लखनऊ. वायरल फीवर में भी मरीज (Viral fiver patients increased) की स्थिति काफी खराब हो जाती है. इसमें भी प्लेटलेट्स गिरती हैं. मरीज में डेंगू के सारे लक्षण पाए जाते हैं, लेकिन रिपोर्ट निगेटिव आती है. कई बार मरीज पैनिक हो जाते हैं. यह बातें ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान सिविल अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ एके श्रीवास्तव ने कहीं. बता दें कि इस समय अस्पतालों में जांच कराने के लिए मरीजों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है. शहर के सभी सरकारी अस्पतालों में मरीजों की संख्या काफी बढ़ गई है. जांच होने में 48 घंटे से ज्यादा का समय लग रहा है. इससे भर्ती और ओपीडी में आने वाले मरीजों की दुश्वारियां बढ़ गई हैं.
सिविल अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ एके श्रीवास्तव ने बताया कि अस्पताल की ओपीडी में इस समय 90 फ़ीसदी मरीज वायरल फीवर से पीड़ित आ रहे हैं. ज्यादातर मरीजों में जोड़ों के दर्द की समस्या है. बहुत सारे ऐसे मरीज हैं जो अस्पताल में भर्ती हो चुके हैं, जिनका प्रॉपर इलाज भी हो चुका है. बावजूद इसके उनके शरीर के सभी जोड़ों में दर्द है. कई बार डेंगू पॉजिटिव होने के बाद भी मरीज की प्लेटलेट्स कम नहीं होती है. ऐसे में ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है. खाने-पीने का विशेष ख्याल रखें. खासकर लिक्विड डाइट लेते रहें. कई बार एक लाख प्लेटलेट्स होती हैं तब भी मरीज पैनिक हो जाते हैं. ऐसे में पैनिक होने के कारण प्लेटलेट्स और डाउन होती हैं. इसलिए मानसिक तौर पर मजबूत रहें. सिविल अस्पताल की ओपीडी में रोजाना इलाज के लिए आने वाले मरीजों की संख्या दो से तीन हज़ार के बीच होती थी. मरीजों की संख्या बढ़कर 3500-3800 हो चुकी है. ऐसे में अस्पताल में जांचों की भी संख्या बढ़ी है. रोजाना 300 मरीजों के सैंपल लिए जाते थे, लेकिन अब 500 तक सैंपल अस्पताल प्रशासन इकट्ठा कर रहा है. जांच रिपोर्ट आने में 36 घंटे से ज्यादा का समय लग रहा है. मरीजों के अचानक बढ़ जाने से पैथोलॉजी में भी खून के नमूने देने वालों की भीड़ लग रही है.
बलरामपुर अस्पताल में रोजाना चार हज़ार से ज्यादा मरीज ओपीडी में इलाज के लिए आ रहे हैं, जहां 10 दिन पहले यह संख्या तीन हज़ार के आसपास हुआ करती थी. वहीं ओपीडी में लगभग 500 से 700 मरीजों को रोजाना खून से संबंधित जांच लिखी जा रही है. ऐसे में मरीजों की बढ़ी संख्या ने अस्पताल की दोनों ही पैथोलॉजी लैब का लोड बढ़ा दिया है. मरीजों की जांच रिपोर्ट मिलने में भी समय लगता है.
क्वीन मेरी अस्पताल की वरिष्ठ महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. रेखा सचान ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को किसी भी प्रकार की दवाई खाने से मना किया जाता है. ऐसे में गर्भवती महिलाओं को किसी भी प्रकार की समस्या होने पर अस्पताल का रुख करना पड़ता है. इन दिनों वायरल बुखार और डेंगू की आशंका होने के कारण भारी मात्रा में महिलाएं सरकारी अस्पताल इलाज के लिए पहुंच रहीं हैं. डफरिन और रानी लक्ष्मीबाई अस्पताल में गर्भवती महिलाओं की भीड़ इतनी ज्यादा है कि उनकी जांच के लिए खून के नमूने लेने में अस्पताल कर्मियों को घंटों का समय लग जा रहा है.
सिविल अस्पताल के सीएमएस डॉ. आरपी सिंह ने कहा कि इस समय अस्पताल में मरीजों की संख्या अधिक है. जितने मरीज आ रहे हैं सभी को डॉक्टर ब्लड जांच के लिए लिख रहे हैं.