लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र बुधवार 15 दिसंबर से शुरू होगा. विधानसभा चुनाव से ठीक पहले और सरकार के अंतिम शीतकालीन सत्र में योगी सरकार ने लेखानुदान लाने का फैसला किया है. संसदीय प्रणाली में लेखानुदान का महत्व काफी महत्वपूर्ण माना गया है. चुनाव से ठीक पहले आहूत होने वाले विधानसभा के सत्र में लेखानुदान लाकर अगले वित्तीय वर्ष के शुरुआती 4 महीने के दौरान सरकारी खर्च, कर्मचारियों की सैलरी को समय से दिए जाने की व्यवस्था लेखानुदान की परंपरा रही है.
क्या होता है लेखानुदान
लेखानुदान राजस्व और खर्चों का लेखाजोखा मात्र होता है. इसमें तीन या चार महीनों के लिए सरकारी कर्मियों के वेतन, पेंशन और अन्य सरकारी कार्यों के लिए राजकोष से धन लेने का प्रस्ताव होता है.इसमें और अंतरिम बजट में मूलभूत अंतर होता है.
विधानसभा के शीतकालीन सत्र में लेखानुदान लाए जाने को लेकर ईटीवी भारत ने वरिष्ठ पत्रकार सूर्य प्रकाश शुक्ला से बात की. उन्होंने कहा कि लेखानुदान संसदीय प्रणाली में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. जब विधानसभा चुनाव होने होते हैं और चुनाव ऐसे समय में हो रहे हों, जब वित्तीय वर्ष का अंतिम दौर चल रहा हो. उस समय जो वित्तीय वर्ष खत्म होगा, उसके बाद प्रदेश के खर्च निकालने के लिए तत्कालीन सरकार के द्वारा लेखानुदान लाया जाता है. जिससे प्रदेश में बनने वाली नई सरकार और वित्तीय वर्ष के शुरुआती 4 महीनों में सरकारी खर्च व्यवस्थित तरीके से संचालित किए जा सकें.
सरकार सदन को देती है जानकारी
वरिष्ठ पत्रकार सूर्य प्रकाश शुक्ला कहते हैं कि नए वित्तीय वर्ष के शुरुआती 4 महीने के दौरान होने वाले खर्च के लिए सरकारें लेखानुदान लेकर आती हैं और उसी के माध्यम से खर्च किया जाता है. लेखानुदान लाने को लेकर सदन से प्रस्ताव पास कराया जाता है. सरकार सदन को यह बताती है कि नए वित्तीय वर्ष के शुरुआती 4 महीने के दौरान हम कितना पैसा लेकर आ रहे हैं. लेखा अनुदान के माध्यम से 4 महीने तक प्रदेश के संसाधनों को सुचारू रूप से चलाए जाने को लेकर यह धनराशि खर्च करेंगे. इसके बाद जब नई सरकार बनती है तो वह अपना नया बजट लाती है और उसके अनुसार आगे के वित्तीय काम काज आगे बढ़ते हैं.
उल्लेखनीय है कि योगी सरकार ने विधानसभा चुनाव की नोटिफिकेशन से करीब 1 महीने पहले लेखा अनुदान लाने का फैसला किया है. इसके माध्यम से आगामी वित्तीय वर्ष के 4 महीनों में प्रदेश के खर्च चलाया जाएगा. 15 दिसंबर से शीतकालीन सत्र शुरू होगा. जिसमें लेखा अनुदान सहित अन्य विधायी कार्य सदन के पटल पर पास कराये जाएंगे.
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