लखनऊः कोरोना महामारी की दूसरी लहर का कहर लगातार जारी है. ऐसे में उत्तर प्रदेश में आंकड़े रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं. जहां एक तरफ स्वास्थ्य सेवाओं से लेकर व्यापार बदहाल हो चुके हैं. वहीं दैनिक मजदूरी करने वाले लोगों के सामने भी रोटी का संकट भी गहरा गया है.
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की बात की जाए तो अन्य जिलों की तुलना में यहां के हालात बद से बदतर हो चुके हैं. कोविड-19 के संक्रमण की वजह से लोगों के रोजगार छिन रहे हैं. दिहाड़ी मजदूरों की हालत खराब हो चुकी है. आसपास के जिलों से लखनऊ शहर में काम की तलाश में आए इन मजदूरों के सामने भुखमरी की नौबत आ गई है.
आशियाना क्षेत्र के फुटपाथ पर परिवारों के साथ रहने वाले बिहारी मजदूरों का कहना है. सप्ताह में 3 दिनों के लॉकडाउन की वजह से उन्हें काम नहीं मिल रहा है. पहले से ही कोरोना संक्रमण की वजह से रोजाना इन्हें काम नहीं मिल पा रहा था. अब लॉकडाउन की वजह से काम मिलने में दिक्कतें आ रही हैं. जिस वजह से इनके परिवार के सदस्यों के लिए दो वक्त की रोटी जुटा पाना मुश्किल हो रहा है.
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हालांकि मजदूर दिवस के मौके पर इस महामारी को देखते हुए श्रम विभाग ने श्रमिकों की सहायता के लिए 28 दिन का सवेतन अवकाश देने का निर्णय लिया है, लेकिन यह नियम कारखानों और फैक्ट्रियों में काम करने वाले श्रमिकों के लिए होगा, जहां श्रमिक अधिनियम लागू है, लेकिन इससे दिहाड़ी मजदूरी करने वाले मजदूरों को कोई राहत नहीं मिलेगी. खुले आसमान के नीचे परिवार के साथ जीवन बिता रहे दिहाड़ी मजदूर, हालातों के आगे मजबूर हैं. इनके लिए आज का मजदूर दिवस 'मजबूर दिवस' बनकर रह गया है.