लखनऊः प्रदेश की राजधानी में निजी अस्पतालों एवं डायग्नोसिस सेंटरों की संख्या तो लगातार बढ़ रही है पर निगरानी व्यवस्था ध्वस्त है. सूत्रों का दावा है कि स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत अफसरों की मिलीभगत से फर्जी तरीके से तमाम डायग्नोसिस सेंटर चल रहे हैं. हाल ही में माल इलाके में फर्जी डायग्नोसिस सेंटर पकड़ा गया था. मामले में डॉक्टरों के जेल जाने के बाद स्वास्थ्य विभाग की नींद खुल गई है. हालांकि सीएमओ का कहना है कि अभी पुलिस ने जानकारी नहीं दी है, फिर भी सूचनाओं के आधार पर जांच कमेटी गठित कर दी गई है.
प्राइवेट अस्पताल, डायग्नोसिस सेंटर और एलोपैथ प्रैक्टिशनर को मिलाकर करीब 1800 लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया
राजधानी में प्राइवेट अस्पताल, डायग्नोसिस सेंटर और एलोपैथ प्रैक्टिशनर को मिलाकर करीब 1800 लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया है. इसमें अस्पतालों की संख्या 750 है. करीब 500 डायग्नोसिस सेंटर हैं. वर्ष 2020 में करीब 30 अस्पताल और डायग्नोसिस सेंटर पंजीकृत हुए हैं. डायग्नोसिस सेंटर की जांच के लिए अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी के नेतृत्व में कमेटी गठित है. हालांकि इस कमेटी ने इस साल कोरोना काल का हवाला देकर सेंटरों की जांच करने की जरूरत नहीं समझी. विभागीय सूत्र बताते हैं कि 11 माह में सिर्फ 22 सेंटर की जांच की गई है. इस जांच में 2 सेंटरों में विभागीय टीम को गड़बड़ियां मिलीं. इन्हें नोटिस देकर दुरुस्त कराने का दावा किया जा रहा है.
सवालों के घेरे में आया स्वास्थ्य विभाग, जांच शुरू
माल क्षेत्र के जहटा रोड पर फर्जी तरीके से चलने वाले डायग्नोसिस सेंटर का खुलासा होने और विभागीय डॉक्टर के जेल जाने के बाद महकमे में हलचल मची है. फर्जी डायग्नोसिस चलाने का आरोपी डॉ. अनिल कुमार पांडे चिनहट सीएससी के अंतर्गत आने वाले पूरब गांव पीएससी पर कार्यरत थे. इस डॉक्टर की नियुक्ति संविदा पर हुई थी. पीएचसी में कार्यरत इस डॉक्टर पर आरोप है कि फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर डायग्नोसिस सेंटर चला रहा था. करीब 3 साल पहले इस सेंटर को मंजूरी दी गई थी. डॉक्टर अनिल कुमार पांडे के गिरफ्तार होने के बाद विभाग में सेंटर से संबंधित पत्रावली निकाली जा रही हैं. सीएमओ डॉक्टर संजय भटनागर ने बताया कि मामले की जांच के लिए डॉ. आर वी सिंह और डॉ. आर के चौधरी के नेतृत्व में कमेटी गठित कर दी गई है. यह कमेटी मौका मुआयना करने के साथ ही पूरे प्रकरण की जांचकर 3 दिन में रिपोर्ट सौंपेगी. रिपोर्ट के आधार पर आरोपी डॉक्टर के खिलाफ अग्रिम कार्रवाई की जाएगी.
सीएमओ ने कहा, करेंगे कार्रवाई
इस बाबत सीएमओ डॉक्टर संजय भटनागर का कहना है कि कमेटी जरूरत के हिसाब से जांच करती है. जहां तक माल क्षेत्र के प्रकरण का मामला है तो अभी तक पुलिस की ओर से कोई जानकारी नहीं दी गई है. फिर भी सूचनाओं के आधार पर जांच कमेटी गठित कर दी गई है. जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी. जल्द ही अन्य सेंटरों की भी जांच कराई जाएगी.
