लखनऊ: कानपुर के बिकरू कांड में 8 पुलिसकर्मियों के शहीद होने के बाद से लगातार कानपुर पुलिस पर सवाल खड़े हो रहे हैं. इस घटना के पीछे तत्कालीन एसओ चौबेपुर विनय तिवारी व पूर्व एसएसपी कानपुर अनंत देव तिवारी की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है. गुरुवार को 2 जुलाई को हुई घटना से ठीक पहले शहीद सीओ देवेंद्र मिश्रा व एसपीआरए के बीच हुई बातचीत का ऑडियो सामने आया है, जिसको लेकर सियासत भी जोर पकड़ रही है.
डीआईजी के खिलाफ कार्रवाई की उठी मांग
शहीद सीओ देवेंद्र मिश्रा और एसपीआरए की बातचीत का ऑडियो सामने आने के बाद डीआईजी अनंत देव तिवारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग तेज हो गई है. एक ओर जहां नूतन ठाकुर ने डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी को पत्र लिखकर अनंत देव तिवारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है तो वहीं पूर्व डीजीपी एके जैन ने इस ऑडियो को अनंत देव तिवारी के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पर्याप्त माना है.
'डीआईजी पर हो कड़ी कार्रवाई'
पूर्व डीजीपी एके जैन का कहना है कि सरकार चाहे तो ऑडियो की जांच करवाकर अनंत देव तिवारी के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है. जिस तरह से बातचीत में बातें निकलकर सामने आ रही हैं, इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि थाने व कानपुर के कप्तान के स्तर पर भ्रष्टाचार किया गया है, जिसके चलते तत्कालीन एसओ चौबेपुर विनय तिवारी और एसएसपी रहे अनंत देव तिवारी के ऊपर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए.
पांच लाख रुपये में बंद हो गई जांच
ऑडियो में शहीद सीओ देवेंद्र मिश्रा एसपीआरए को जानकारी देते हुए बता रहे हैं कि तत्कालीन एसओ चौबेपुर विनय तिवारी विकास दुबे के पैर छूता है और जिस तरीके से उसकी कार्यप्रणाली है, वह थाने में कई लोगों की हत्या का कारण बन सकता है. ऑडियो में शहीद सीओ एसपीआरए को जानकारी देते हुए बता रहे हैं कि विनय तिवारी क्षेत्र में जुआ खिलाता है, जिसको लेकर मैंने कार्रवाई की थी. कार्रवाई करने के बाद तत्कालीन एसएससी अनंत देव तिवारी ने रिपोर्ट मांगी थी. रिपोर्ट भी उपलब्ध कराई गई, लेकिन विनय तिवारी ने जुआ खिलाने वाले से 5 लाख रुपये लेकर अनंत देव को पहुंचा दिया, जिसके बाद विनय तिवारी के खिलाफ की गई सभी जांच को समाप्त कर दिया गया.
दो और ऑडियो आए सामने
विनय तिवारी और सीओ देवेंद्र मिश्रा के दो और ऑडियो सामने आए हुए हैं. पहले ऑडियो में चौबेपुर के तत्कालीन एसओ विनय तिवारी और शहीद सीओ देवेंद्र मिश्रा के बीच विकास दुबे के ऊपर एफआईआर दर्ज करने को लेकर बातचीत हो रही है, जिसमें देवेंद्र मिश्रा ने एफआईआर दर्ज कर एसपीआरए को सूचित करने की बात कही है. दूसरे ऑडिया घटना से ठीक पहले एसओ चौबेपुर विनय तिवारी व शहीद सीओ देवेंद्र मिश्रा की बातचीत का है, जिसमें विनय तिवारी जबरन दबिश पर सीओ देवेंद्र मिश्रा को साथ में चलने के लिए दबाव बना रहा है. विनय तिवारी के कहने पर ही सीओ देवेंद्र मिश्रा मौके पर गए और वहां पर विकास दुबे व उसके साथियों ने देवेंद्र मिश्रा सहित आठ पुलिसकर्मियों को मौत के घाट उतार दिया.
क्यों नहीं हो रही डीआईजी पर कार्रवाई ?
कानपुर के बिकरू कांड के बाद एसओ चौबेपुर विनय तिवारी को सस्पेंड कर दिया गया था. पुलिस ने विनय तिवारी को गिरफ्तार कर जेल भी भेज दिया है, लेकिन अब तक डीआईजी अनंत देव तिवारी के ऊपर कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है. अधिकारी अनंत देव पर कार्रवाई को लेकर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं. हालांकि, इस पूरे मामले की जांच के लिए शासन स्तर से एसआईटी व सर्वोच्च न्यायालय ने न्यायिक आयोग का गठन किया गया है, जो पूरे मामले की जांच कर रही है, लेकिन इसी बीच ऑडियो सामने आने के बाद सवाल खड़े हो रहे हैं कि जब ऑडियो में शहीद देवेंद्र मिश्रा की बातचीत से यह बात निकलकर सामने आ रही है कि तत्कालिक एसएसपी अनंत देव तिवारी ने भ्रष्टाचार किया है तो फिर ऑडियो की जांच कर उनके खिलाफ शासन कार्रवाई क्यों नहीं कर रहा है ?
...तो नहीं होता बिकरू कांड
पूर्व डीजीपी एके जैन का कहना है कि जिस तरह से विनय तिवारी व तत्कालीन एसएसपी की भूमिका निकलकर सामने आई है. ऐसे में इनके ऊपर पहले ही कार्रवाई होनी चाहिए थी. विनय तिवारी ने घटना के दौरान सीओ को आगे कर दिया और सीओ सहित आठ पुलिसकर्मियों की हत्या हो गई और विनय तिवारी खुद ही वहां से भाग निकला. अगर उच्च अधिकारी पहले ही विनय तिवारी को हटाकर वहां पर किसी दूसरे एसओ की तैनाती करते तो इस घटना से बचा जा सकता था. घटना के पीछे जिन लोगों की लापरवाही और भ्रष्टाचार उजागर हो रहा है उनके खिलाफ सरकार को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए.
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नूतन ठाकुर ने की कार्रवाई की मांग
सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर का कहना है कि दिवंगत सीओ देवेंद्र मिश्रा और एसपीआरए के बीच हुई बातचीत का ऑडियो में यह बात निकलकर सामने आई है कि विनय तिवारी ने जुआ खिलाने के लिए डेढ़ लाख रुपये लिए और इसकी शिकायत होने पर तत्कालीन एसएसपी अनंत देव तिवारी ने 5 लाख रुपये लिए, जो कि भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता है. इस मामले में कार्रवाई के लिए मैंने डीजीपी को पत्र लिखा है.