढ़ावा देने की रणनीति’ विषय पर एक उच्च-स्तरीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. कृषि अनुसंधान परिषद, लखनऊ इंटरनेशनल क्रॉप रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉरसेमी-एरिड ट्रॉपिक्स, हैदराबाद एवं भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान (आईआईएसआर), लखनऊ के तत्वावधान में भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान में आयोजित कार्यशाला में सीजीआईएआर संस्थानों के दृष्टिकोण से फसलवार विशिष्ट तकनीकी हस्तक्षेप, सीजीआईएआर संस्थानों की गतिविधियों के साथ राज्य के कृषि क्षेत्र के लाभ और राज्य सरकार द्वारा नीतिगत हस्तक्षेप के रूप में आवश्यक सीजीआईएआर संगठनों की अपेक्षाओं पर गहन चर्चा की गई.
जारी की गई विज्ञप्ति में बताया गया कि कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि 'कार्यशाला के माध्यम से कृषि सेक्टर में योगदान तथा रणनीति बनाये जाने की चर्चा की गई. कार्यशाला में उन्होंने विभिन्न राज्य कृषि विश्वविद्यालयों, भाकृअनुप संस्थानों, सीजीआईएआर संगठनों के अनुसंधान वैज्ञानिकों और प्रबंधकों से उपकार को राज्य के कृषि विकास के लिए एक रोडमैप विकसित करने में मदद करने का आग्रह किया.' उन्होंने कहा कि 'देश में कृषि क्षेत्र में उत्तर प्रदेश के अग्रणी राज्य होने के कारण, राज्य में कृषि एवं सहायक क्षेत्रों में विकास की अनंत संभावनाएं हैं.' डॉ. पंजाब सिंह, पूर्व सचिव, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग ने विशेष रूप से बहुसंख्यक लघु एवं सीमांत किसानों की स्थिरता के लिए कृषकों द्वारा अपनाने के लिए सभी तकनीकों के एक कैप्सूल को विकसित करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला. डॉ. पंजाब सिंह ने सभी शोधार्थियों से राज्य के प्रत्येक अंचल के लिए प्रौद्योगिकी के लिए कैप्सूल उपलब्ध कराने का आग्रह किया.
कृषि उत्पादन आयुक्त मनोज कुमार सिंह ने उत्तर प्रदेश में कृषि क्षेत्र की प्रमुख उपलब्धियों और प्रमुख चुनौतियों पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि 'यूपी पूरी दुनिया का कृषि का पावर हाउस है. लगभग 600 लाख टन उप्र अनाज उत्पादित करता है तथा लगभग 400 लाख टन गेहूं यूपी उत्पादित करता है. उन्होंने कहा कि हार्टीकल्चर एवं एग्रीकल्चर के 15 उत्पादकों में उत्तर प्रदेश नम्बर-1 पर है. उन्होंने प्रदेश में बीज उत्पादन तथा सूचनाओं का आदान-प्रदान किये जाने पर जोर दिया. उत्तर प्रदेश सरकार के आर्थिक सलाहकार डॉ. केवी राजू ने बताया कि 'उत्तर प्रदेश के कृषि क्षेत्र के विकास के लिए उपयुक्त रणनीति और रोडमैप तैयार करने के लिए ही इस अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया है.'
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