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लखनऊ : अखिलेश यादव के अलावा योगी सरकार के दो मंत्रियों की छठे चरण में अग्नि परीक्षा

लोकसभा चुनाव के छठे चरण का मतदान 12 मई को है. इसके लिए कई दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. इस लोकतंत्र के महापर्व पर सपा के मुखिया अखिलेश यादव समेत योगी सरकार के दो मंत्रियों की अग्नि परीक्षा भी है. उत्तर प्रदेश के कई दिग्गज नेता छठे चरण के मुकाबले में फंसे हैं. इनमें पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी और प्रदेश में मंत्री रीता बहुगुणा जोशी शामिल हैं.

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Published : May 9, 2019, 11:21 PM IST

Updated : May 10, 2019, 2:58 PM IST

लखनऊ : यूपी में पांच चरणों की 53 लोकसभा सीटों पर मतदान हो चुका है. छठे चरण में 14 लोकसभा क्षेत्रों में 12 मई को वोट डाले जाएंगे. इस चरण में आजमगढ़ से चुनाव लड़ रहे सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, सुल्तानपुर से केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी, इलाहाबाद से योगी सरकार की कैबिनेट मंत्री रीता बहुगुणा जोशी और अंबेडकरनगर से मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. वहीं 2014 में जिस फूलपुर संसदीय क्षेत्र से चुनकर उत्तर प्रदेश के मौजूदा डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य संसद पहुंचे थे, उस सीट को भाजपा उपचुनाव में हार गई थी. इस सीट के परिणाम को केशव प्रसाद मौर्य की व्यक्तिगत प्रतिष्ठा से जोड़कर देखा जा रहा है.

छठे चरण का मतदान 12 मई को.

सुलतानपुर
सुलतानपुर संसदीय क्षेत्र से 2014 में भारतीय जनता पार्टी ने वरुण गांधी को चुनावी मैदान में उतारा था. वरुण गांधी ने बसपा प्रत्याशी पवन पांडे को करीब दो लाख मतों से पराजित किया था. वरुण इस बार अपनी मां मेनका गांधी की पीलीभीत सीट से चुनावी मैदान में हैं. मेनका गांधी सुल्तानपुर से चुनाव लड़ रही हैं. मेनका गांधी को कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. संजय सिंह और गठबंधन प्रत्याशी चंद्रभद्र सिंह टक्कर दे रहे हैं. यहां लड़ाई साफ तौर पर त्रिकोणीय दिख रही है. 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सुलतानपुर संसदीय क्षेत्र की चार विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी. एक सीट समाजवादी पार्टी के खाते में गई थी.

प्रतापगढ़
प्रतापगढ़ संसदीय क्षेत्र से पिछली बार भारतीय जनता पार्टी के सहयोगी दल अपना दल के कुंवर हरिवंश सिंह ने जीत दर्ज की थी. यहां दूसरे स्थान पर बहुजन समाज पार्टी तो तीसरे स्थान पर कांग्रेस प्रत्याशी राजकुमारी रत्ना सिंह रहीं. भाजपा ने इस बार यहां से संगम लाल गुप्ता को चुनाव मैदान में उतारा है. वहीं गठबंधन (बसपा) ने अशोक कुमार त्रिपाठी तो कांग्रेस ने एक बार फिर रत्ना सिंह पर विश्वास जताया है. प्रतापगढ़ सीट पर विपक्ष का खेल बिगाड़ने में रघुराज प्रताप सिंह की पार्टी अहम भूमिका अदा करेगी. 2017 के विधानसभा चुनाव में प्रतापगढ़ की पांच विधानसभा सीटों में से चार पर एनडीए ने जीत दर्ज की थी. एनडीए में दो भाजपा के पास और दो अपना दल के पास थी. एक सीट रामपुर खास से कांग्रेस प्रत्याशी आराधना मिश्रा मोना को जीत मिली थी. यह सीट परंपरागत रूप से कांग्रेस जीतती रही है. यहां लगातार नौ बार कांग्रेस के प्रत्याशी प्रमोद तिवारी चुनकर विधानसभा पहुंचते रहे हैं. 2017 में उन्होंने अपनी बेटी मोना मिश्रा को चुनावी मैदान में उतारा था.

फूलपुर
फूलपुर लोकसभा सीट पर 2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश सरकार के मौजूदा उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने जीत दर्ज की थी. 2017 के विधानसभा चुनाव में केशव प्रसाद मौर्य जब उत्तर प्रदेश में डिप्टी सीएम बनाए गए, उसके बाद उप चुनाव में भाजपा से समाजवादी पार्टी ने यह सीट छीन ली. कभी कांग्रेस की परंपरागत सीट कहीं जाने वाली फूलपुर लोकसभा से 1991 से कांग्रेस वापसी नहीं कर सकी है. वर्ष 1957 और 1962 में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने संसद में इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था. इसके बाद 1964 में हुए उपचुनाव में विजय लक्ष्मी पंडित इसी सीट से संसद पहुंचीं. पंडित ने 1967 में भी उन्होंने जीत दर्ज की थी. 2017 के विधानसभा चुनाव में फूलपुर संसदीय क्षेत्र की सभी पांच विधानसभा सीटों पर एनडीए गठबंधन ने जीत दर्ज की, चार सीटें भाजपा के खाते में गईं तो एक सीट अपना दल को मिली.

