लखनऊः एलडीए की बसंतकुंज योजना में करीब 15 सौ आवंटियों को कब्जे नहीं मिल सके हैं. इनमें करीब एक हजार पुराने और करीब 5 सौ नए आवंटी हैं. पुराने आवंटी पिछले करीब 20 साल से कब्जे का इंतजार कर रहे हैं और नए आवंटियों को भी डेढ़ साल का वक्त बीत चुका है. जबकि कब्जा नहीं मिला है. यहां करीब 15 साल तक तो पहले किसानों से विवाद बना रहा और उसके बाद में कोरोना काल में और अभियंताओं के फेरबदल के चलते कब्जे के लिए लोग मोहताज हैं. प्राधिकरण का दावा है कि बहुत जल्द ही आवंटियों को उनका आशियाना बनाने का मौका मिलेगा.
बसंतकुंज योजना का आगाज 2002 में हरदोई रोड पर हुआ था. जहां काकोरी ब्लॉक की जमीन का भूमि अर्जन करके करीब 1100 भूखंड प्राधिकरण ने नियोजित किए थे. जिनमें केवल 100 को ही कब्जा दिया जा सका था और बाकी लोग किसानों के आंदोलन की वजह से कब्जा नहीं पा सके थे. प्राधिकरण ने किसानों के साथ विवाद को साल 2019 में निपटा दिया. इसके बाद योजना में विकास कार्य का आगाज हुआ. इस बीच प्राधिकरण ने इस साल के प्रारंभ तक दो चरणों में करीब 500 भूखंड यहां और आवंटित कर दिए. इन सारे भूखंडों का कुल भुगतान प्राधिकरण लगभग 400 करोड़ रुपये अपने खाते में जमा करवा चुका है.
चौक के नाईबाड़ा के रहने वाले एक आवंटी रामकिशोर रस्तोगी का कहना है कि उन्होंने जब आवंटन करवाया था, तो कहा गया था कि अधिकतम दो साल में कब्जा मिल जाएगा. लेकिन अब तक विकास कार्य ही पूरे नहीं किए गए हैं. ठाकुरगंज के रुद्रप्रताप सिंह का कहना है कि उन्होंने 2020 में आवंटन करवाया था. तब कहा गया था कि 2020 के अंत तक कब्जा मिल जाएगा. मगर अभी तो दूर-दूर तक कोई संभावना नहीं नजर आ रही है. लखनऊ जनकल्याण महासमिति के अध्यक्ष उमाशंकर दुबे का कहना है कि एलडीए ने अभी कब्जा नहीं दिया तो इतनी परेशानियां हैं और कब्जा देने के बाद क्या होगा. इसकी कल्पना भी मुश्किल है.
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पहले कोरोना की वजह से करीब छह महीने काम नहीं हुआ. इसके बाद में बसंतकुंज योजना में अभियंताओं ने बदलाव कर दिया. आरोप है कि कुछ ठेकेदारों के दबाव में एक पूर्व अधिकारी ने बेहतर काम कर रहे अभियंताओं को यहां से हटा दिया था. जिसकी वजह से विलंब बढ़ता गया. प्राधिकरण के मुख्य अभियंता इंदुशेखर सिंह का कहना है कि हम कोशिश कर रहे हैं कि तेजी से काम किया जाए और जल्द से जल्द लोगों को कब्जा दिया जाए.