प्रयागराज: महाकुंभ के सबसे बड़े स्नान पर मैनी अवस्था के दिन रात 1.30 बजे हुई भगदड़ के बाद अब संगम नोज पर सन्नाटा पसरा हुआ है. जिस जगह पर 24 घंटे पहले करोड़ों श्रद्धालु थे, तिल रखने की भी जगह नहीं बची थी, वहां एक-दो श्रद्धालु ही दिखाई दिए. बंदिशें और भगदड़ के खौफ का ही नतीजा है कि संगम नोज पर सामान्य दिनों से भी काम श्रद्धालु दिखाई दिए. ईटीवी भारत ने घटना के 24 घंटे बाद गुरुवार रात 1.30 बजे पहुंचकर ग्राउंड रिपोर्ट की तो हालात चौंका देने और दुखी कर देने वाले थे.
भगदड़ में 30 लोग मारे गए, 70 से अधिक लोग घायल और कई लोग अभी भी मिसिंग: मौनी अमावस्या 29 जनवरी को थी. सरकार ने खुद घोषणा कर रखी थी कि देश-दुनिया से 10 करोड़ से अधिक श्रद्धालु संगम में मौन की डुबकी लगाएंगे .सरकार के साथ-साथ स्थानीय प्रशासन ने भी इस बात का दावा किया था कि व्यवस्थाएं चाक-चौबंद हैं. सुरक्षा-व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त है. मुख्य सचिव का भी बयान आया था कि संगम क्षेत्र में 10 करोड़ नहीं, 100 करोड़ श्रद्धालु भी सुरक्षित तरीके से नहा सकते हैं, इतने इंतजाम किए गए हैं. उनका यह बयान बेइमानी साबित हुआ. 9 करोड़ श्रद्धालुओं की क्राउड को मैनेज करने में स्थानीय प्रशासन पूरी तरह से असफल रहा. नतीजतन रात को मौनी अमावस्या के दिन 1.30 बजे के बाद श्रद्धालुओं का रेला जब आना शुरू हुआ तो पूरा संगम क्षेत्र ठस पड़ गया. निकास मार्ग एक होने और पीपा पुल बंद होने के कारण श्रद्धालु बाहर नहीं निकल पाए और लाखों की संख्या में आते गए.
बंद रखे गए थे पीपा पुल: संगम से स्नान करके बाहर निकलने का सिर्फ एक रास्ता था, यमुना पर और गंगा पर 30 पीपा पुल बनाए गए थे, उनमें से अधिकांश को बंद रखा गया था. पीपा पुल बंद होने से जो श्रद्धालु शहर की तरफ से संगम पर आए, वह बाहर नहीं निकल पा रहे थे. दूसरा एक सबसे बड़ा कारण यह रहा कि पीपा पुल बंद होने के बाद संगम में मौनी अमावस्या के दिन स्नान करने की चाह लेकर जो श्रद्धालु आए, वह जहां भी जगह पाए, वहीं सो गए. संगम नोज पर जिस जगह भगदड़ मची, वहां भी मौनी अमावस्या के दिन सैकड़ों लोग सोए हुए थे.
भीड़ से भगदड़ का हो गया था अंदेशा: प्रयागराज के कमिश्नर विजय विश्वास पंत का एक वीडियो भी सामने आया था, जिसमें वह जनता से अपील करते दिख रहे हैं कि मौनी अमावस्या का अमृत स्नान शुरू हो चुका है. लिहाजा आप सोएं नहीं. जो सोएगा वह खोएगा. माना जा रहा है कि कमिश्नर को इस बात की आशंका हो गई थी कि भगदड़ मच सकती है. लिहाजा उन्होंने श्रद्धालुओं से अपील की कि वह उठ जाएं और जाकर स्नान करके इस क्षेत्र को खाली कर दें. उसके कुछ देर बाद ही श्रद्धालुओं का जत्था आना शुरू हुआ और संगम नोज पर भीड़ इस कदर बढ़ी कि लोग सोए हुए श्रद्धालुओं पर गिरे और भगदड़ मच गई. भगदड़ में से 30 लोगों की मौत हो गई, जबकि 70 से अधिक श्रद्धालु घायल हो गए. इस घटना के बाद 50 एंबुलेंस लगाई गईं और घायल श्रद्धालुओं को अस्पताल में भर्ती कराया गया.