इलाहाबाद
भारतीय राजनीति के बड़े-बड़े पुरोधाओं ने इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र का संसद में प्रतिनिधित्व किया है. इलाहाबाद से दो बार लाल बहादुर शास्त्री, एक बार हेमवती नंदन बहुगुणा, दो बार जनेश्वर मिश्र, दो बार विश्वनाथ प्रताप सिंह, एक बार बालीवुड महानायक अमिताभ बच्चन और बीजेपी से मुरली मनोहर जोशी संसद पहुंचे हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी श्यामाचरण गुप्ता ने जीत दर्ज की थी. इस बार श्यामाचरण गुप्ता भाजपा छोड़ कर समाजवादी पार्टी के टिकट पर बांदा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. इलाहाबाद से भाजपा ने कैबिनेट मंत्री रीता बहुगुणा जोशी को चुनाव मैदान में उतारा है. 2017 के विधानसभा चुनाव में इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र की 4 विधानसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी, एक सीट करछना से समाजवादी पार्टी के उज्जवल रमण सिंह ने जीती थी.

अंबेडकर नगर
अंबेडकर नगर लोक सभा सीट पर 2014 में भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी. यहां भाजपा प्रत्याशी हरिओम पांडे ने बसपा प्रत्याशी राकेश पांडे को हराया था. तीसरे स्थान पर समाजवादी पार्टी और चौथे स्थान पर कांग्रेस रही. 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा यहां की केवल दो सीटें अपने खाते में लाने में सफल रही है, जबकि तीन सीटों पर बहुजन समाज पार्टी ने जीत दर्ज की थी. इस बार अंबेडकर नगर से योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. मुकुट बिहारी वर्मा बहराईच जिले की कैसरगंज सीट से विधायक हैं. भाजपा ने कुर्मी बहुल सीट होने के नाते वर्मा को इस सीट से लड़ाया है. गठबंधन से बसपा ने अपने विधायक रितेश पांडे को चुनावी मैदान में उतारा है.

श्रावस्ती
वर्ष 2008 में परिसीमन के बाद नवगठित संसदीय क्षेत्र श्रावस्ती से पहली बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी. दूसरी बार 2014 में यह सीट बीजेपी के खाते में गई थी. बीजेपी ने यहां एक बार फिर निवर्तमान सांसद दद्दन मिश्रा पर भरोसा जताया है. बसपा ने राम शिरोमणि वर्मा और कांग्रेस ने धीरेंद्र प्रताप सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है. 2017 के विधानसभा चुनाव में श्रावस्ती संसदीय क्षेत्र की चार विधानसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी. एक सीट बहुजन समाज पार्टी के खाते में गई थी.

डुमरियागंज
डुमरियागंज संसदीय क्षेत्र 2014 में भारतीय जनता पार्टी के जगदंबिका पाल ने जीत दर्ज की थी. जगदंबिका पाल 2009 के चुनाव में इसी सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ कर संसद पहुंचे थे. भाजपा ने इस बार भी जगदंबिका पाल पर भरोसा जताया है. कांग्रेस ने डॉक्टर चंद्रेश उपाध्याय और बसपा ने आफताब आलम को चुनावी मैदान में उतारा है. 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा और उसके सहयोगी दलों ने सभी सीटों पर जीत दर्ज की थी. चार सीटें भाजपा के पास तो एक अपना दल के खाते में गई थी.

बस्ती

बस्ती संसदीय सीट पर पिछले लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के हरीश द्विवेदी ने जीत दर्ज की थी. हरीश द्विवेदी ने बृज किशोर सिंह डिंपल को 33,562 मतों से पराजित किया था. बीजेपी के टिकट पर एक बार फिर हरीश द्विवेदी चुनाव मैदान में उतरे हैं तो इस बार सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे राज किशोर सिंह कांग्रेस के टिकट पर ताल ठोक रहे हैं. राजकिशोर पहले सपा के टिकट पर लड़ने वाले थे, लेकिन गठबंधन के बाद यह सीट बसपा के खाते में चली गई. उन्होंने समाजवादी पार्टी छोड़कर कांग्रेस का हाथ थाम लिया. बसपा ने राम प्रसाद चौधरी को चुनाव मैदान में उतारा है. बस्ती सीट पर प्रत्याशियों की अपनी पकड़ के नाते त्रिकोणीय लड़ाई मजबूती से दिखाई पड़ रही है.

संतकबीर नगर

2008 में परिसीमन के बाद नवगठित संसदीय क्षेत्र संतकबीर नगर से 2009 में पहली बार बहुजन समाज पार्टी के भीष्म शंकर तिवारी ने जीत दर्ज की थी, लेकिन भारतीय जनता पार्टी के शरद त्रिपाठी ने 2014 में यह सीट जीत ली. जूता कांड के बाद निवर्तमान सांसद शरद त्रिपाठी का टिकट काट दिया गया. पार्टी ने शरद त्रिपाठी के पिता यूपी बीजेपी के अध्यक्ष रह चुके डॉ रमापति राम त्रिपाठी को वरिष्ठ नेता कलराज मिश्र की सीट देवरिया से चुनाव मैदान में उतारा है. संत कबीर नगर सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने प्रवीण निषाद को चुनाव मैदान में उतारा है. बसपा ने एक बार फिर हरिशंकर तिवारी के बेटे व पूर्व सांसद भीष्म शंकर उर्फ कुशल तिवारी पर भरोसा जताया है जबकि कांग्रेस ने भालचंद्र यादव को टिकट दिया है. इस सीट पर बसपा काफी मजबूती से चुनाव लड़ रही है. 2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने संत कबीर नगर संसदीय क्षेत्र की सभी 5 सीटों पर जीत दर्ज की थी.

लालगंज

लालगंज सुरक्षित सीट से पिछली बार 2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी नीलम सोनकर चुनाव जीती थीं. पहली बार बीजेपी ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी. 2017 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो लालगंज संसदीय क्षेत्र की पांच विधानसभा सीटों में केवल एक पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी. दो सीटें बसपा के खाते में गई थी और दो पर समाजवादी पार्टी की साइकिल दौड़ी थी. 2017 के लिहाज से भी इस बार भाजपा के लिए इस सीट पर कड़ी चुनौती है.

आजमगढ़

2014 के लोकसभा चुनाव में आजमगढ़ लोकसभा सीट से सपा के संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने जीत दर्ज की थी. भाजपा इस सीट पर 2009 के लोकसभा चुनाव में केवल एक बार जीत दर्ज की है. आजमगढ़ के निवर्तमान सांसद मुलायम सिंह यादव इस बार मैनपुरी से चुनावी ताल ठोक रहे हैं. मुलायम के बेटे व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इस बार चुनाव लड़ने आजमगढ़ पहुंचे हैं. बीजेपी ने अखिलेश की टक्कर में यादव चेहरा और भोजपुरी फिल्मों के स्टार दिनेश लाल यादव निरहुआ को चुनाव मैदान में उतारा है. कांग्रेस अखिलेश यादव के समर्थन में है. उसने यहां से प्रत्याशी नहीं उतारा है. 2017 के विधानसभा चुनाव परिणामों को देखकर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि बीजेपी के लिए आजमगढ़ सीट जीतना कितना कठिन है. गत विधानसभा चुनाव में आजमगढ़ संसदीय क्षेत्र की पांच में से एक भी सीट भाजपा नहीं जीत सकी थी. यहां की तीन सीटें समाजवादी पार्टी ने जीती तो दो बसपा के खाते में गई थी.

जौनपुर

जौनपुर संसदीय क्षेत्र में 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के पी सिंह को जीत मिली थी. भाजपा ने एक बार फिर के पी सिंह पर भरोसा जताया है. गठबंधन की तरफ से बसपा ने जौनपुर सीट से श्याम सिंह यादव को टिकट दिया है तो कांग्रेस से देवब्रत मिश्रा चुनाव लड़ रहे हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव में जौनपुर संसदीय क्षेत्र की दो विधानसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी. दो सीटें सपा के खाते में गई तो 1 पर बसपा का हाथी दौड़ा था.

मछली शहर

मछली शहर संसदीय सीट से बीजेपी के टिकट पर 2014 में चुनाव जीतकर रामचरित्र निषाद संसद पहुंचे थे. भारतीय जनता पार्टी को पिछली बार इस सीट पर 43.91 प्रतिशत वोट हासिल हुआ था. निषाद ने बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी को हराया था. तीसरे स्थान पर समाजवादी पार्टी और चौथे स्थान पर कांग्रेस रही थी. भाजपा ने इस बार रामचरित्र निषाद का टिकट काट कर बीपी सरोज को चुनाव मैदान में उतारा है तो वहीं बसपा ने राम को टिकट दिया है. 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और उसके सहयोगी दल ने चार सीटों पर जीत दर्ज की थी लेकिन एक सीट समाजवादी पार्टी के खाते में गई थी.

भदोही

वर्ष 2008 में परिसीमन के बाद नवगठित भदोही संसदीय सीट पर पहली बार 2009 में बसपा के गोरखनाथ पांडेय ने जीत दर्ज की थी. दूसरी बार 2014 में भाजपा के वीरेंद्र सिंह मस्त को विजय मिली, लेकिन भाजपा ने वीरेंद्र सिंह की जगह इस बार रमेश बिंद को चुनाव मैदान में उतारा है. वहीं कांग्रेस ने भाजपा के आजमगढ़ से सांसद रहे रमाकांत यादव को टिकट दिया है. बसपा के टिकट पर रंगनाथ मिश्र चुनावी ताल ठोक रहे है.

इन सीटों पर होगा चुनाव

छठे चरण में 14 लोकसभा सीटों पर मतदान होगा. छठे चरण में सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, फूलपुर, इलाहाबाद, अंबेडकर नगर, श्रावस्ती, डुमरियागंज, बस्ती, संतकबीरनगर, लालगंज, आजमगढ़, जौनपुर, मछली शहर और भदोही संसदीय क्षेत्र शामिल हैं.

लखनऊ : यूपी में पांच चरणों की 53 लोकसभा सीटों पर मतदान हो चुका है. छठे चरण में 14 लोकसभा क्षेत्रों में 12 मई को वोट डाले जाएंगे. इस चरण में आजमगढ़ से चुनाव लड़ रहे सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, सुल्तानपुर से केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी, इलाहाबाद से योगी सरकार की कैबिनेट मंत्री रीता बहुगुणा जोशी और अंबेडकरनगर से मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. वहीं 2014 में जिस फूलपुर संसदीय क्षेत्र से चुनकर उत्तर प्रदेश के मौजूदा डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य संसद पहुंचे थे, उस सीट को भाजपा उपचुनाव में हार गई थी. इस सीट के परिणाम को केशव प्रसाद मौर्य की व्यक्तिगत प्रतिष्ठा से जोड़कर देखा जा रहा है.

छठे चरण का मतदान 12 मई को.

सुलतानपुर
सुलतानपुर संसदीय क्षेत्र से 2014 में भारतीय जनता पार्टी ने वरुण गांधी को चुनावी मैदान में उतारा था. वरुण गांधी ने बसपा प्रत्याशी पवन पांडे को करीब दो लाख मतों से पराजित किया था. वरुण इस बार अपनी मां मेनका गांधी की पीलीभीत सीट से चुनावी मैदान में हैं. मेनका गांधी सुल्तानपुर से चुनाव लड़ रही हैं. मेनका गांधी को कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. संजय सिंह और गठबंधन प्रत्याशी चंद्रभद्र सिंह टक्कर दे रहे हैं. यहां लड़ाई साफ तौर पर त्रिकोणीय दिख रही है. 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सुलतानपुर संसदीय क्षेत्र की चार विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी. एक सीट समाजवादी पार्टी के खाते में गई थी.

प्रतापगढ़
प्रतापगढ़ संसदीय क्षेत्र से पिछली बार भारतीय जनता पार्टी के सहयोगी दल अपना दल के कुंवर हरिवंश सिंह ने जीत दर्ज की थी. यहां दूसरे स्थान पर बहुजन समाज पार्टी तो तीसरे स्थान पर कांग्रेस प्रत्याशी राजकुमारी रत्ना सिंह रहीं. भाजपा ने इस बार यहां से संगम लाल गुप्ता को चुनाव मैदान में उतारा है. वहीं गठबंधन (बसपा) ने अशोक कुमार त्रिपाठी तो कांग्रेस ने एक बार फिर रत्ना सिंह पर विश्वास जताया है. प्रतापगढ़ सीट पर विपक्ष का खेल बिगाड़ने में रघुराज प्रताप सिंह की पार्टी अहम भूमिका अदा करेगी. 2017 के विधानसभा चुनाव में प्रतापगढ़ की पांच विधानसभा सीटों में से चार पर एनडीए ने जीत दर्ज की थी. एनडीए में दो भाजपा के पास और दो अपना दल के पास थी. एक सीट रामपुर खास से कांग्रेस प्रत्याशी आराधना मिश्रा मोना को जीत मिली थी. यह सीट परंपरागत रूप से कांग्रेस जीतती रही है. यहां लगातार नौ बार कांग्रेस के प्रत्याशी प्रमोद तिवारी चुनकर विधानसभा पहुंचते रहे हैं. 2017 में उन्होंने अपनी बेटी मोना मिश्रा को चुनावी मैदान में उतारा था.

फूलपुर
फूलपुर लोकसभा सीट पर 2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश सरकार के मौजूदा उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने जीत दर्ज की थी. 2017 के विधानसभा चुनाव में केशव प्रसाद मौर्य जब उत्तर प्रदेश में डिप्टी सीएम बनाए गए, उसके बाद उप चुनाव में भाजपा से समाजवादी पार्टी ने यह सीट छीन ली. कभी कांग्रेस की परंपरागत सीट कहीं जाने वाली फूलपुर लोकसभा से 1991 से कांग्रेस वापसी नहीं कर सकी है. वर्ष 1957 और 1962 में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने संसद में इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था. इसके बाद 1964 में हुए उपचुनाव में विजय लक्ष्मी पंडित इसी सीट से संसद पहुंचीं. पंडित ने 1967 में भी उन्होंने जीत दर्ज की थी. 2017 के विधानसभा चुनाव में फूलपुर संसदीय क्षेत्र की सभी पांच विधानसभा सीटों पर एनडीए गठबंधन ने जीत दर्ज की, चार सीटें भाजपा के खाते में गईं तो एक सीट अपना दल को मिली.

इलाहाबाद
भारतीय राजनीति के बड़े-बड़े पुरोधाओं ने इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र का संसद में प्रतिनिधित्व किया है. इलाहाबाद से दो बार लाल बहादुर शास्त्री, एक बार हेमवती नंदन बहुगुणा, दो बार जनेश्वर मिश्र, दो बार विश्वनाथ प्रताप सिंह, एक बार बालीवुड महानायक अमिताभ बच्चन और बीजेपी से मुरली मनोहर जोशी संसद पहुंचे हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी श्यामाचरण गुप्ता ने जीत दर्ज की थी. इस बार श्यामाचरण गुप्ता भाजपा छोड़ कर समाजवादी पार्टी के टिकट पर बांदा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. इलाहाबाद से भाजपा ने कैबिनेट मंत्री रीता बहुगुणा जोशी को चुनाव मैदान में उतारा है. 2017 के विधानसभा चुनाव में इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र की 4 विधानसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी, एक सीट करछना से समाजवादी पार्टी के उज्जवल रमण सिंह ने जीती थी.

अंबेडकर नगर
अंबेडकर नगर लोक सभा सीट पर 2014 में भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी. यहां भाजपा प्रत्याशी हरिओम पांडे ने बसपा प्रत्याशी राकेश पांडे को हराया था. तीसरे स्थान पर समाजवादी पार्टी और चौथे स्थान पर कांग्रेस रही. 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा यहां की केवल दो सीटें अपने खाते में लाने में सफल रही है, जबकि तीन सीटों पर बहुजन समाज पार्टी ने जीत दर्ज की थी. इस बार अंबेडकर नगर से योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. मुकुट बिहारी वर्मा बहराईच जिले की कैसरगंज सीट से विधायक हैं. भाजपा ने कुर्मी बहुल सीट होने के नाते वर्मा को इस सीट से लड़ाया है. गठबंधन से बसपा ने अपने विधायक रितेश पांडे को चुनावी मैदान में उतारा है.

श्रावस्ती
वर्ष 2008 में परिसीमन के बाद नवगठित संसदीय क्षेत्र श्रावस्ती से पहली बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी. दूसरी बार 2014 में यह सीट बीजेपी के खाते में गई थी. बीजेपी ने यहां एक बार फिर निवर्तमान सांसद दद्दन मिश्रा पर भरोसा जताया है. बसपा ने राम शिरोमणि वर्मा और कांग्रेस ने धीरेंद्र प्रताप सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है. 2017 के विधानसभा चुनाव में श्रावस्ती संसदीय क्षेत्र की चार विधानसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी. एक सीट बहुजन समाज पार्टी के खाते में गई थी.

