लखनऊ : आगामी लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी महिलाओं और दलितों के मुद्दों को विशेष रूप से उठाएगी. पार्टी का मानना है कि नौ साल की मोदी सरकार में महिलाओं और दलितों के मुद्दों पर जितना काम हुआ है, पहले की सरकारों ने कभी नहीं किया. चाहे डेढ़ दशक से लंबित महिला आरक्षण विधेयक का मामला हो या मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक के अभिशाप से मुक्ति दिलाने का विषय, भाजपा ने इन विषयों को गंभीरता से लिया है और जरूरी काननू भी बनाए हैं. दलितों और गरीबों के हितों के लिए भी पार्टी ने न सिर्फ तमाम योजनाएं बनाईं, बल्कि योजनाओं का लाभ उन्हें मिले यह भी सुनिश्चित किया है. उज्ज्वला योजना हो या मुफ्त खाद्यान्न योजना अथवा सीधे बैंक खातों में योजनाओं की धनराशि का स्थानांतरण, गरीबों को इसका लाभ तो मिला ही है. हाल ही में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश संगठन में इसे लेकर महिला और दलित प्रकोष्ठों की बैठकें कीं और रणनीति बनाई. इन संगठनों के नेताओं को बताया गया कि उन्हें अपनी किन उपलब्धियों को जनता के बीच में किस प्रकार से रखना है. यह तैयारी बताती है कि भाजपा इस मोर्चे पर खुद को मजबूत पाती है और वह इसका पूरा लाभ भी लेना चाहती है.
इस संबंध में राजनीतिक विश्लेषक डॉ. दिलीप अग्रिहोत्री कहते हैं उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी में 2014 के लोकसभा चुनाव से जो बढ़त नहीं थी, वह यात्रा 2017 और 2019 के साथ ही 2022 के विधानसभा चुनाव तक जारी है. यदि आगामी लोकसभा चुनाव की दृष्टि से उत्तर प्रदेश का मूल्यांकन करें तो ऐसा लगता है कि भाजपा पहले की स्थिति से भी बेहतर हालत में है. इसका एक बड़ा कारण है कि भाजपा 22 वर्ष बाद लंबित नारी वंदन विधेयक लेकर आई और संसद के दोनों सदनों से पारित भी कर लिया है. इस तरह यह कानून बन गया है. यह कानून बना एक बहुत बड़ी बात है. यह बात और है कि यह कानून अभी लागू होने नहीं जा रहा है, लेकिन जिन लोगों ने इतने वर्षों तक इसे रोकने का काम किया था निश्चित रूप से भाजपा ने उसे पारित करा कर ऐसे लोगों को जवाब दिया है.
डॉ. दिलीप अग्निहोत्री कहते हैं यदि दलित वोट बैंक की बात करें, तो एक अर्से तक बहुजन समाज पार्टी की इस पर मजबूत पकड़ रही है. हालांकि आज की तारीख में बसपा का ग्राफ बहुत नीचे आ चुका है. यह ऐसा वोट बैंक है जो किसी भी दिशा में समाजवादी पार्टी गठबंधन की ओर नहीं जा सकता है, क्योंकि इस वर्ग ने वह समय देखा है, जब उसे परेशानी का सामना करना पड़ा. भारतीय जनता पार्टी के विचारों से और उसके काम से प्रभावित होकर बसपा का वोट बैंक भाजपा के समर्थन में दिखाई देता है. यही कारण है कि भाजपा पिछले एक दशक से उत्तर प्रदेश और देश की सत्ता पर काबिज है. यदि अति पिछड़े वर्ग की बात करें तो इस वर्ग का भी बड़ा समर्थन भाजपा को हासिल है. इसका कारण है कि पिछली सरकारों में अति दलितों की लगातार अपेक्षा की गई है. पिछली सरकारें एक समीकरण बनाकर काम कर रही थीं. भारतीय जनता पार्टी ने उसे व्यवस्था को बदलने का काम किया है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से कहा था कि मात्रा सत्ता परिवर्तन से काम नहीं चलेगा, व्यवस्था परिवर्तन भी जरूरी है. यह काम उन्होंने करके भी दिखाया है. केंद्र की जो बड़ी कल्याणकारी योजनाएं हैं, उनका लाभ गरीब दलित और अति पिछड़ों को मिल रहा है. स्वाभाविक है कि वह चाहेंगे कि या लाभ उन्हें आगे भी मिलता रहे. भाजपा मानती है कि करोड़ों की संख्या में जो लाभार्थी वर्ग है वह भी उनके लिए मतदान करेगा.