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सीबीआई की FIR पर भी आईएएस सदाकान्त के खिलाफ क्यों कार्रवाई नहीं कर रही योगी सरकार? - योगी सरकार की जीरो टॉलरेंस पॉलिसी

प्रदेश में सीबीआई अवैध खनन के खिलाफ ताबड़तोड़ छापेमारी कर रही है. सत्ता में मौजूद योगी सरकार भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई कर सलाखों के पीछे भेजने का दावा करती आई है. लेकिन क्या योगी सरकार का ये दावा वास्तव में सही है?

सदाकांत, वरिष्ठ आईएएस अफसर.
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Published : Jul 14, 2019, 5:41 AM IST

लखनऊ: अवैध खनन को लेकर सीबीआई ताबड़तोड़ छापेमारी कर रही है. योगी सरकार भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस की बात करती है. लेकिन भ्रष्टाचार के एक मामले में सरकार ने वरिष्ठ आईएएस अफसर सदाकांत के खिलाफ केंद्र सरकार के डीओपीटी विभाग द्वारा अभियोजन की मंजूरी को नकार दिया, जिससे सरकार की इस नीति पर सवाल खड़े हो रहे हैं.

भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई करने का दवा कितना सच, देखें वीडियो.

सरकार पर क्यों खड़े हो रहे सवाल-

  • आईएएस सदाकांत के खिलाफ भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोप लगे थे.
  • सीबीआई ने उनके खिलाफ एफआईआर तक दर्ज कर दी थी.
  • सदाकांत को आवास विभाग और लोक निर्माण में तैनाती दी गई थी.
  • केंद्र सरकार के डीओपीटी विभाग ने सदाकांत के खिलाफ कार्रवाई के लिए अभियोजन की मंजूरी मांगी.
  • योगी आदित्यनाथ सरकार ने अभियोजन की मंजूरी को खारिज कर दिया.

योगी आदित्यनाथ सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रही है. अधिकारी कोई भी हो उसे बख्शा नहीं जाएगा. सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस पर ही काम कर रही है. किसी भी अफसर को बचाने का काम नहीं किया जाएगा.
-नवीन श्रीवास्तव, प्रवक्ता, यूपी भाजपा

योगी आदित्यनाथ सरकार जब बनी थी तो भ्रष्टाचार और गुंडाराज को समाप्त करने का दावा किया गया था. अगर किसी अधिकारी के खिलाफ भ्रष्टाचार की गंभीर शिकायतें हैं. सीबीआई डीओपीटी की तरफ से कार्रवाई की मंजूरी मांगी जाती है तो उसे खारिज कर देना अपने आप में सरकार की छवि पर सवाल खड़े करता है.
-डॉ. एसपी सिंह, पूर्व आईएएस, राजनीतिक विश्लेषक

प्रयागराज से लोकसभा चुनाव जीतने वाली डॉक्टर रीता बहुगुणा जोशी का घर फूंकने के मामले में आईपीएस अफसर प्रेम प्रकाश और हरीश कुमार के खिलाफ सीबीसीडीआईडी. ने जांच शुरू की थी. इन अफसरों के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी मांगी गई तो इस प्रकरण पर भी योगी आदित्यनाथ सरकार ने अभियोजन की मंजूरी को खारिज कर दिया और यह तर्क दिया कि इनके खिलाफ अभियोजन दिए जाने का कोई औचित्य नहीं है.

लखनऊ: अवैध खनन को लेकर सीबीआई ताबड़तोड़ छापेमारी कर रही है. योगी सरकार भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस की बात करती है. लेकिन भ्रष्टाचार के एक मामले में सरकार ने वरिष्ठ आईएएस अफसर सदाकांत के खिलाफ केंद्र सरकार के डीओपीटी विभाग द्वारा अभियोजन की मंजूरी को नकार दिया, जिससे सरकार की इस नीति पर सवाल खड़े हो रहे हैं.

भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई करने का दवा कितना सच, देखें वीडियो.

सरकार पर क्यों खड़े हो रहे सवाल-

  • आईएएस सदाकांत के खिलाफ भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोप लगे थे.
  • सीबीआई ने उनके खिलाफ एफआईआर तक दर्ज कर दी थी.
  • सदाकांत को आवास विभाग और लोक निर्माण में तैनाती दी गई थी.
  • केंद्र सरकार के डीओपीटी विभाग ने सदाकांत के खिलाफ कार्रवाई के लिए अभियोजन की मंजूरी मांगी.
  • योगी आदित्यनाथ सरकार ने अभियोजन की मंजूरी को खारिज कर दिया.

योगी आदित्यनाथ सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रही है. अधिकारी कोई भी हो उसे बख्शा नहीं जाएगा. सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस पर ही काम कर रही है. किसी भी अफसर को बचाने का काम नहीं किया जाएगा.
-नवीन श्रीवास्तव, प्रवक्ता, यूपी भाजपा

योगी आदित्यनाथ सरकार जब बनी थी तो भ्रष्टाचार और गुंडाराज को समाप्त करने का दावा किया गया था. अगर किसी अधिकारी के खिलाफ भ्रष्टाचार की गंभीर शिकायतें हैं. सीबीआई डीओपीटी की तरफ से कार्रवाई की मंजूरी मांगी जाती है तो उसे खारिज कर देना अपने आप में सरकार की छवि पर सवाल खड़े करता है.
-डॉ. एसपी सिंह, पूर्व आईएएस, राजनीतिक विश्लेषक

प्रयागराज से लोकसभा चुनाव जीतने वाली डॉक्टर रीता बहुगुणा जोशी का घर फूंकने के मामले में आईपीएस अफसर प्रेम प्रकाश और हरीश कुमार के खिलाफ सीबीसीडीआईडी. ने जांच शुरू की थी. इन अफसरों के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी मांगी गई तो इस प्रकरण पर भी योगी आदित्यनाथ सरकार ने अभियोजन की मंजूरी को खारिज कर दिया और यह तर्क दिया कि इनके खिलाफ अभियोजन दिए जाने का कोई औचित्य नहीं है.