डुमरियागंज
डुमरियागंज संसदीय क्षेत्र 2014 में भारतीय जनता पार्टी के जगदंबिका पाल ने जीत दर्ज की थी. जगदंबिका पाल 2009 के चुनाव में इसी सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ कर संसद पहुंचे थे. भाजपा ने इस बार भी जगदंबिका पाल पर भरोसा जताया है. कांग्रेस ने डॉक्टर चंद्रेश उपाध्याय और बसपा ने आफताब आलम को चुनावी मैदान में उतारा है. 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा और उसके सहयोगी दलों ने सभी सीटों पर जीत दर्ज की थी. चार सीटें भाजपा के पास तो एक अपना दल के खाते में गई थी.

बस्ती

बस्ती संसदीय सीट पर पिछले लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के हरीश द्विवेदी ने जीत दर्ज की थी. हरीश द्विवेदी ने बृज किशोर सिंह डिंपल को 33,562 मतों से पराजित किया था. बीजेपी के टिकट पर एक बार फिर हरीश द्विवेदी चुनाव मैदान में उतरे हैं तो इस बार सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे राज किशोर सिंह कांग्रेस के टिकट पर ताल ठोक रहे हैं. राजकिशोर पहले सपा के टिकट पर लड़ने वाले थे, लेकिन गठबंधन के बाद यह सीट बसपा के खाते में चली गई. उन्होंने समाजवादी पार्टी छोड़कर कांग्रेस का हाथ थाम लिया. बसपा ने राम प्रसाद चौधरी को चुनाव मैदान में उतारा है. बस्ती सीट पर प्रत्याशियों की अपनी पकड़ के नाते त्रिकोणीय लड़ाई मजबूती से दिखाई पड़ रही है.

संतकबीर नगर

2008 में परिसीमन के बाद नवगठित संसदीय क्षेत्र संतकबीर नगर से 2009 में पहली बार बहुजन समाज पार्टी के भीष्म शंकर तिवारी ने जीत दर्ज की थी, लेकिन भारतीय जनता पार्टी के शरद त्रिपाठी ने 2014 में यह सीट जीत ली. जूता कांड के बाद निवर्तमान सांसद शरद त्रिपाठी का टिकट काट दिया गया. पार्टी ने शरद त्रिपाठी के पिता यूपी बीजेपी के अध्यक्ष रह चुके डॉ रमापति राम त्रिपाठी को वरिष्ठ नेता कलराज मिश्र की सीट देवरिया से चुनाव मैदान में उतारा है. संत कबीर नगर सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने प्रवीण निषाद को चुनाव मैदान में उतारा है. बसपा ने एक बार फिर हरिशंकर तिवारी के बेटे व पूर्व सांसद भीष्म शंकर उर्फ कुशल तिवारी पर भरोसा जताया है जबकि कांग्रेस ने भालचंद्र यादव को टिकट दिया है. इस सीट पर बसपा काफी मजबूती से चुनाव लड़ रही है. 2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने संत कबीर नगर संसदीय क्षेत्र की सभी 5 सीटों पर जीत दर्ज की थी.

लालगंज

लालगंज सुरक्षित सीट से पिछली बार 2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी नीलम सोनकर चुनाव जीती थीं. पहली बार बीजेपी ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी. 2017 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो लालगंज संसदीय क्षेत्र की पांच विधानसभा सीटों में केवल एक पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी. दो सीटें बसपा के खाते में गई थी और दो पर समाजवादी पार्टी की साइकिल दौड़ी थी. 2017 के लिहाज से भी इस बार भाजपा के लिए इस सीट पर कड़ी चुनौती है.

आजमगढ़

2014 के लोकसभा चुनाव में आजमगढ़ लोकसभा सीट से सपा के संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने जीत दर्ज की थी. भाजपा इस सीट पर 2009 के लोकसभा चुनाव में केवल एक बार जीत दर्ज की है. आजमगढ़ के निवर्तमान सांसद मुलायम सिंह यादव इस बार मैनपुरी से चुनावी ताल ठोक रहे हैं. मुलायम के बेटे व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इस बार चुनाव लड़ने आजमगढ़ पहुंचे हैं. बीजेपी ने अखिलेश की टक्कर में यादव चेहरा और भोजपुरी फिल्मों के स्टार दिनेश लाल यादव निरहुआ को चुनाव मैदान में उतारा है. कांग्रेस अखिलेश यादव के समर्थन में है. उसने यहां से प्रत्याशी नहीं उतारा है. 2017 के विधानसभा चुनाव परिणामों को देखकर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि बीजेपी के लिए आजमगढ़ सीट जीतना कितना कठिन है. गत विधानसभा चुनाव में आजमगढ़ संसदीय क्षेत्र की पांच में से एक भी सीट भाजपा नहीं जीत सकी थी. यहां की तीन सीटें समाजवादी पार्टी ने जीती तो दो बसपा के खाते में गई थी.

जौनपुर

जौनपुर संसदीय क्षेत्र में 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के पी सिंह को जीत मिली थी. भाजपा ने एक बार फिर के पी सिंह पर भरोसा जताया है. गठबंधन की तरफ से बसपा ने जौनपुर सीट से श्याम सिंह यादव को टिकट दिया है तो कांग्रेस से देवब्रत मिश्रा चुनाव लड़ रहे हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव में जौनपुर संसदीय क्षेत्र की दो विधानसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी. दो सीटें सपा के खाते में गई तो 1 पर बसपा का हाथी दौड़ा था.

