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झुलसा रोग और चूहों से आलू को बचाएं, किसान ये तरीके अपनाएं - आलू की खेती को चूहों से बचाने के तरीके

आलू की फसल पर इन दिनों झुलसा लगने का खतरा बढ़ गया है, इसलिए किसान भाई शीघ्र उस पर झुलसा रोग रोधी दवाओं का छिड़काव कर दें. जिससे फसल का बचाव हो सके. यह सलाह डॉ. सत्येंद्र सिंह ने किसानों को दी. वहीं झुलसा की दवा के साथ ही चूहे को मारने के लिए भी दवा का छिड़काव करने की सलाह दी है.

आलू को इस तरीके से बचाएं
आलू को इस तरीके से बचाएं
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Published : Feb 18, 2021, 9:27 PM IST

लखनऊ: इन दिनों किसान आलू की खेती बढ़-चढ़कर कर रहे हैं. राजधानी में इस बार पिछले साल की अपेक्षा काफी हद तक आलू का उत्पादन हुआ है. वहीं आलू की फसल को लेकर किसानों को सजग भी रहना होगा, ताकि चूहे आलू को बर्बाद न कर सकें.

दवाओं का छिड़काव कर आलू को बचाने के तरीके.

फरवरी से मार्च के बीच आलू की फसल होती है तैयार
उत्तर प्रदेश के कोने-कोने में किसानों द्वारा रवि की फसल की तैयारी शुरू कर दी गई है. आलू की बुवाई भी अक्टूबर माह से शुरू हो जाती है और उसके बाद आलू में सिंचाई गुड़ाई निराई की जाती है, समय समय पर खाद डाला जाता है. उसके बाद फरवरी से मार्च के बीच आलू पूरी तरह से तैयार हो जाता है. वहीं इस दौरान किसानों को कई उतार-चढ़ाव से गुजारना पड़ता है. एक तरफ आलू की खुदाई के दौरान खेत में चूहे भी लगने लगते हैं, जिससे फसल बर्बाद होने की ज्यादा आशंका रहती है. इसको लेकर किसानों को ध्यान रखना होता है, जिससे फसल में चूहे न लगें और उत्पादन अधिक हो सके.

किसान नोखे लाल ने बताया कि आलू की पैदावार पूरी तरह से हो गई है. वहीं मौसम में बदलाव के चलते आलू में झुलसा रोग और चूहे लगने लगे हैं. इसके चलते समय-समय पर दवाओं का छिड़काव किया जा रहा है. चूहों से बचाव के लिए लैया में दवा का मिश्रण किया जा रहा है, जिससे आलू की फसल को बचाया जा सके.

इस तरीके से करें बचाव
कृषि विशेषज्ञ डॉ. सत्येंद्र सिंह आलू की फसल को चूहों से बचाव के तरीके बताए. उन्होंने बताया कि मौसम में बदलाव होने के कारण आलू की फसल पर झूलसा का प्रकोप दिखता है. इसके लिए किसानों को टेगराम ग्राम 35 प्रतिशत 40 ग्राम, बायलोन की दवा 5 ग्राम, 15 लीटर पानी में घोलकर मिलाकर छिड़काव करना चाहिए. इससे आलू के खेत में झुलसा रोग के साथ-साथ चूहे भी नहीं लगते हैं. इससे किसान भाइयों की आलू की खूब पैदावर होगी.

लखनऊ: इन दिनों किसान आलू की खेती बढ़-चढ़कर कर रहे हैं. राजधानी में इस बार पिछले साल की अपेक्षा काफी हद तक आलू का उत्पादन हुआ है. वहीं आलू की फसल को लेकर किसानों को सजग भी रहना होगा, ताकि चूहे आलू को बर्बाद न कर सकें.

दवाओं का छिड़काव कर आलू को बचाने के तरीके.

फरवरी से मार्च के बीच आलू की फसल होती है तैयार
उत्तर प्रदेश के कोने-कोने में किसानों द्वारा रवि की फसल की तैयारी शुरू कर दी गई है. आलू की बुवाई भी अक्टूबर माह से शुरू हो जाती है और उसके बाद आलू में सिंचाई गुड़ाई निराई की जाती है, समय समय पर खाद डाला जाता है. उसके बाद फरवरी से मार्च के बीच आलू पूरी तरह से तैयार हो जाता है. वहीं इस दौरान किसानों को कई उतार-चढ़ाव से गुजारना पड़ता है. एक तरफ आलू की खुदाई के दौरान खेत में चूहे भी लगने लगते हैं, जिससे फसल बर्बाद होने की ज्यादा आशंका रहती है. इसको लेकर किसानों को ध्यान रखना होता है, जिससे फसल में चूहे न लगें और उत्पादन अधिक हो सके.

किसान नोखे लाल ने बताया कि आलू की पैदावार पूरी तरह से हो गई है. वहीं मौसम में बदलाव के चलते आलू में झुलसा रोग और चूहे लगने लगे हैं. इसके चलते समय-समय पर दवाओं का छिड़काव किया जा रहा है. चूहों से बचाव के लिए लैया में दवा का मिश्रण किया जा रहा है, जिससे आलू की फसल को बचाया जा सके.

इस तरीके से करें बचाव
कृषि विशेषज्ञ डॉ. सत्येंद्र सिंह आलू की फसल को चूहों से बचाव के तरीके बताए. उन्होंने बताया कि मौसम में बदलाव होने के कारण आलू की फसल पर झूलसा का प्रकोप दिखता है. इसके लिए किसानों को टेगराम ग्राम 35 प्रतिशत 40 ग्राम, बायलोन की दवा 5 ग्राम, 15 लीटर पानी में घोलकर मिलाकर छिड़काव करना चाहिए. इससे आलू के खेत में झुलसा रोग के साथ-साथ चूहे भी नहीं लगते हैं. इससे किसान भाइयों की आलू की खूब पैदावर होगी.

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