Intro:एंकर
लखनऊ। इस समय अवैध खनन को लेकर सीबीआई ताबड़तोड़ छापेमारी कर रही है,लेकिन सवाल यह है कि सीबीआई की कार्यवाही के बाद क्या सभी अफसरों के खिलाफ कार्यवाही सही रूप से हो पाएगी और अफसरों को दोषी साबित करते हुए सलाखों के पीछे भेजा जाएगा। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस की बात करती है लेकिन भ्रष्टाचार के एक मामले में सरकार ने वरिष्ठ आईएएस अफसर है सदा काम के खिलाफ केंद्र सरकार के डीओपीटी विभाग द्वारा अभियोजन की मंजूरी को नकार दिया जो सरकार पर न सिर्फ बल्कि सीएम योगी आदित्यनाथ के जीरो टॉलरेंस पर बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है।



Body:वीओ
उत्तर प्रदेश में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे सदाकांत के खिलाफ भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोप लगे थे और सीबीआई ने उनके खिलाफ एफआईआर तक दर्ज कर दी थी, लेकिन जब केंद्र सरकार के डीओपीटी विभाग ने योगी आदित्यनाथ सरकार सदाकांत के खिलाफ कार्यवाही के लिए अभियोजन की मंजूरी मांगी तो योगी आदित्यनाथ सरकार ने उसे खारिज कर दिया। सरकार का यह फैसला सवाल खड़े कर रहा है कि अफसरों को देख कर कार्यवाही की जाती है अगर कोई अफ़सर किसी का करीबी है तो उसे बख्श दिया जाता है। सदाकांत के खिलाफ भ्रष्टाचार के कई मामलों को लेकर सीबीआई ने मुकदमा दर्ज किया था बावजूद इसके योगी आदित्यनाथ सरकार ने उन्हें कई महत्वपूर्ण पदों पर बैठाए रखा था आवास विभाग और लोक निर्माण में तैनाती दी गई थी और जब डीओपीटी ने अभियोजन की मंजूरी मांगी तो उसे ख़ारिज कर दिया गया।

बाईट
डॉ एसपी सिंह, पूर्व आईएएस, राजनीतिक विश्लेषक
योगी आदित्यनाथ सरकार जब बनी थी तो भ्रष्टाचार और गुंडाराज को समाप्त करने का दावा किया था सरकार की तरफ से जो कार्यवाही होगी रही है उनकी तारीफ की जानी चाहिए लेकिन अफसरों को सिलेक्ट करके उनके खिलाफ कार्यवाही नहीं की जानी चाहिए ऐसा करने से सरकार का दोहरा चरित्र उजागर हो रहा है अगर किसी अधिकारी के खिलाफ भ्रष्टाचार की गंभीर शिकायतें हैं सीबीआई डीओपीटी की तरफ से कार्यवाही की मंजूरी मांगी जाती है तो उसे खारिज कर देना अपने आप में सरकार की छवि पर सवाल खड़े करता है।
बाईट
नवीन श्रीवास्तव, प्रवक्ता यूपी भाजपा
योगी आदित्यनाथ सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त से कार्यवाही कर रही है अधिकारी कोई भी हो उसे बख्शा नहीं जाएगा भले ही वह सेवानिवृत्त हो गया हो सदाकांत के मामले में नियुक्ति विभाग को हो सकता है कोई कमी नजर आई हो ऐसे में फैसला नहीं किया जा सका हो लेकिन सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस पर ही काम कर रही है किसी भी अफसर को बचाने का काम नहीं किया जाएगा।






Conclusion:कांग्रेस की नेता रही और योगी सरकार में मंत्री रहे प्रयागराज से अभी लोकसभा चुनाव जीतने वाली रीता बहुगुणा जोशी का घर फूकने के मामले में आईपीएस अफसर प्रेम प्रकाश वह हरीश कुमार के खिलाफ सी बी सी डी आई डी ने जांच शुरू की थी इन अफसरों के खिलाफ सीबीसीआईडी ने अभियोजन की मंजूरी मांगी तो इस प्रकरण पर भी योगी आदित्यनाथ सरकार ने अभियोजन की मंजूरी को खारिज कर दिया और यह तर्क दिया कि इनके खिलाफ अभियोजन दिए जाने का कोई औचित्य नहीं है या भी योगी आदित्यनाथ सरकार के कामकाज पर सवालिया निशान छोड़ रहा है जब सीबीसीआईडी जांच हो रही है तो ऐसे अफसरों के खिलाफ कार्यवाही के लिए अभियोजन की मंजूरी क्यों नहीं दी जा रही है। भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस का यह क्या मतलब हुआ कि अधिकारियों को सिलेक्ट करके कार्यवाही की जाती है उत्तर प्रदेश में तमाम ऐसे महत्वपूर्ण पद है जिन पर ऐसे अफसर भी विराजमान है जिनके खिलाफ तमाम गंभीर आरोप भी लगे हुए हैं।
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