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बिना चीरा लगाए होगा नाक का ऑपरेशन, जानें कैसे

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Published : Jun 1, 2022, 3:04 PM IST

केजीएमयू में ईएनटी और एनॉटमी विभाग की तरफ से एंडोस्कोपी सर्जरी पर वर्कशॉप हुआ. इस दौरान डॉ. वीरेंद्र वर्मा ने कहा कि एंडोस्कोप से ईएनटी संबंधी बीमारी का इलाज आसान हो गया है. इसमें नाक के भीतर से ऑपरेशन साइनोसाइटिस संबंधी बीमारियों के ऑपरेशन संभव है.

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एंडोस्कोपी सर्जरी वर्कशॉप में शामिल हुए प्रोफेसर्स

लखनऊ: मरीज सर्दी-जुकाम की समस्या को अधिक दिन तक नजरअंदाज न करें. यह साइनोसाइटिस बीमारी भी हो सकती है. ऐसे में समय पर इलाज कराएं. बिना चीरा के ऑपरेशन सम्भव है. इससे निशान भी नहीं पड़ेगा. यह बातें केजीएमयू में मंगलवार को ईएनटी और एनॉटमी विभाग की तरफ से एंडोस्कोपी सर्जरी पर हुई कार्यशाला में डॉ. वीरेंद्र वर्मा ने बताई. उन्होंने कहा कि सर्दी-जुकाम और नाक बहने के लक्षण हमेशा सामान्य नहीं हो सकते हैं. लिहाजा समय पर इलाज कराएं.

उन्होंने बताया कि एलर्जी की वजह से नाक के भीतर रुकावट आ जाती है. इससे भी मरीज को सांस संबंधी दूसरी परेशानी हो सकती है. बार-बार छींक आने जैसी दिक्कत हो सकती है. उन्होंने आगे बताया कि एंडोस्कोप से ईएनटी संबंधी बीमारी का इलाज आसान हो गया है. इसमें नाक के भीतर से ऑपरेशन साइनोसाइटिस संबंधी बीमारियों के ऑपरेशन संभव है. इससे मरीज को चेहरे और नाक पर निशान भी नहीं पड़ते हैं.

डॉ. वीरेंद्र वर्मा ने ने बताया कि अब महीन सुराख कर बड़े ऑपरेशन संभव हो गए हैं. लेप्रोस्कोपिक ऑपरेशन से मरीज को तमाम तरह के खतरों से निजात मिल गई है और संक्रमण का भी खतरा 90 फीसदी तक कम हो गया है.

यह भी पढ़ें: राजधानी में पालतू जानवरों का रजिस्ट्रेशन नहीं कराया तो आज से जुर्माना शुरू, इन नंबरों पर करें शिकायत

वहीं, लोहिया संस्थान में मंगलवार को लेप्रोस्कोपिक सर्जरी दिवस पर मिनिमल एक्सेस सर्जरी कार्यक्रम हुआ. कार्यशाला में डॉ. सोनिया नित्यानंद ने कहा कि लैप्रोस्कोपिक तकनीक से की जाने वाले ऑपरेशन मरीज की सेहत के लिए फायदेमंद हैं. इसमें मरीज को छोटा चीरा लगाने की जरूरत पड़ती है. ऑपरेशन के बाद घाव जल्द ठीक हो जाते हैं. मरीज को संक्रमण की आशंका कम रहती है. उन्होंने कहा कि संस्थान में मोटे लोगों के लिए अलग से क्लीनिक का संचालन शुरू किया है. इसमें नियमित मरीज देखे जाएंगे.

