लखनऊ : राजस्व परिषद के चेयरमैन के पूर्व निजी सचिव विवेकानंद डोबरियाल की जमानत अर्जी को प्रभारी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष न्यायाधीश रमाकांत प्रसाद (Special Judge Ramakant Prasad) ने खारिज कर दिया है. डोबरियाल पर आरोप है कि उन्होंने सरकारी सेवा में रहने के दौरान मृत व्यक्ति के नाम का सिम प्रयोग करने, पद का दुरुपयोग कर जनपदों में नियुक्त तहसीलदार, कानूनगो, लेखपाल से संपर्क कर स्थानांतरण और जांच में मदद करने के लिए आर्थिक लाभ लिया.
अदालत में जमानत अर्जी का विरोध जिला शासकीय अधिवक्ता मनोज त्रिपाठी एवं सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता प्रभा वैश्य द्वारा किया गया. यह मुकदमा जिला शासकीय अधिवक्ता मनोज त्रिपाठी (District Government Advocate Manoj Tripathi) को शासन द्वारा विशेष रूप से पैरवी करने के लिए आवंटित किया गया था. जमानत अर्जी के विरोध में कहा गया कि डोबरियाल द्वारा सरकारी पद पर रहते हुए भ्रष्टाचार तरीके से अवैध धन अर्जित किया गया है तथा इस मामले की रिपोर्ट 2 मई 2020 को घनश्याम चतुर्वेदी द्वारा थाना कैसरबाग में दर्ज कराई गई थी. जिसमें अवैध रूप से धन की वसूली को लेकर अवैध संपत्ति अर्जित करने की बात कहीं गई है. डोबरियाल ने 1 नवंबर 2022 को अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण किया है.
आरोपी डोबरियाल के विरुद्ध कैसरबाग थाने में रिपोर्ट दर्ज कराकर कहा गया था कि विवेकानंद उप्र राजस्व परिषद में निजी सचिव था तथा 31 मार्च 2022 को रिटायर हो गया है. उसने सेवाकाल में उप्र के विभिन्न जनपदों में तैनात तहसीलदार, नायब तहसीलदार, कानूनगो और लेखपाल से संपर्क कर उनके जांच और स्थानांतरण में अपने संपर्कों का हवाला देकर उनसे छल करते हुए आर्थिक लाभ लिया. अदालत ने कहा है कि रिपोर्ट लिखाए जाने से लेकर वह लगातार फरार रहा था. उस पर 1 जून 2022 को एक लाख रुपए का इनाम घोषित किया गया था. ऐसी स्थिति में उसके विरुद्ध लगाए गए आरोपों को देखते हुए उसे जमानत पर छोड़ जाने का पर्याप्त आधार नहीं है.
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