ETV Bharat / state

कौन बनेगा UP का Home Minister...

सूबे में योगी सरकार के गठन के बाद से ही इस बात की चर्चा जोरों पर है कि क्या इस बार राज्य को गृहमंत्री मिलेगा? क्योंकि दशकों से प्रदेश में गृह मंत्रालय मुख्यमंत्री के पास ही रहा है.

lucknow latest news  etv bharat up news  UP का Home Minister  Yogi 2 government  योगी सरकार के गठन  राज्य को गृहमंत्री मिलेगा  दूसरी बार योगी आदित्यनाथ  मुख्यमंत्री वीर बहादुर  गृहमंत्री सैदुज्जमा  एनडी तिवारी की सरकार  गृहमंत्री गोपीनाथ दीक्षित
lucknow latest news etv bharat up news UP का Home Minister Yogi 2 government योगी सरकार के गठन राज्य को गृहमंत्री मिलेगा दूसरी बार योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री वीर बहादुर गृहमंत्री सैदुज्जमा एनडी तिवारी की सरकार गृहमंत्री गोपीनाथ दीक्षित
author img

By

Published : Mar 27, 2022, 10:33 AM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में इतिहास दोहराते हुए भाजपा ने लगातार दूसरी बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई और लगातार दूसरी बार योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. योगी के साथ ही उनके मंत्रिमंडल के 52 मंत्रियों ने भी शपथ ले ली है. लेकिन अब इंतजार इस बात का है कि इन मंत्रियों को कौन-सा विभाग दिया जाता है. सरकार गठन के बाद से ही इस बात की चर्चा जोरों पर है कि क्या इस बार राज्य को गृहमंत्री मिलेगा? क्योंकि दशकों से प्रदेश में गृह मंत्रालय मुख्यमंत्री के पास ही रहा है. हालांकि, भाजपा शासित राज्य मध्य प्रदेश में अलग से गृह मंत्री हैं.

प्रदेश में योगी सरकार 2.0 में मंत्री बनने के लिए संगठन से लेकर संघ तक चक्कर लगाने वालों में कुछ को मंत्री पद नसीब हुआ तो कुछ को मायूसी हाथ लगी. अब बारी विभागों के वितरण की है. ऐसे में एक बार फिर से दावेदारी पेश करने की जोर आजमाइश होने लगी है. माना जा रहा है कि आज देर शाम विभागों का वितरण होगा. लोक निर्माण विभाग, सहकारिता विभाग व नगर विकास विभाग के साथ इस बार गृह विभाग लेने के लिए भी मंत्री जोर आजमाइश कर रहे हैं.

अगर सूबे की पिछली सरकारों पर नजर डालें तो अभी तक सूबे में केवल 3 बार ही प्रदेश को अपना गृहमंत्री नसीब मिला है. साल 1985-86 के दौरान मुख्यमंत्री वीर बहादुर की सरकार में सैदुज्जमा गृहमंत्री रहे. फिर एनडी तिवारी की सरकार में गोपीनाथ दीक्षित को गृहमंत्री बनाया गया था तो तीसरी बार भी एनडी तिवारी की सरकार में ही सुशीला रोहतगी को गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई थी.

इसे भी पढ़ें - विधानसभा चुनाव परिणाम पर एक नजर

हालांकि, कांग्रेस का राज खत्म होते ही साल 1989 में मुलायम सिंह के समर्थन वाली सरकार में गृहमंत्री की प्रथा भी बंद हो गई. कुछ समय के लिए कल्याण सिंह की सरकार ने इस मिथक को तोड़कर गृह विभाग में राज्यमंत्री बनाने का चलन शुरू किया था. उन्होंने अपने दो कार्यकाल में दो गृह राज्यमंत्री बनाए. पहले बालेश्वर त्यागी व दूसरे रंगनाथ मिश्रा जो 2002 तक गृह राज्यमंत्री रहे.

खैर, उस दौर में भी गृहमंत्री बड़े और नीतिगत फैसले बिना मुख्यमंत्री की सलाह व निर्देश के नहीं लेते थे. इसके बाद की किसी भी सरकार ने चाहे बसपा-सपा हो या फिर भाजपा गठजोड़ की सरकार, किसी ने भी गृहमंत्री नहीं बनाया. ऐसे में यह पदभार स्वयं मुख्यमंत्री अपने पास रखते आए हैं. लेकिन अबकी संभावना है कि इस विभाग को अन्य किसी को सौंपा जाएगा.

वहीं, राजनीतिक विश्लेषक राघवेंद्र त्रिपाठी का मानना है कि गृह मंत्री के पास राज्य की कानून-व्यवस्था, पुलिस, पीएसी, सीआईडी, इंटेलिजेंस समेत सुरक्षा व जांच एजेंसियों की जिम्मेदारी रहती है. इनसे संबंधित अफसरों के तबादले और पोस्टिंग की जिम्मेदारी भी गृह मंत्री के पास ही होती है. ऐसे में कोई भी सीएम खासकर यूपी के सीएम नहीं चाहते हैं कि गृह विभाग किसी को दिया जाए. क्योंकि यदि कानून-व्यवस्था बिगड़ती है तो सवाल मुख्यमंत्री पर ही उठता है.

