लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस पार्टी ने बड़ा दांव खेल दिया है. पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव और उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी ने 40 प्रतिशत महिला प्रत्याशियों के साथ चुनावी मैदान में उतरने की घोषणा कर दी है. कांग्रेस पार्टी की यह घोषणा राजनीतिक रूप से एक बड़ा दांव होने के साथ ही अन्य पार्टियों के लिए चुनौती वाला हो सकता है. लेकिन, इसका दूसरा पहलू भी है. आजादी के बाद से अब तक चुनावों में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने की बातें तो बहुत हुईं, लेकिन आज तक इसपर अमल किसी भी पार्टी ने नहीं की. पिछले यूपी विधानसभा चुनाव में सबसे कम महिला प्रत्याशियों को मौका देने वालों में कांग्रेस पार्टी भी शामिल है.
बड़ी बात यह कि दिल्ली की तीन बार मुख्यमंत्री रहीं स्व. शीला दीक्षित को वर्ष 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार तो बना दिया गया था, लेकिन समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन के बाद उनके नाम की चर्चा तक नहीं की गई थी. दूसरी तरफ महिला उम्मीदवारों पर भरोसा दिखाने के मामले में यूपी की जनता भी पीछे ही रही है. निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में कुल 482 महिला प्रत्याशी मैदान में थीं. इनमें से सिर्फ 42 महिला प्रत्याशियों को जीत मिली थी, जबकि 373 की जमानत तक जब्त हो गई थी.
आंकड़ों के मुताबिक, 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान कुल 42 महिला प्रत्याशी चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंची थीं. वर्ष 2012 में इनकी संख्या 35 थी. सबसे ज्यादा महिला प्रत्याशी भाजपा ने उतारे थे. उसने कुल 46 महिला प्रत्याशियों को टिकट दिया था, जोकि उसके कुल प्रत्याशियों का 12 प्रतिशत था. भाजपा के टिकट से 35 महिला विधायक बनी थीं. दूसरे नंबर पर समाजवादी पार्टी थी, जिसने 34 महिलाओं को मौका दिया, जो उसके कुल प्रत्याशियों का 11 प्रतिशत है. वहीं कांग्रेस पार्टी ने सिर्फ 12 महिला प्रत्याशी उतारे थे, जो उसके कुल प्रत्याशियों का 10 प्रतिशत था. बहुजन समाज पार्टी ने 21 महिला प्रत्याशियों को टिकट दिया था, जो उसके कुल प्रत्याशियों का महज 5 प्रतिशत था.
2017 में किसे कितनी सीटें
यूपी में कुल 403 विधानसभा सीटे हैं. 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 312 सीटें जीती थीं. समाजवादी पार्टी को 54 सीटें मिली थीं और बसपा को 19 सीटों पर जीत मिली थी. वहीं कांग्रेस को सात सीटों से संतोष करना पड़ा था.