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हाईकोर्ट के सुझाव पर वसीम रिजवी ने कहा- गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित होने पर गर्व होगा

इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने के सुझाव पर देश में एक बार फिर से चर्चा शुरू हो गई है. हिंदू समाज के साथ मुस्लिम समाज भी कोर्ट के इस सुझाव का स्वागत किया है.

हाईकोर्ट के सुझाव पर मेरठ के अधिवक्ताओं की राय.
हाईकोर्ट के सुझाव पर मेरठ के अधिवक्ताओं की राय.
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Published : Sep 2, 2021, 7:15 PM IST

लखनऊ/मेरठः इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा गाय को लेकर की गई टिप्पणी के बाद से देश एक मत नजर आ रहा है. कोर्ट द्वारा गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने के सुझाव पर देश में एक बार फिर से चर्चा शुरू हो गई है. मुस्लिम समाज ने भी कोर्ट के इस सुझाव का स्वागत किया है और हिंदुओं कि आस्था का सम्मान रखने के लिए केंद्र सरकार से जल्द कदम उठाने की भी बात कही है. अपने विवादित बयानों से अक्सर सुर्खियों में रहने वाले उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी ने भी गाय के राष्ट्रीय पशु घोषित किए जाने के सुझाव स्वागत किया है. वहीं, मेरठ में अधिवक्ताओं और बुद्धिजीवियों ने भी हाईकोर्ट के सुझाव को स्वागतयोग्य बताया है.

वसीम रिजवी, पूर्व चेयरमैन शिया वक्कफ बोर्ड.


वसीम रिजवी ने कहा कि देर आए लेकिन दुरुस्त आए. गाय के सम्मान में हाईकोर्ट ने जो सुझाव दिया है उसका हम सम्मान करते हैं. वसीम रिजवी ने कहा कि गाय को काटने वालों को यह बात सोचनी चाहिए कि वह एक जानवर को नहीं बल्कि अपनी मां को काट रहें है. गाय को सम्मान दिया जाना और राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाना हमारे लिए गर्व की बात होगी.

हाईकोर्ट के सुझाव पर मेरठ के अधिवक्ताओं की राय.

मेरठ में अधिवक्ताओं ने भी रखी राय
मेरठ शहर के प्रसिद्ध अधिवक्ता रामकुमार शर्मा ने कहा कि हाईकोर्ट का सुझाव निसंदेह स्वागत योग्य है. हिंदुओं के लिए गाय और गौसेवा आस्था से जुड़ा विषय है. अधिवक्ता राम ने कहा कि भारत के कई राज्यों में जहां बीफ परोसा जाता हो वहां इस सुझाव को अमल में लाना मुश्किल लगता है. उन्होंने कहा कि सरकार चाहे तो ऐसा कर भी सकती है. वहीं, वरिष्ठ अधिवक्ता मोहम्मद जब्बार का कहना है कि वो मानते हैं कि हिंदू गाय को पूजते हैं. लेकिन क्या बाकी के राज्यों में सरकार को इस मुद्दे पर विरोध सहन करने की हिम्मत है. उन्होंने कहा कि अगर गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाए तो इसमें उन्हें कहीं कोई एतराज नहीं है. उन्होंने कहा कि एक राज्य के बीजेपी से ताल्लुक रखने वाले भूतपूर्व मुख्यमंत्री तो बीफ की उपलब्धता पर अपने राज्य की जनता को विश्वास दिलाते थे. ऐसे में कैसे देश के हर राज्य में ये सम्भव होगा ये आसान नहीं लग रहा है.
पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाली श्रुति त्यागी का कहना है कि गाय से हिंदुओं की आस्था जुड़ी है. वैदिक काल से ही हिन्दू गाय को पूजते आ रहे हैंय ऐसे में सरकार अगर इस सुझाव पर अमल करती है तो स्वागतयोग्य कदम होगा. फिलहाल मेरठ में गाय को राष्ट्रीय पशु बनने के सुझाव को यहां सराहना मिल रही है, लेकिन क्या सरकार ऐसा कर सकती है. इस पर सवाल भी लोग खड़े करते दिखाई दे रहे हैं.

इसे भी पढ़ें-गाय राष्ट्रीय पशु बनेगी या नहीं, 'राजनीति पशु' तो आजादी के बाद ही बन गई

बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने सुझाव में कहा है कि संसद में बिल लाकर गाय को राष्ट्रीय पशु का दर्जा दिया जाना चाहिए. हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि गाय के कल्याण से ही देश का कल्याण होगा, क्योंकि गाय भारतीय संस्कृति का अहम हिस्सा है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह भी कहा है कि गायों को सिर्फ धार्मिक नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए. गायों का सम्मान हर देशवासी का सम्मान है. हाईकोर्ट के इस बयान के बाद से ही मुस्लिम समुदाय की तरफ से भी गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की मांग उठने लगी है.