मछली शहर

मछली शहर संसदीय सीट से बीजेपी के टिकट पर 2014 में चुनाव जीतकर रामचरित्र निषाद संसद पहुंचे थे. भारतीय जनता पार्टी को पिछली बार इस सीट पर 43.91 प्रतिशत वोट हासिल हुआ था. निषाद ने बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी को हराया था. तीसरे स्थान पर समाजवादी पार्टी और चौथे स्थान पर कांग्रेस रही थी. भाजपा ने इस बार रामचरित्र निषाद का टिकट काट कर बीपी सरोज को चुनाव मैदान में उतारा है तो वहीं बसपा ने राम को टिकट दिया है. 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और उसके सहयोगी दल ने चार सीटों पर जीत दर्ज की थी लेकिन एक सीट समाजवादी पार्टी के खाते में गई थी.

भदोही

वर्ष 2008 में परिसीमन के बाद नवगठित भदोही संसदीय सीट पर पहली बार 2009 में बसपा के गोरखनाथ पांडेय ने जीत दर्ज की थी. दूसरी बार 2014 में भाजपा के वीरेंद्र सिंह मस्त को विजय मिली, लेकिन भाजपा ने वीरेंद्र सिंह की जगह इस बार रमेश बिंद को चुनाव मैदान में उतारा है. वहीं कांग्रेस ने भाजपा के आजमगढ़ से सांसद रहे रमाकांत यादव को टिकट दिया है. बसपा के टिकट पर रंगनाथ मिश्र चुनावी ताल ठोक रहे है.

इन सीटों पर होगा चुनाव

छठे चरण में 14 लोकसभा सीटों पर मतदान होगा. छठे चरण में सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, फूलपुर, इलाहाबाद, अंबेडकर नगर, श्रावस्ती, डुमरियागंज, बस्ती, संतकबीरनगर, लालगंज, आजमगढ़, जौनपुर, मछली शहर और भदोही संसदीय क्षेत्र शामिल हैं.

Intro:लखनऊ। यूपी में पांच चरणों की 53 लोकसभा सीटों पर मतदान हो चुका है। छठे चरण में 14 लोकसभा क्षेत्रों में मतदान 12 मई को होगा। इस चरण में आजमगढ़ से चुनाव लड़ रहे सपा मुखिया अखिलेश यादव, सुल्तानपुर से केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी, इलाहाबाद से योगी सरकार की कैबिनेट मंत्री रीता बहुगुणा जोशी, अंबेडकर नगर से मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा की सीधे तौर पर प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। वहीं 2014 में जिस फूलपुर संसदीय क्षेत्र से चुनकर उत्तर प्रदेश के मौजूदा डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य संसद पहुंचे थे, वह सीट भाजपा उपचुनाव में हार गई थी। इस सीट पर के परिणाम को केशव प्रसाद मौर्य की व्यक्तिगत प्रतिष्ठा से जोड़कर देखा जा रहा है।


Body:सुल्तानपुर

सुल्तानपुर संसदीय क्षेत्र में से 2014 में भारतीय जनता पार्टी ने वरुण गांधी को चुनाव मैदान में उतारा था। वरुण गांधी ने बसपा प्रत्याशी पवन पांडे को करीब दो लाख मतों से पराजित किया था। वरुण गांधी इस बार अपनी मां मेनका गांधी की पीलीभीत सीट से चुनाव मैदान में हैं। मेनका गांधी सुल्तानपुर से चुनाव लड़ रही हैं। मेनका गांधी को कांग्रेस प्रत्याशी डॉ संजय सिंह और गठबंधन प्रत्याशी चंद्र भद्र सिंह टक्कर दे रहे हैं यहां त्रिकोणीय लड़ाई साफ तौर पर देख रही है। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सुल्तानपुर संसदीय क्षेत्र की चार विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी। एक सीट समाजवादी पार्टी के खाते में गयी थी।

प्रतापगढ़

प्रतापगढ़ संसदीय क्षेत्र में पिछले बार भारतीय जनता पार्टी के सहयोगी दल अपना दल के कुंवर हरिवंश सिंह ने जीत दर्ज की थी। यहां दूसरे स्थान पर बहुजन समाज पार्टी रही तो तीसरे स्थान पर कांग्रेस प्रत्याशी राजकुमारी रत्ना सिंह रही हैं। भाजपा ने इस बार यहां से संगम लाल गुप्ता को चुनाव मैदान में उतारा है। वहीं गठबंधन (बसपा) ने अशोक कुमार त्रिपाठी को तो कांग्रेस ने एक बार फिर रत्ना सिंह पर विश्वास जताया है। प्रतापगढ़ सीट पर विपक्ष का खेल बिगाड़ने में रघुराज प्रताप सिंह की पार्टी अहम भूमिका अदा करेगी। 2017 के विधानसभा चुनाव में प्रतापगढ़ की पांच विधानसभा सीटों में से चार पर एनडीए ने जीत दर्ज की थी। एनडीए में दो भाजपा के पास और दो अपना दल के पास। एक सीट रामपुर खास से कांग्रेस प्रत्याशी आराधना मिश्रा मोना को जीत मिली थी। यह सीट परंपरागत रूप से कांग्रेस जीतती रही है। यहां लगातार नौ बार कांग्रेस के प्रत्याशी प्रमोद तिवारी चुनकर विधानसभा पहुंचते रहे हैं। 2017 में उन्होंने अपनी बेटी मोना मिश्रा को चुनाव मैदान में उतारा था।

