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यूपी में बीजेपी को आगामी 2022 विधानसभा चुनाव में कड़ी टक्कर दे पाएगा विपक्ष! - भारतीय जनता पार्टी का सदस्यता अभियान

उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव 2022 में होने हैं. ऐसे में भाजपा को परास्त करने के लिए मजबूत विपक्ष की जरूरत है. मौजूदा परिस्थितियों में विपक्ष बिखरा हुआ है. यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन सी राजनीतिक पार्टी भाजपा को चुनाव में टक्कर देगी.

बसपा सुप्रीमो कु. मायावती.
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Published : Jul 14, 2019, 2:21 AM IST

Updated : Jul 14, 2019, 3:22 AM IST

लखनऊ: सूबे में आगामी विधानसभा चुनाव 2022 के लिए मजबूत विपक्ष की तलाश है. विपक्ष के पास जनता के सामने रखने वाला मजबूत पक्षकार अभी तक नहीं है. कांग्रेस अपने अध्यक्ष के लिए लड़ाई लड़ रही है. सपा हार के सदमे से उबर नहीं पाई है. वहीं, बसपा बंद कमरे में बैठक कर के जनता का विश्वास जीतना चाहती है.

बीजेपी के सामने क्या चुनौती पेश कर पाएगा विपक्ष, देखें वीडियो.

बीजेपी खुद को कर रही है मजबूत-

  • भारतीय जनता पार्टी सत्ता में रहते हुए भी संगठन के विस्तार को लेकर गंभीर दिख रही है.
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों खुद सदस्यता अभियान की शुरुआत की है.
  • प्रत्येक बूथ पर कमेटियां गठित की गई हैं.
  • बूथों पर बैठकें हो रही है.
  • बीजेपी सदस्यता अभियान और सरकारी योजनाओं से खुद को मजबूत कर रही है.

क्या ऐसे सफल हो पायेगी बसपा-

  • बहुजन समाज पार्टी पिछले दिनों लखनऊ में लगातार बैठकें की.
  • बसपा प्रमुख मायावती ने बैठक करके संगठन को मजबूती प्रदान करने का प्रयास किया.
  • मायावती ने यह बताने का प्रयास किया कि सत्ताधारी दल भाजपा देश का भला नहीं कर सकती.
  • उन्होंने लगातार बीजेपी को कटघरे में खड़ा किया है,लेकिन बंद कमरों से ही.
  • सड़क पर कोई भी बसपा का आंदोलन नहीं है.

राजनीतिक विश्लेषक मनोज भद्रा कहते हैं-

  • आमतौर पर सत्ताधारी दल सत्ता में चलाने में व्यस्त रहता है.
  • विपक्ष सड़कों पर आंदोलन करता दिखाई देता है.
  • उत्तर प्रदेश की सियासत में इस प्रकार से नहीं दिख रहा है.
  • यहां सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी अपना विस्तार करने में जुटी है.
  • दूसरी तरफ सपा में एकदम शांति है.
  • वहां कुछ भी नहीं चल रहा.
  • यह राजनीतिक पार्टी होने के नाते उसके लिए ठीक संकेत नहीं है.

कांग्रेस में राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद वहां इस्तीफों का दौर जारी है. यूपी में वह वैसे भी बहुत कमजोर है. बसपा की बात की जाए तो पार्टी केवल बंद कमरों में सक्रियता दिखा रही है. बंद कमरों में बैठक करके या ट्विटर से विपक्ष पर सवाल खड़ा करके वोट हासिल नहीं किया जा सकता. अगर वोट नहीं मिलेगा तो सत्ता से दूर ही रहेंगे.
-मनोज भद्रा, राजनीतिक विश्लेषक

विधानसभा स्तर हो या लोकसभा स्तर, बीजेपी हर स्तर पर बैठक करके कार्यकर्ताओं में ऊर्जा भर रही है. वहीं विपक्ष में रहते हुए बहुजन समाज पार्टी कोई बड़ा आंदोलन नहीं कर रही है.

लखनऊ: सूबे में आगामी विधानसभा चुनाव 2022 के लिए मजबूत विपक्ष की तलाश है. विपक्ष के पास जनता के सामने रखने वाला मजबूत पक्षकार अभी तक नहीं है. कांग्रेस अपने अध्यक्ष के लिए लड़ाई लड़ रही है. सपा हार के सदमे से उबर नहीं पाई है. वहीं, बसपा बंद कमरे में बैठक कर के जनता का विश्वास जीतना चाहती है.

बीजेपी के सामने क्या चुनौती पेश कर पाएगा विपक्ष, देखें वीडियो.

बीजेपी खुद को कर रही है मजबूत-

  • भारतीय जनता पार्टी सत्ता में रहते हुए भी संगठन के विस्तार को लेकर गंभीर दिख रही है.
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों खुद सदस्यता अभियान की शुरुआत की है.
  • प्रत्येक बूथ पर कमेटियां गठित की गई हैं.
  • बूथों पर बैठकें हो रही है.
  • बीजेपी सदस्यता अभियान और सरकारी योजनाओं से खुद को मजबूत कर रही है.

क्या ऐसे सफल हो पायेगी बसपा-

  • बहुजन समाज पार्टी पिछले दिनों लखनऊ में लगातार बैठकें की.
  • बसपा प्रमुख मायावती ने बैठक करके संगठन को मजबूती प्रदान करने का प्रयास किया.
  • मायावती ने यह बताने का प्रयास किया कि सत्ताधारी दल भाजपा देश का भला नहीं कर सकती.
  • उन्होंने लगातार बीजेपी को कटघरे में खड़ा किया है,लेकिन बंद कमरों से ही.
  • सड़क पर कोई भी बसपा का आंदोलन नहीं है.

