लखनऊ: यूपी विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण (Second Phase Election) के लिए आज मतदान होना है. वहीं इस चरण में पश्चिम यूपी की 9 जिलों में सहारनपुर, बिजनौर, अमरोहा, संभल, मुरादाबाद, रामपुर, बरेली, बदायूं और शाहजहांपुर की 55 सीटों पर मतदान होगा. इन सीटों पर मुस्लिम और दलित आबादी को देखते हुए पहले चरण की तुलना में यह चुनाव सभी पार्टियों के लिए चुनौतीपूर्ण है. वहीं इस चरण में 25 से अधिक विधानसभा सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक की भूमिका में हैं, जबकि 20 सीटों पर दलित मतदाताओं की संख्या करीब 20% से अधिक है. इन जिलों में सपा-रालोद गठबंधन मजबूत स्थिति में दिखाई दे रहा है, जबकी भाजपा को किसानों की नाराजगी के कारण दिक्कतें पेश आ सकती है.
2017 में 11 मुस्लिम प्रत्याशियों को मिली थी जीत
साल 2017 के विधानसभा चुनाव में पश्चिमी यूपी के इन 9 जिलों की 55 सीटों में सबसे अधिक 11 मुस्लिम प्रत्याशी सपा से जीते थे. जिसमें मुरादाबाद की 6 सीटों में से चार सीटों पर समाजवादी पार्टी के मुस्लिम प्रत्याशी की जीत हुई थी. मोदी लहर के बावजूद यहां दूसरे चरण की इन सीटों पर सपा को 27 सीटों पर जीत मिली थी. जबकि भाजपा को महज 13 पर और बसपा को 11 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. वहीं 2012 के विधानसभा चुनाव में यहां सपा को 27 सीट पर जीत मिली थी, जबकि भाजपा को 8 सीटें ही मिली थीं.
SP-BSP की मजबूत पकड़
वहीं, दूसरे चरण में शामिल विधानसभा सीटों पर मुस्लिम और दलित मतदाताओं की संख्या अधिक होने के कारण यहां समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की पकड़ मजबूत मानी जाती है. हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनाव में जब सपा का बसपा और रालोद से गठजोड़ था. इसके बाद बसपा ने 11 में से चार सीटों- अमरोहा, बिजनौर, नगीना और सहारनपुर पर जीत हासिल की थी, जबकि समाजवादी पार्टी को रामपुर, मुरादाबाद और संभल में जीत मिली थी.
इन जिलों के 35 सीटों पर दलित और मुस्लिम आबादी जीत में एक अहम फैक्टर है, जबकि यहां जाट और ओबीसी मतदाताओं की संख्या भी अच्छी खासी है. वहीं, बदायूं को यादव बाहुल्य जनपद माना जाता है, जिसके चलते इसे समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता है.
जानें क्यों बदले हालात ?
2017 के विधानसभा चुनाव में पूरे पश्चिमी यूपी में मोदी लहर देखने को मिली थी. भाजपा कैराना और मुज्जफरनगर दंगे के मुद्दे पर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण से हिन्दू वोट अपने पाले में करने में सफल रही. लेकिन अबकी हालात पृथक है. इस चुनाव में फसल की खरीद न होने और गन्ना बकाया भुगतान में देरी से किसान भाजपा से खासा नाराज हैं.
सूबे के सियासी जानकारों की मानें तो दूसरे चरण में शामिल जिलों में मुस्लिम और दलित मतदाताओं की संख्या अधिक होने के कारण यहां भाजपा को अबकी कुछ खास फायदा होते नहीं दिख रहा है. साथ ही इस चरण में रालोद का प्रभाव बहुत अधिक नहीं दिख रहा है. इस कारण समाजवादी पार्टी को मुस्लिम सीटों पर फायदा मिल सकता है. जबकि अन्य सीटों पर भाजपा को लाब मिलने की गुंजाइश बन रही है.
बात अगर 2017 के विधानसभा चुनाव की करें यहां गैर मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर भाजपा को बड़ा फायदा मिला था, लेकिन इस बार पिछली बार के मुकाबले कुछ सीटों पर नुकसान की संभावना अधिक बनी हुई है.
ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप