लखनऊ: ब्लैक फंगस यानी म्यूकर माइकोसिस आंखों पर हमला करता है. इससे मरीज की आंखों की रोशनी प्रभावित हो सकती है. समय पर लक्षणों को पहचान व इलाज शुरू कर बीमारी से होने वाले खतरों को काफी हद तक कम कर सकते हैं. यह जानकारी संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) की तरफ से म्यूकर माइकोसिस बीमारी के प्रबंधन पर आयोजित वेबिनार में नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. रचना अग्रवाल ने दी.
ब्लैक फंगस का बड़ा कारण है शुगर
डॉ. रचना अग्रवाल के मुताबिक, आंखों की रोशनी बचाने के लिए ऑपरेशन तक करने की जरूरत पड़ती है. आंखों की पुतली की गति भी इसमें प्रभावित होती है. लिहाजा इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. इंडोक्राइनोलॉजी विभाग के डॉ. सुभाष यादव ने कहा कि बेकाबू शुगर फंगस का अहम कारण है. कोरोना संक्रमित मरीज को स्टेरॉइड देने की जरूरत पड़ती है. इसकी वजह से मरीज में रोगों से लड़ने की ताकत कम होती है. पहले से कम रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले मरीज आसानी से फंगस की जद में आ जाते हैं. लिहाजा मरीज शुगर काबू में रखें और डॉक्टर की सलाह पर दवाएं लेते रहें.
शल्य क्रिया से ही उपचार संभव
इमरजेंसी मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर एवं अध्यक्ष डॉक्टर आर के सिंह ने कहा कि एंटी फंगल ट्रीटमेंट के साथ-साथ सुप्रशिक्षित, नाक, कान, गला, रोग विशेषज्ञ द्वारा शल्य क्रिया के साथ ही इसका उपचार संभव है.
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यह है प्रमुख लक्षण
न्यूरो ईएनटी विभाग के डॉ. अमित केसरी ने बताया कि साइनस में फंगस पनपता है. इससे आंख, चेहरे पर सूजन आ जाती है. नाक बहने लगती है. कई बार नाक बंद हो जाती है. सिर दर्द समेत दूसरी दिक्कतें होती है. शुरुआत में दवाओं से इलाज संभव है. वेबिनार में प्रदेश के कई मेडिकल कॉलेजों के कोविड प्रबंधन से जुड़े विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया. इसके पूर्व एसजीपीजीआई के निदेशक आरके धीमान ने वेबिनार में भाग ले रहे विशेषज्ञों का स्वागत किया.