पिछले 2 दशक से यूपी की राजनीति को करीब से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार योगेश मिश्रा का कहना है कि यूपी के हर चुनाव में कानून-व्यवस्था सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा होता है. ऐसे में मुख्यमंत्री गृह विभाग को अपने पास रखता है, जिससे उसे गंभीरता से मोनिटरिंग करे और कोई भी एक्शन लेने के लिए बिना वक्त गंवाए फैसला ले सके.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में इतिहास दोहराते हुए भाजपा ने लगातार दूसरी बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई और लगातार दूसरी बार योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. योगी के साथ ही उनके मंत्रिमंडल के 52 मंत्रियों ने भी शपथ ले ली है. लेकिन अब इंतजार इस बात का है कि इन मंत्रियों को कौन-सा विभाग दिया जाता है. सरकार गठन के बाद से ही इस बात की चर्चा जोरों पर है कि क्या इस बार राज्य को गृहमंत्री मिलेगा? क्योंकि दशकों से प्रदेश में गृह मंत्रालय मुख्यमंत्री के पास ही रहा है. हालांकि, भाजपा शासित राज्य मध्य प्रदेश में अलग से गृह मंत्री हैं.

प्रदेश में योगी सरकार 2.0 में मंत्री बनने के लिए संगठन से लेकर संघ तक चक्कर लगाने वालों में कुछ को मंत्री पद नसीब हुआ तो कुछ को मायूसी हाथ लगी. अब बारी विभागों के वितरण की है. ऐसे में एक बार फिर से दावेदारी पेश करने की जोर आजमाइश होने लगी है. माना जा रहा है कि आज देर शाम विभागों का वितरण होगा. लोक निर्माण विभाग, सहकारिता विभाग व नगर विकास विभाग के साथ इस बार गृह विभाग लेने के लिए भी मंत्री जोर आजमाइश कर रहे हैं.

अगर सूबे की पिछली सरकारों पर नजर डालें तो अभी तक सूबे में केवल 3 बार ही प्रदेश को अपना गृहमंत्री नसीब मिला है. साल 1985-86 के दौरान मुख्यमंत्री वीर बहादुर की सरकार में सैदुज्जमा गृहमंत्री रहे. फिर एनडी तिवारी की सरकार में गोपीनाथ दीक्षित को गृहमंत्री बनाया गया था तो तीसरी बार भी एनडी तिवारी की सरकार में ही सुशीला रोहतगी को गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई थी.

इसे भी पढ़ें - विधानसभा चुनाव परिणाम पर एक नजर

हालांकि, कांग्रेस का राज खत्म होते ही साल 1989 में मुलायम सिंह के समर्थन वाली सरकार में गृहमंत्री की प्रथा भी बंद हो गई. कुछ समय के लिए कल्याण सिंह की सरकार ने इस मिथक को तोड़कर गृह विभाग में राज्यमंत्री बनाने का चलन शुरू किया था. उन्होंने अपने दो कार्यकाल में दो गृह राज्यमंत्री बनाए. पहले बालेश्वर त्यागी व दूसरे रंगनाथ मिश्रा जो 2002 तक गृह राज्यमंत्री रहे.

खैर, उस दौर में भी गृहमंत्री बड़े और नीतिगत फैसले बिना मुख्यमंत्री की सलाह व निर्देश के नहीं लेते थे. इसके बाद की किसी भी सरकार ने चाहे बसपा-सपा हो या फिर भाजपा गठजोड़ की सरकार, किसी ने भी गृहमंत्री नहीं बनाया. ऐसे में यह पदभार स्वयं मुख्यमंत्री अपने पास रखते आए हैं. लेकिन अबकी संभावना है कि इस विभाग को अन्य किसी को सौंपा जाएगा.

वहीं, राजनीतिक विश्लेषक राघवेंद्र त्रिपाठी का मानना है कि गृह मंत्री के पास राज्य की कानून-व्यवस्था, पुलिस, पीएसी, सीआईडी, इंटेलिजेंस समेत सुरक्षा व जांच एजेंसियों की जिम्मेदारी रहती है. इनसे संबंधित अफसरों के तबादले और पोस्टिंग की जिम्मेदारी भी गृह मंत्री के पास ही होती है. ऐसे में कोई भी सीएम खासकर यूपी के सीएम नहीं चाहते हैं कि गृह विभाग किसी को दिया जाए. क्योंकि यदि कानून-व्यवस्था बिगड़ती है तो सवाल मुख्यमंत्री पर ही उठता है.

पिछले 2 दशक से यूपी की राजनीति को करीब से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार योगेश मिश्रा का कहना है कि यूपी के हर चुनाव में कानून-व्यवस्था सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा होता है. ऐसे में मुख्यमंत्री गृह विभाग को अपने पास रखता है, जिससे उसे गंभीरता से मोनिटरिंग करे और कोई भी एक्शन लेने के लिए बिना वक्त गंवाए फैसला ले सके.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.