लखनऊ: कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा होता जा रहा है. वहीं वायरल इन्फेक्शन से संबंधित मरीजों में भी कोरोना वायरस का डर बरकरार है. मौसम बदलने से इन दिनों अधिकतर लोग वायरल फीवर की समस्या से जूझ रहे हैं. ऐसे में मरीजों को सही तरह से इलाज नहीं मिलने के कारण दिक्कतें हो रही हैं.
मरीज निजी अस्पताल के डॉक्टर के साथ संपर्क करते हैं तो उन्हें सबसे पहले सिविल अस्पताल में कोविड-19 का टेस्ट करवाने के लिए कहा जाता है, लेकिन कोविड-19 के डर से मरीज सिविल अस्पताल नहीं जा रहे हैं. ऐसे में उनका इलाज ही नहीं हो रहा है. मरीज बुखार आदि की दवाई खुद ही मेडिकल स्टोर से लेकर काम चला रहे हैं. हालांकि स्वास्थ्य विभाग की ओर से लगातार कहा जा रहा है कि सर्दी, बुखार और जुकाम आदि होने पर कोरोना की जांच करवाएं.
सर्दी, जुकाम, बुखार होने पर तुरंत कराएं जांच
स्वास्थ्य विभाग की गाइडलाइंस के मुताबिक खांसी, बुखार, जुकाम होने पर तुरंत स्वास्थ्य विभाग से संपर्क करना चाहिए, लेकिन लोग कोरोना का टेस्ट कराने से घबराते हैं. इन दिनों वायरल बुखार चरम पर है. छोटे बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्गों तक को भी बुखार की समस्या आ रही है. किसी को एक सप्ताह तक अगर बुखार रहता है तो सभी उसे कोविड-19 का टेस्ट कराने की सलाह देते हैं.
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ये हैं लक्षण
सिविल अस्पताल के डॉ. एस देव ने बताया कि वायरल से पीड़ित होने पर शरीर में कुछ खास तरह के लक्षण दिखते हैं. इन लक्षणों में गले में दर्द, खांसी, सिर दर्द, थकान, जोड़ों में दर्द के साथ ही उल्टी और दस्त होना, आंखों का लाल होना और माथे का बहुत तेज गर्म होना शामिल है. वायरल फीवर बच्चों और बुजुर्गों में काफी तेजी से फैलता है. इसकी रोकथाम जरूरी होती है.