डॉक्टर गया जेल तो जागा स्वास्थ्य विभाग, बनाई जांच कमेटी - Fake diagnosis center caught in Lucknow
लखनऊ क्षेत्र में जिस तेजी से निजी अस्पताल व डायग्रोसिस सेंटर खुल रहे हैं, उसी तेजी से फर्जीवाड़े की भी चर्चा हो रही है. हाल ही में माल क्षेत्र में फर्जी डायग्रोसिस सेंटर पकड़ा गया है. अब स्वास्थ्य विभाग ने जांच कमेटी बनाकर पड़ताल शुरू की है.
लखनऊः प्रदेश की राजधानी में निजी अस्पतालों एवं डायग्नोसिस सेंटरों की संख्या तो लगातार बढ़ रही है पर निगरानी व्यवस्था ध्वस्त है. सूत्रों का दावा है कि स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत अफसरों की मिलीभगत से फर्जी तरीके से तमाम डायग्नोसिस सेंटर चल रहे हैं. हाल ही में माल इलाके में फर्जी डायग्नोसिस सेंटर पकड़ा गया था. मामले में डॉक्टरों के जेल जाने के बाद स्वास्थ्य विभाग की नींद खुल गई है. हालांकि सीएमओ का कहना है कि अभी पुलिस ने जानकारी नहीं दी है, फिर भी सूचनाओं के आधार पर जांच कमेटी गठित कर दी गई है.
प्राइवेट अस्पताल, डायग्नोसिस सेंटर और एलोपैथ प्रैक्टिशनर को मिलाकर करीब 1800 लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया
राजधानी में प्राइवेट अस्पताल, डायग्नोसिस सेंटर और एलोपैथ प्रैक्टिशनर को मिलाकर करीब 1800 लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया है. इसमें अस्पतालों की संख्या 750 है. करीब 500 डायग्नोसिस सेंटर हैं. वर्ष 2020 में करीब 30 अस्पताल और डायग्नोसिस सेंटर पंजीकृत हुए हैं. डायग्नोसिस सेंटर की जांच के लिए अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी के नेतृत्व में कमेटी गठित है. हालांकि इस कमेटी ने इस साल कोरोना काल का हवाला देकर सेंटरों की जांच करने की जरूरत नहीं समझी. विभागीय सूत्र बताते हैं कि 11 माह में सिर्फ 22 सेंटर की जांच की गई है. इस जांच में 2 सेंटरों में विभागीय टीम को गड़बड़ियां मिलीं. इन्हें नोटिस देकर दुरुस्त कराने का दावा किया जा रहा है.
सवालों के घेरे में आया स्वास्थ्य विभाग, जांच शुरू
माल क्षेत्र के जहटा रोड पर फर्जी तरीके से चलने वाले डायग्नोसिस सेंटर का खुलासा होने और विभागीय डॉक्टर के जेल जाने के बाद महकमे में हलचल मची है. फर्जी डायग्नोसिस चलाने का आरोपी डॉ. अनिल कुमार पांडे चिनहट सीएससी के अंतर्गत आने वाले पूरब गांव पीएससी पर कार्यरत थे. इस डॉक्टर की नियुक्ति संविदा पर हुई थी. पीएचसी में कार्यरत इस डॉक्टर पर आरोप है कि फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर डायग्नोसिस सेंटर चला रहा था. करीब 3 साल पहले इस सेंटर को मंजूरी दी गई थी. डॉक्टर अनिल कुमार पांडे के गिरफ्तार होने के बाद विभाग में सेंटर से संबंधित पत्रावली निकाली जा रही हैं. सीएमओ डॉक्टर संजय भटनागर ने बताया कि मामले की जांच के लिए डॉ. आर वी सिंह और डॉ. आर के चौधरी के नेतृत्व में कमेटी गठित कर दी गई है. यह कमेटी मौका मुआयना करने के साथ ही पूरे प्रकरण की जांचकर 3 दिन में रिपोर्ट सौंपेगी. रिपोर्ट के आधार पर आरोपी डॉक्टर के खिलाफ अग्रिम कार्रवाई की जाएगी.
सीएमओ ने कहा, करेंगे कार्रवाई
इस बाबत सीएमओ डॉक्टर संजय भटनागर का कहना है कि कमेटी जरूरत के हिसाब से जांच करती है. जहां तक माल क्षेत्र के प्रकरण का मामला है तो अभी तक पुलिस की ओर से कोई जानकारी नहीं दी गई है. फिर भी सूचनाओं के आधार पर जांच कमेटी गठित कर दी गई है. जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी. जल्द ही अन्य सेंटरों की भी जांच कराई जाएगी.