भगदड़ के बाद अब सन्नाटा: इस घटना के 24 घंटे बाद जब ईटीवी की टीम संगम नोज पर पहुंची तो हर तरफ सन्नाटा पसरा मिला. कुछ चंद श्रद्धालु ही संगम में स्नान करते दिखाई दिए. ईटीवी भारत रिपोर्टर ने जब श्रद्धालुओं से बातचीत की तो कहीं ना कहीं उनके मन में भगदड़ का खौफ साफ दिखाई दिया. गोआ से पहली बार महाकुंभ आए कपल ने बताया कि वो सड़क मार्ग से संगम स्नान के लिए निकले. रास्ते में जाम मिला, लेकिन और कोई दिक्कत नहीं हुई. सविता मिरिकर ने बताया कि भगदड़ के बारे में उन्होंने सुन रखा था और कहीं-कहीं उनके मन में इस बात का खौफ था कि पता नहीं, वहां क्या स्थिति हो, पर स्नान हो गया. बहुत अच्छा लगा. सविता का कहना है कि यहां आने के बाद लगा कि ऐसा कुछ भी नहीं है. वह एक घटना थी, हो गई.अब स्थिति सामान्य है. प्लान करके संगम स्नान सभी को आना चाहिए.
दिल्ली से संगम स्नान करने आए महेश कुमार का कहना है कि मौनी अमावस्या के दिन जो भगदड़ की घटना हुई थी, उसका कुछ तो मन में डर लग रहा था. सोच रहे थे कि प्रशासन ने पता नहीं, क्या इंतजाम करके रखा है. जाने भी देंगे या नहीं जाने देंगे. गाड़ी कहां पार्क होगी, लेकिन हम लोगों ने गंगा मैया का नाम लेकर अपनी यात्रा शुरू की और अब संगम में भव्य और दिव्य तरीके से स्नान हुआ. कहीं कोई दिक्कत नहीं हुई. अभी यहां सन्नाटा पसरा हुआ है और यह सन्नाटा सनातन धर्म के लिए अच्छा नहीं है. धीरे-धीरे लोगों का विश्वास जागेगा और यह संगम क्षेत्र आगे चलकर फिर श्रद्धालुओं की भीड़ से भर जाएगा. अयोध्या से शिवम को कुमार शर्मा का कहना है कि आज उन्होंने संगम में स्नान किया बहुत अच्छा लगा. भगदड़ का उन्हें दुख है और इस वक्त तो संगम पर बिल्कुल भी भीड़ नहीं है. लग ही नहीं रहा है कि महाकुंभ चल रहा है. शिवम का कहना है कि लोगों को डरना नहीं चाहिए और संगम स्नान के लिए आना चाहिए.
जिला प्रशासन ने सीमाएं खोली, डाइवर्जन स्कीम रद्द: उधर, प्रयागराज के जिला अधिकारी रविंद्र कुमार मंदर ने कहा कि सोशल मीडिया पर एक खबर वायरल हो रही है कि प्रयागराज में 4 फरवरी तक वाहनों का प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा. यह खबर पूरी तरह से निराधार है. डायवर्जन स्कीम सिर्फ मौनी अमावस्या के दिन के लिए लागू की गई थी. अब लगभग सभी श्रद्धालु वापस लौट रहे हैं और डायवर्जन स्कीम को पुलिस हटा रही है. हमने पुलिस को बैरिकेडिंग हटाने के निर्देश दिए हैं. 31 जनवरी, 1 और 4 फरवरी को किसी भी वाहन पर कोई प्रतिबंध नहीं रहेगा. सिर्फ 2 और 3 फरवरी को वसंत पंचमी के स्नान पर डायवर्जन स्कीम लागू रहेगी. मेला क्षेत्र में वाहनों के प्रवेश की एक बहुत ही अलग प्रक्रिया है, मेला अधिकारी और DIG सभी को इसकी जानकारी देंगे. कमिश्नरेट क्षेत्र में वाहनों पर कोई प्रतिबंध नहीं है.