फूलपुर

फूलपुर लोकसभा सीट पर 2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश सरकार के मौजूदा उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने जीत दर्ज की थी। 2017 के विधानसभा चुनाव में केशव प्रसाद मौर्य जब उत्तर प्रदेश में डिप्टी सीएम बनाए गए, उसके बाद उप चुनाव में भाजपा से समाजवादी पार्टी ने यह सीट छीन ली। कभी कांग्रेस की परंपरागत सीट कहीं जाने वाली फूलपुर लोकसभा से 1991 से कांग्रेस वापसी नहीं कर सकी है। वर्ष 1957 और 1962 में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने संसद में इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था। इसके बाद 1964 में हुए उपचुनाव में विजय लक्ष्मी पंडित इसी सीट से संसद पहुंचीं। पंडित ने 1967 में भी उन्होंने जीत दर्ज की थी। 2017 के विधानसभा चुनाव में फूलपुर संसदीय क्षेत्र की सभी पांच विधानसभा सीटों पर एनडीए गठबंधन ने जीत दर्ज की चार सीटें भाजपा के खाते में गईं। तो एक सीट अपना दल को मिली।

इलाहाबाद

भारतीय राजनीति के बड़े-बड़े पुरोधाओं ने इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र का संसद में प्रतिनिधित्व किया है इलाहाबाद से दो बार लाल बहादुर शास्त्री एक बार हेमवती नंदन बहुगुणा, दो बार जनेश्वर मिश्र, दो बार विश्वनाथ प्रताप सिंह, एक बार बालीवुड महानायक अमिताभ बच्चन और बीजेपी से मुरली मनोहर जोशी संसद पहुंचे हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी श्यामाचरण गुप्ता ने जीत दर्ज की थी। इस बार श्यामाचरण गुप्ता भाजपा छोड़ कर समाजवादी पार्टी के टिकट पर बांदा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। इलाहाबाद से भाजपा ने कैबिनेट मंत्री रीता बहुगुणा जोशी को चुनाव मैदान में उतारा है। 2017 के विधानसभा चुनाव में इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र की 4 विधानसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी एक सीट करछना से समाजवादी पार्टी के उज्जवल रमण सिंह ने जीती थी।

अंबेडकर नगर

अंबेडकर नगर लोक सभा सीट पर 2014 में भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी भाजपा प्रत्याशी हरिओम पांडे ने बसपा प्रत्याशी राकेश पांडे को हराया था। तीसरे स्थान पर समाजवादी पार्टी और चौथे स्थान पर कांग्रेस रही। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा यहां की केवल दो सीटें अपने खाते में लाने में सफल रही है। जबकि तीन सीटों पर बहुजन समाज पार्टी ने जीत दर्ज की थी। इस बार अंबेडकर नगर से योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। मुकुट बिहारी वर्मा बहराईच जिले की कैसरगंज सीट से विधायक हैं। भाजपा ने कुर्मी बहुल सीट होने के नाते वर्मा को इस सीट से लड़ाया है। गठबंधन से बसपा ने अपने विधायक रितेश पांडे को चुनाव मैदान में उतारा है

श्रावस्ती

वर्ष 2008 में परिसीमन के बाद नवगठित संसदीय क्षेत्र श्रावस्ती से पहली बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी और दूसरी बार 2014 में बीजेपी के खाते में यह सीट गयी। बीजेपी ने एक बार फिर निवर्तमान सांसद दद्दन मिश्रा पर भरोसा जताया है। बसपा ने राम शिरोमणि वर्मा और कांग्रेस ने धीरेंद्र प्रताप सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है। 2017 के विधानसभा चुनाव में श्रावस्ती संसदीय क्षेत्र की चार विधानसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी। एक सीट बहुजन समाज पार्टी के खाते में गई थी।

डुमरियागंज

डुमरियागंज संसदीय क्षेत्र 2014 में भारतीय जनता पार्टी के जगदंबिका पाल ने जीत दर्ज की थी। जगदंबिका पाल 2009 के चुनाव में इसी सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ कर संसद पहुंचे थे। भाजपा ने इस बार भी जगदंबिका पाल पर भरोसा जताया है। खांग्रेस ने डॉक्टर चंद्रेश उपाध्याय और बसपा ने आफताब आलम को चुनाव मैदान में उतारा है। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा और उसके सहयोगी दलों ने सभी सीटों पर जीत दर्ज की थी। चार सीटें भाजपा के पास तो एक अपना दल के खाते में गई थी।

बस्ती

बस्ती संसदीय सीट पर पिछले लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के हरीश द्विवेदी ने जीत दर्ज की थी। हरीश द्विवेदी ने बृज किशोर सिंह डिंपल को 33562 मतों से पराजित किया था। हरीश द्विवेदी बीजेपी के टिकट पर एक बार फिर चुनाव मैदान में हैं। तो इस बार सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे राज किशोर सिंह कांग्रेस के टिकट पर ताल ठोक रहे हैं। राजकिशोर पहले सपा के टिकट पर लड़ने वाले थे लेकिन गठबंधन के बाद यह सीट बसपा के खाते में चली गई। तो वह समाजवादी पार्टी छोड़कर कांग्रेस का हाथ थाम लिए। बसपा ने राम प्रसाद चौधरी को चुनाव मैदान में उतारा है। बस्ती सीट पर प्रत्याशियों की अपनी पकड़ के नाते त्रिकोणीय लड़ाई मजबूती से दिखाई पड़ रही है।

