लखनऊ: जैन धर्म शक्ति स्वरूपा नारी को बाल्यकाल से ही संस्कारी और शाकाहारी बनाता है. शाकाहार दृढ़ता और शक्ति प्रदान करता है. यही कारण है कि आज विश्व के अधिकांश लोग शाकाहार की ओर आकृष्ट हो रहे हैं. यह बात प्रो. अभय जैन ने कही. वह बुधवार को उ. प्र. जैन विद्या शोध संस्थान और संस्कृति विभाग की ओर से संयुक्त रूप से आयोजित वेबिनार में विचार व्यक्त कर रहे थे.
वेबिनार का विषय 'जैन धर्म में नारी का स्थान' था. वेबिनार का आयोजन मिशन शक्ति के तहत किया गया. इससे पहले संस्थान के निदेशक डाॅ. राकेश सिंह और उपाध्यक्ष प्रो. अभय जैन ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया. वेबिनार में विशेष रूप से जम्बूद्वीप हस्तिनापुर से पीठाधीश्वर स्वामी रवीन्द्रकीर्ति जी और डॉ. जीवन प्रकाश भी जुड़े.
वेबिनार में राजधानी से से त्रिशला जैन, डा०राका जैन, बरेली से प्रो. निवेदिता, खतौली से डॉ. ज्योति जैन, मेरठ से डॉ. मीनाक्षी जैन, मैनपुरी से डॉ. शिवानी जैन, मुरादाबाद से रिचा जैन, गोरखपुर से कमलेश जैन और मथुरा से मनीषा जैन ने विचार व्यक्त किये. सबकी बातों का सार यही था कि भारतीय जैन संस्कृति में माता की आन्तरिक शक्ति ही बच्चों को करुणा एवं प्रेम की भाषा शिखाकर क्षमा जैसे शस्त्र से सुसज्जित कर शक्तिशाली नागरिक बनाती है.