लखनऊ : किसी ने सही ही कहा है कि महिलाएं काम से लौटकर भी काम पर ही लौटती हैं. महत्वपूर्ण पदों पर काम करने वाली महिलाएं अपने घर की भी जिम्मेदारियों बखूबी निर्वहन कर रही हैं. मिशन शक्ति की शुरुआत भले ही सीएम योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में की, लेकिन यह परंपरा कई क्षेत्रों में महिलाओं ने संभाल रखी है. हां इतना जरूर है कि मुख्यमंत्री के मिशन शक्ति से महिलाओं को नई ऊर्जा जरूर मिली है. ऐसे ही एक जुझारू शख्सियत चाइल्ड लाइन की अध्यक्ष संगीता शर्मा से आपको परिचय कराते हैं.
सरकारी योजनाओं से निकल रहा समाधान : चाइल्डलाइन की अध्यक्ष संगीता शर्मा में ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा कि प्रदेश सरकार लगातार बच्चों के लिए और महिलाओं के लिए तरह-तरह की योजनाएं ला रही है. जिससे प्रदेश में लावारिस बच्चे बच्चियां लाभांवित हो रही हैं. शुरुआत से मैं सामाजिक कार्यकर्ता बनना चाहती थी. हमेशा से दूसरों की मदद करना, उनके लिए काम करना अच्छा लगता था. इसी को मैंने बतौर पेशा चुना. शुरुआत में रोज ऐसे ही केस आते थे, जिन्हें देखकर हमारी रूह कांप जाती थी. हालांकि अब दिनचर्या में शामिल हो गया है. इनमें कई केस काफी संवेदनशील होते हैं. जैसे मां ने बच्ची को स्वीकार करने से इनकार कर दिया. किसी लड़की के साथ परिजनों द्वारा ही गलत व्यवहार हो रहा है. नवजात को झाड़ियां में फेंक दिया गया. इतने मार्मिक पलों के बीच काम करना मुश्किल जरूर है, लेकिन समाज की कुरीतियों से लड़ना तो औरत को ही है. बस यही जागरूकता लोगों में पैदा करने की कोशिश करती हूं.
लोरेटो काॅलेज में किया अध्यापन : संगीता शर्मा ने बताया कि वह स्कूल, कॉलेज में काम करने में सक्रिय रहीं. वर्ष 1992 में लोरेटो स्कूल में पढ़ाती थीं. वहां जागृति स्कूल में गरीब तबके के बच्चों को शिक्षा जाती थी. वहां इंचार्ज के तौर पर मुझे नियुक्त किया गया था. मेरे पति (अंशुमालि शर्मा) केकेसी भूगर्भ विज्ञान के विभागाध्यक्ष हैं. वह भी एनएसएस और सामाजिक क्षेत्र में सक्रिय हैं. शुरुआत में सबसे पहले हमने मिलकर ह्यूमन यूनिटी मूवमेंट (हम) एनजीओ चलाया. इसी एनजीओ को वर्ष 2002 में भारत सरकार द्वारा चाइल्ड लाइन प्रोजेक्ट मिला. तब से लगातार चाइल्ड लाइन प्रोजेक्ट के लिए काम चल रहा है. इसके अलावा साल 2017-21 बाल कल्याण समिति में मेंबर मजिस्ट्रेट के पद का दायित्व संभाला.
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