लखनऊ/मेरठः इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा गाय को लेकर की गई टिप्पणी के बाद से देश एक मत नजर आ रहा है. कोर्ट द्वारा गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने के सुझाव पर देश में एक बार फिर से चर्चा शुरू हो गई है. मुस्लिम समाज ने भी कोर्ट के इस सुझाव का स्वागत किया है और हिंदुओं कि आस्था का सम्मान रखने के लिए केंद्र सरकार से जल्द कदम उठाने की भी बात कही है. अपने विवादित बयानों से अक्सर सुर्खियों में रहने वाले उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी ने भी गाय के राष्ट्रीय पशु घोषित किए जाने के सुझाव स्वागत किया है. वहीं, मेरठ में अधिवक्ताओं और बुद्धिजीवियों ने भी हाईकोर्ट के सुझाव को स्वागतयोग्य बताया है.

वसीम रिजवी, पूर्व चेयरमैन शिया वक्कफ बोर्ड.


वसीम रिजवी ने कहा कि देर आए लेकिन दुरुस्त आए. गाय के सम्मान में हाईकोर्ट ने जो सुझाव दिया है उसका हम सम्मान करते हैं. वसीम रिजवी ने कहा कि गाय को काटने वालों को यह बात सोचनी चाहिए कि वह एक जानवर को नहीं बल्कि अपनी मां को काट रहें है. गाय को सम्मान दिया जाना और राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाना हमारे लिए गर्व की बात होगी.

हाईकोर्ट के सुझाव पर मेरठ के अधिवक्ताओं की राय.

मेरठ में अधिवक्ताओं ने भी रखी राय
मेरठ शहर के प्रसिद्ध अधिवक्ता रामकुमार शर्मा ने कहा कि हाईकोर्ट का सुझाव निसंदेह स्वागत योग्य है. हिंदुओं के लिए गाय और गौसेवा आस्था से जुड़ा विषय है. अधिवक्ता राम ने कहा कि भारत के कई राज्यों में जहां बीफ परोसा जाता हो वहां इस सुझाव को अमल में लाना मुश्किल लगता है. उन्होंने कहा कि सरकार चाहे तो ऐसा कर भी सकती है. वहीं, वरिष्ठ अधिवक्ता मोहम्मद जब्बार का कहना है कि वो मानते हैं कि हिंदू गाय को पूजते हैं. लेकिन क्या बाकी के राज्यों में सरकार को इस मुद्दे पर विरोध सहन करने की हिम्मत है. उन्होंने कहा कि अगर गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाए तो इसमें उन्हें कहीं कोई एतराज नहीं है. उन्होंने कहा कि एक राज्य के बीजेपी से ताल्लुक रखने वाले भूतपूर्व मुख्यमंत्री तो बीफ की उपलब्धता पर अपने राज्य की जनता को विश्वास दिलाते थे. ऐसे में कैसे देश के हर राज्य में ये सम्भव होगा ये आसान नहीं लग रहा है.
पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाली श्रुति त्यागी का कहना है कि गाय से हिंदुओं की आस्था जुड़ी है. वैदिक काल से ही हिन्दू गाय को पूजते आ रहे हैंय ऐसे में सरकार अगर इस सुझाव पर अमल करती है तो स्वागतयोग्य कदम होगा. फिलहाल मेरठ में गाय को राष्ट्रीय पशु बनने के सुझाव को यहां सराहना मिल रही है, लेकिन क्या सरकार ऐसा कर सकती है. इस पर सवाल भी लोग खड़े करते दिखाई दे रहे हैं.

इसे भी पढ़ें-गाय राष्ट्रीय पशु बनेगी या नहीं, 'राजनीति पशु' तो आजादी के बाद ही बन गई

बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने सुझाव में कहा है कि संसद में बिल लाकर गाय को राष्ट्रीय पशु का दर्जा दिया जाना चाहिए. हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि गाय के कल्याण से ही देश का कल्याण होगा, क्योंकि गाय भारतीय संस्कृति का अहम हिस्सा है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह भी कहा है कि गायों को सिर्फ धार्मिक नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए. गायों का सम्मान हर देशवासी का सम्मान है. हाईकोर्ट के इस बयान के बाद से ही मुस्लिम समुदाय की तरफ से भी गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की मांग उठने लगी है.

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