यूपी के सखी वन स्टॉप सेंटरों की हालत तो वैसे ही बहुत अच्छी नहीं है, कहीं बस कहने को चल रहे हैं तो कहीं वह भी नहीं. 181 महिला हेल्पलाइन के कर्मचारियों को सखी वन स्टॉप सेंटरों से जोड़ दिया गया है. उन्हें भी 10-10 महीने से वेतन ही नहीं दिए गए, जिन्हें दूसरों की समस्याओं को दूर करने की जिम्मेदारी दी गई है, वे वेतन न मिलने से खुद अपनी समस्या में घिर गए हैं.
यह हाल आगरा, अलीगढ़, सीतापुर, बाराबंकी, जौनपुर का ही नहीं है. सूबे के किसी भी वन स्टॉप सेंटर पर तैनात 181 के किसी भी कर्मचारी को जुलाई 2019 से वेतन नहीं मिला.
बात प्रदेश के कन्नौज जिले की करे तो हाल ऐसा है सेंटर का कि बिना वेतन दिए ही कर्मचारियों को निकाल दिया गया. आगरा में कई कर्मचारियों के बच्चों की पढ़ाई छूट गई. अलीगढ़ में वेतन न मिलने से कोई काम नहीं हो रहे हैं. वहीं प्रतापगढ़ में अधिकारी जल्द नियुक्ति की बात कर रहे हैं.
जब सेंटरों की हालत ऐसी हो तो कैसे फिर पीड़िताओं को मदद मिल सकेगी. सरकार के लाख प्रयासों के बावजूद भी कुछ जिलों में सेंटरों का निर्माण तक नहीं हो पाया है. वहीं जहां सेंटर हैं तो वहां के कर्मचारी बिना वेतन के काम करने को मजबूर हैं.
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