राजनीतिक विश्लेषक मनोज भद्रा कहते हैं-

  • आमतौर पर सत्ताधारी दल सत्ता में चलाने में व्यस्त रहता है.
  • विपक्ष सड़कों पर आंदोलन करता दिखाई देता है.
  • उत्तर प्रदेश की सियासत में इस प्रकार से नहीं दिख रहा है.
  • यहां सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी अपना विस्तार करने में जुटी है.
  • दूसरी तरफ सपा में एकदम शांति है.
  • वहां कुछ भी नहीं चल रहा.
  • यह राजनीतिक पार्टी होने के नाते उसके लिए ठीक संकेत नहीं है.

कांग्रेस में राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद वहां इस्तीफों का दौर जारी है. यूपी में वह वैसे भी बहुत कमजोर है. बसपा की बात की जाए तो पार्टी केवल बंद कमरों में सक्रियता दिखा रही है. बंद कमरों में बैठक करके या ट्विटर से विपक्ष पर सवाल खड़ा करके वोट हासिल नहीं किया जा सकता. अगर वोट नहीं मिलेगा तो सत्ता से दूर ही रहेंगे.
-मनोज भद्रा, राजनीतिक विश्लेषक

विधानसभा स्तर हो या लोकसभा स्तर, बीजेपी हर स्तर पर बैठक करके कार्यकर्ताओं में ऊर्जा भर रही है. वहीं विपक्ष में रहते हुए बहुजन समाज पार्टी कोई बड़ा आंदोलन नहीं कर रही है.

Intro:लखनऊ। आगामी विधानसभा चुनाव 2022 के लिए यूपी में मजबूत विपक्ष की तलाश है। विपक्ष के पास जनता के सामने रखने वाला मजबूत पक्षकार अभी तक नहीं है। बीजेपी सदस्यता अभियान और सरकारी योजनाओं से खुद को मजबूत कर रही है। बीजेपी से लड़ने की ताकत जुटाना विपक्ष की योजनाओं में दूसरे पायदान पर है। विपक्ष की पहली प्राथमिकता खुद का वजूद बचाने की है। कांग्रेस अपने अध्यक्ष के लिए लड़ाई लड़ रही है। सपा हार के सदमे से उबर नहीं पाई है। बसपा बंद कमरे में बैठक से जनता का विश्वास जीतना चाहती है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या बसपा वाकई में बीजेपी से जमीन पर जाकर लड़ाई लड़ेगी या पुराने ढर्रे पर रहेगी।


Body:भारतीय जनता पार्टी सत्ता में रहते हुए भी संगठन के विस्तार को लेकर गंभीर दिख रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों खुद सदस्यता अभियान की शुरुआत की है। पार्टी हर स्तर पर संगठन की मजबूती को लेकर के काम कर रही है। प्रत्येक बूथ पर कमेटियां गठित की गई हैं। बूथों पर बैठक हो रही है। विधानसभा स्तर हो या लोकसभा स्तर हर स्तर पर बीजेपी बैठक करके कार्यकर्ताओं में ऊर्जा भर रही है। वहीं विपक्ष में रहते हुए बहुजन समाज पार्टी कोई बड़ा आंदोलन नहीं कर रही है।

बहुजन समाज पार्टी पिछले दिनों यहां लगातार बैठकें की हैं। बैठक करके संगठन को मजबूती प्रदान करने के लिए मायावती ने कार्यकर्ताओं को यह बताने का प्रयास किया कि सत्ताधारी दल भाजपा देश का भला नहीं कर सकती। मायावती ने लगातार बीजेपी को कटघरे में खड़ा किया है। वह भाजपा को कटघरे में तो खड़े कर रही हैं लेकिन बंद कमरों से ही। सड़क पर कोई भी बसपा का आंदोलन नहीं है। राजनीतिक विश्लेषक सवाल उठाते हैं कि बंद कमरों से बसपा आगामी चुनाव में मजबूती से कैसे लड़ेगी।

बाईट- राजनीतिक विश्लेषक मनोज भद्रा कहते हैं की आमतौर पर सत्ताधारी दल सत्ता में चलाने में व्यस्त रहता है। विपक्ष सड़कों पर आंदोलन करता दिखाई देता है। लेकिन उत्तर प्रदेश की सियासत में इस प्रकार से नहीं दिख रहा है। यहां सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी अपना विस्तार करने में जुटी है। दूसरी तरफ सपा में एकदम शांति है। वहां कुछ भी नहीं चल रहा। यह राजनीतिक पार्टी होने के नाते उसके लिए ठीक संकेत नहीं है। कांग्रेसी में राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद वहां स्तीफो का दौर जारी है। यूपी में वह वैसे भी बहुत कमजोर है। बसपा की बात की जाए तो पार्टी सक्रियता तो दिखा रही है लेकिन केवल बंद कमरों में ही। बंद कमरों में बैठक करके या ट्विटर से विपक्ष पर सवाल खड़ा करके वोट हासिल नहीं कर सकते। वोट नहीं मिलेगा तो सत्ता से दूर ही रहेंगे।


Conclusion:
Last Updated : Jul 14, 2019, 3:22 AM IST
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