संतकबीरनगर

2008 में परिसीमन के बाद नवगठित संसदीय क्षेत्र संत कबीर नगर से 2009 में पहली बार बहुजन समाज पार्टी के भीष्म शंकर तिवारी ने जीत दर्ज की थी लेकिन भारतीय जनता पार्टी के शरद त्रिपाठी ने 2014 में या सीट जीत ली। जूता कांड के बाद निवर्तमान सांसद शरद त्रिपाठी का टिकट काट दिया गया पार्टी ने शरद त्रिपाठी के पिता व यूपी बीजेपी के अध्यक्ष रह चुके डॉ रमापति राम त्रिपाठी को वरिष्ठ नेता कलराज मिश्र की सीट देवरिया से चुनाव मैदान में उतारा है। संत कबीर नगर सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने प्रवीण निषाद को चुनाव मैदान में उतारा है। बसपा ने एक बार फिर हरिशंकर तिवारी के बेटे व पूर्व सांसद भीष्म शंकर उर्फ कुशल तिवारी पर भरोसा जताया है। जबकि कांग्रेस ने भालचंद्र यादव को टिकट दिया है। इस सीट पर बसपा काफी मजबूती से चुनाव लड़ रही है। 2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने संत कबीर नगर संसदीय क्षेत्र की सभी 5 सीटों पर जीत दर्ज की थी।

लालगंज

लालगंज सुरक्षित सीट से पिछली बार 2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी नीलम सोनकर चुनाव जीती थीं। 2014 में पहली बार बीजेपी ने इस सीट पर जीत दर्ज की। 2017 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो लालगंज संसदीय क्षेत्र की पांच विधानसभा सीटों में केवल एक पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी। दो सीटें बसपा के खाते में गई थी और दो पर समाजवादी पार्टी की साइकिल दौड़ी थी। 2017 के लिहाज से भी इस बार भाजपा के लिए इस सीट पर कड़ी चुनौती है।

आजमगढ़

2014 के लोकसभा चुनाव में आजमगढ़ लोकसभा सीट से सपा के संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने जीत दर्ज की थी। भाजपा इस सीट पर 2009 के लोकसभा चुनाव में केवल एक बार जीत दर्ज की है। आजमगढ़ के निवर्तमान सांसद मुलायम सिंह यादव इस बार मैनपुरी से चुनावी ताल ठोक रहे हैं। मुलायम के बेटे व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इस बार चुनाव लड़ने आजमगढ़ पहुंचे हैं। बीजेपी ने अखिलेश की टक्कर में यादव चेहरा और भोजपुरी फिल्मों के स्टार दिनेश लाल यादव निरहुआ को चुनाव मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने अखिलेश यादव के समर्थन में है। उसने यहां से प्रत्याशी नहीं उतारा है। 2017 के विधानसभा चुनाव परिणामों को देख कर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि बीजेपी के लिए आजमगढ़ सीट जीतना कितना कठिन है। गत विधानसभा चुनाव में आजमगढ़ संसदीय क्षेत्र की पांच में से एक भी सीट भाजपा नहीं जीत सकी थी। यहां की तीन सीटें समाजवादी पार्टी ने जीती तो दो बसपा के खाते में गई थी।

जौनपुर

जौनपुर संसदीय क्षेत्र में 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के पी सिंह को जीत मिली थी भाजपा ने एक बार फिर के पी सिंह पर भरोसा जताया है। गठबंधन की तरफ से बसपा ने जौनपुर सीट से श्याम सिंह यादव को टिकट दिया है तो कांग्रेस से देवब्रत मिश्रा चुनाव लड़ रहे हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में जौनपुर संसदीय क्षेत्र की दो विधानसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी दो सीटें सपा के खाते में गई तो 1 पर बसपा का हाथी दौड़ा था।

मछली शहर

मछली शहर संसदीय सीट से बीजेपी के टिकट पर 2014 में चुनाव जीतकर रामचरित्र निषाद संसद पहुंचे थे। भारतीय जनता पार्टी को पिछली बार इस सीट पर 43.91% वोट हासिल हुआ था। निषाद ने बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी को हराया था। तीसरे स्थान पर समाजवादी पार्टी और चौथे पर कांग्रेस रही। भाजपा ने इस बार रामचरित्र निषाद का टिकट काट दिया है। भाजपा ने इस बार बीपी सरोज को चुनाव मैदान में उतारा है। तो वहीं बसपा ने की राम को टिकट दिया है। 2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगी दल ने चार सीटों पर जीत दर्ज की एक सीट समाजवादी पार्टी के खाते में गई थी।

भदोही

वर्ष 2008 में परिसीमन के बाद नवगठित भदोही संसदीय सीट पर पहली बार 2009 में बहुजन समाज पार्टी के गोरखनाथ पांडे ने जीत दर्ज की थी। दूसरी बार 2014 में भाजपा के वीरेंद्र सिंह मस्त को विजय मिली लेकिन भाजपा ने वीरेंद्र सिंह की जगह इस बार रमेश बिंद को चुनाव मैदान में उतारा है। जबकि कांग्रेस ने भाजपा के आजमगढ़ से सांसद रहे रमाकांत यादव को टिकट दिया है। बसपा के टिकट पर रंगनाथ मिश्र चुनावी ताल ठोक रहे।

इन सीटों पर होगा चुनाव

छठे चरण का 12 मई को 14 लोकसभा सीटों पर मतदान होगा। छठे चरण में सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, फूलपुर, इलाहाबाद, अंबेडकर नगर, श्रावस्ती, डुमरियागंज, बस्ती, संतकबीरनगर, लालगंज, आजमगढ़, जौनपुर, मछली शहर और भदोही संसदीय क्षेत्र शामिल हैं।


Conclusion:बाईट-रफत फातिमा, प्रवक्ता, यूपी, कांग्रेस
Last Updated : May 10, 2019, 2:58 PM IST
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