एनेस्थीसिया विभाग के अध्यक्ष और पूर्व निदेशक डॉ. दीपक मालवीय ने कहा कि अब 70 से 80 फीसदी लेप्रोस्कोपी विधि से किए जा सकते हैं. यह अधिक सुरक्षित है. ऑपरेशन के दौरान रक्तस्राव कम होता है. ऑपरेशन से पहले बेहोशी की दवाएं भी कम देनी पड़ती हैं. सर्जरी विभाग की विभाग की अध्यक्ष डॉ. प्रियंका राय ने कहा कि एंडोस्कोपी से ऑपरेशन और जांच की सुविधा लोहिया संस्थान के मरीजों को मुहैया कराई जा रही है. उन्होंने बताया कि मेटाबॉलिक एवं बेरियाट्रिक सर्जरी क्लीनिक शुरू की गई. इसमें मोटापे से जुड़ी समस्याओं का निराकरण होगा.

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लखनऊ: मरीज सर्दी-जुकाम की समस्या को अधिक दिन तक नजरअंदाज न करें. यह साइनोसाइटिस बीमारी भी हो सकती है. ऐसे में समय पर इलाज कराएं. बिना चीरा के ऑपरेशन सम्भव है. इससे निशान भी नहीं पड़ेगा. यह बातें केजीएमयू में मंगलवार को ईएनटी और एनॉटमी विभाग की तरफ से एंडोस्कोपी सर्जरी पर हुई कार्यशाला में डॉ. वीरेंद्र वर्मा ने बताई. उन्होंने कहा कि सर्दी-जुकाम और नाक बहने के लक्षण हमेशा सामान्य नहीं हो सकते हैं. लिहाजा समय पर इलाज कराएं.

उन्होंने बताया कि एलर्जी की वजह से नाक के भीतर रुकावट आ जाती है. इससे भी मरीज को सांस संबंधी दूसरी परेशानी हो सकती है. बार-बार छींक आने जैसी दिक्कत हो सकती है. उन्होंने आगे बताया कि एंडोस्कोप से ईएनटी संबंधी बीमारी का इलाज आसान हो गया है. इसमें नाक के भीतर से ऑपरेशन साइनोसाइटिस संबंधी बीमारियों के ऑपरेशन संभव है. इससे मरीज को चेहरे और नाक पर निशान भी नहीं पड़ते हैं.

डॉ. वीरेंद्र वर्मा ने ने बताया कि अब महीन सुराख कर बड़े ऑपरेशन संभव हो गए हैं. लेप्रोस्कोपिक ऑपरेशन से मरीज को तमाम तरह के खतरों से निजात मिल गई है और संक्रमण का भी खतरा 90 फीसदी तक कम हो गया है.

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वहीं, लोहिया संस्थान में मंगलवार को लेप्रोस्कोपिक सर्जरी दिवस पर मिनिमल एक्सेस सर्जरी कार्यक्रम हुआ. कार्यशाला में डॉ. सोनिया नित्यानंद ने कहा कि लैप्रोस्कोपिक तकनीक से की जाने वाले ऑपरेशन मरीज की सेहत के लिए फायदेमंद हैं. इसमें मरीज को छोटा चीरा लगाने की जरूरत पड़ती है. ऑपरेशन के बाद घाव जल्द ठीक हो जाते हैं. मरीज को संक्रमण की आशंका कम रहती है. उन्होंने कहा कि संस्थान में मोटे लोगों के लिए अलग से क्लीनिक का संचालन शुरू किया है. इसमें नियमित मरीज देखे जाएंगे.

एनेस्थीसिया विभाग के अध्यक्ष और पूर्व निदेशक डॉ. दीपक मालवीय ने कहा कि अब 70 से 80 फीसदी लेप्रोस्कोपी विधि से किए जा सकते हैं. यह अधिक सुरक्षित है. ऑपरेशन के दौरान रक्तस्राव कम होता है. ऑपरेशन से पहले बेहोशी की दवाएं भी कम देनी पड़ती हैं. सर्जरी विभाग की विभाग की अध्यक्ष डॉ. प्रियंका राय ने कहा कि एंडोस्कोपी से ऑपरेशन और जांच की सुविधा लोहिया संस्थान के मरीजों को मुहैया कराई जा रही है. उन्होंने बताया कि मेटाबॉलिक एवं बेरियाट्रिक सर्जरी क्लीनिक शुरू की गई. इसमें मोटापे से जुड़ी समस्याओं का निराकरण होगा.

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