लखनऊ: राजधानी लखनऊ में तमाम ऐसे साइकिलिस्ट खिलाड़ी हैं, जिन्होंने राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन किया. राष्ट्रीय स्तर पर शानदार प्रदर्शन करने के बावजूद भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लखनऊ के खिलाड़ियों को साइकिल स्पोर्ट्स के क्षेत्र में कोई मुकाम हासिल नहीं हुआ है. ऐसा नहीं है कि राजधानी लखनऊ में काबिलियत की कमी है. संसाधनों के अभाव के चलते राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय पहुंच नहीं बना पा रहे हैं. खिलाड़ियों की नाकामियों के पीछे एक बड़ा कारण सरकार द्वारा साइकिल खेल के प्रति लापरवाही और अनदेखी को भी माना जा सकता है.
5 साल में पूरा नहीं हो पाया काम
समाजवादी पार्टी सरकार ने वर्ष 2015 में राजधानी लखनऊ में स्थित गुरु नानक सिंह स्पोर्ट कॉलेज में एक अरब से अधिक लागत लगाकर यूपी का एकलौता वेलोड्रोम बनाने की योजना तैयार की थी. इस वेलोड्रोम को अत्याधुनिक बनाना था, लेकिन जिम्मेदारों की कमजोर इच्छाशक्ति व लापरवाही के चलते वर्ष 2015 में शुरू हुआ वेलोड्रोम का काम वर्ष 2020 के अंत तक भी नहीं पूरा हो सका है. अभी तक वेलोड्रोम के निर्माण के लिए सिर्फ 40 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. फंड की कमी के चलते निर्माण कार्य की रफ्तार काफी धीमी है, जिससे खिलाड़ियों में निराशा देखी जा रही है.
लागत को कम करने के हो रहे प्रयास
अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार वेलोड्रोम की लागत काफी अधिक थी. लिहाजा शासन स्तर से कार्यदायी संस्था निर्माण निगम से कम लागत का एक प्रस्ताव मांगा गया है, जिस पर शासन विचार करेगा, जिसके बाद 10 करोड़ रुपये इस वर्ष आवंटित किए जाएंगे. हालांकि जिस तरह से वेलोड्रोम को लेकर शासन स्तर के अधिकारियों की लापरवाही सामने आ रही है, ऐसे में यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि वेलोड्रोम के निर्माण में अभी लंबा समय लग सकता है.
खिलाड़ियों में निराशा
वर्ष 2015 में जब वेलोड्रोम की शुरुआत हुई थी तब राजधानी लखनऊ के साइकिलिस्ट खिलाड़ियों में काफी उत्साह था, लेकिन धीमे-धीमे खिलाड़ियों का उत्साह कम होता जा रहा है. खिलाड़ियों का कहना है कि वह आज भी सड़कों पर प्रैक्टिस करने के लिए मजबूर हैं. इंटरनेशनल टूर्नामेंट में पार्टिसिपेट करने के लिए वेलोड्रोम पर प्रैक्टिस होना अनिवार्य है, लेकिन हमारे पास वेलोड्रोम ही नहीं है तो ऐसे में हम अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा ही नहीं ले पाते हैं. हम सिर्फ सड़कों पर होने वाली रेस में हिस्सा लेते हैं अगर हमें संसाधन उपलब्ध कराए जाएं तो हम देश और दुनिया में लखनऊ का नाम रोशन कर सकते हैं.
संसाधनों की कमी से खिलाड़ी मायूस
राजधानी लखनऊ के साइकिलिस्ट व साइकिल कोच अनुराग बाजपेई ने बताया कि वेलोड्रोम को बनाने में सरकार की लापरवाही सामने आ रही है. अगर वेलोड्रोम बनाकर खिलाड़ियों को उपलब्ध कराया जाए तो लखनऊ के साइकिलिस्ट उत्तर प्रदेश का नाम देश व दुनिया में रोशन कर सकते हैं, लेकिन संसाधन के अभाव में खिलाड़ी में टैलेंट होने के बावजूद भी पिछड़ रहे हैं. अनुराग बाजपेई ने बताया कि उन्होंने लगभग 20 राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया और मेडल प्राप्त किया, लेकिन संसाधनों की कमी के चलते अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राजधानी लखनऊ से कोई भी खिलाड़ी जगह नहीं बना पा रहा है.
निराशा में बदल रही उम्मीद
साइकिलिस्ट अरविंद तिवारी ने बताया कि मैंने 4 नेशनल व 5 स्टेट लेवल की प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और मेडल भी प्राप्त किए हैं, लेकिन संसाधनों की कमी के चलते हम आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने के लिए वेलोड्रोम पर प्रैक्टिस होना अनिवार्य है, लेकिन पूरे उत्तर प्रदेश में कहीं भी वेलोड्रोम उपलब्ध नहीं है. ऐसे में उत्तर प्रदेश के खिलाड़ी पिछड़ रहे हैं. लखनऊ में वेलोड्रोम बनने की खबर सुनकर हम उत्साहित हुए थे, लेकिन जिस रफ्तार से वॉल्यूम बन रहा है हमारी उम्मीद निराशा में बदलती जा रही है.
गुरु गोविंद सिंह स्पोर्ट्स कॉलेज में बन रहा वेलोड्रोम
स्पोर्ट्स डायरेक्टर आरपी सिंह ने बताया कि गुरु गोविंद सिंह स्पोर्ट्स कॉलेज में वेलोड्रोम का निर्माण कार्य चल रहा है. अब तक शासन की ओर से वेलोड्रोम के निर्माण के लिए 40 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. इस वर्ष भी 10 करोड़ रुपये आवंटित किए जाएंगे. शासन स्तर की कमेटी ने वेलोड्रोम की लागत में कमी करते हुए नया प्रस्ताव कार्यदायी संस्था से मांगे हैं. प्रस्ताव पास होने के बाद बजट आवंटित होगा, जिसके बाद वेलोड्रोम के निर्माण में तेजी आएगी.