लखनऊ: महिलाओं को सशक्त करने के लिए तमाम प्रयास किए जाते हैं. इन तमाम प्रयासों का ही नतीजा है कि पिछले कुछ दशकों में महिलाओं की स्थिति में सकारात्मक बदलाव आया है. इस सकारात्मक बदलाव के बाद भी उत्तर प्रदेश में तमाम ऐसे क्षेत्र, ग्राम पंचायत हैं जहां पर महिलाएं काफी पिछड़ी हुई हैं. आलम यह है कि महिलाएं घर से नहीं निकलती हैं. पर्दा प्रथा उन पर इस तरीके से हावी है कि वह घूंघट के पार जाकर अपना भविष्य भी नहीं देख पाती हैं.
इसी समाज में कुछ ऐसी महिलाएं भी हैं, जिन्होंने इन तमाम चुनौतियों के साथ संघर्ष कर अपनी एक अलग पहचान बनाई है. ऐसी ही एक महिला राजधानी लखनऊ में है. जिन्होंने अपनी क्षमताओं के दम पर लतीफपुर ग्राम पंचायत की महिला प्रधान बनी हैं. वहीं वह अपनी मजबूत इच्छाशक्ति के चलते ग्राम पंचायत के महिलाओं को जागरूक कर रही हैं और उन्हें आगे बढ़ाने में मदद कर रही हैं. हम बात कर रहे हैं लतीफपुर ग्राम पंचायत की महिला प्रधान श्वेता सिंह की, जोकि लखनऊ प्रधान संघ की अध्यक्ष हैं और प्रधानों की समस्याओं को सरकार के सामने रखती हैं.
मिल चुके हैं कई अवॉर्ड
महिलाओं को सशक्त करने के लिए सरकारी योजनाओं का लाभ श्वेता सिंह महिलाओं तक पहुंचा रही हैं. उन्हें आगे बढ़ने के लिए जागरूक कर रही हैं और रोजगार उपलब्ध करा रही हैं. वहीं गांव की एक प्रधान श्वेता सिंह ने गांव का चौमुखी विकास किया है. इनके विकास की ही देन है कि ग्राम पंचायत को स्मार्ट ग्राम पंचायत के तौर पर जाना जाता है. श्वेता सिंह के कार्यों के चलते कई सरकारी व गैर सरकारी अवॉर्ड मिल चुके हैं, जो उनकी क्षमता को दर्शाता है.
महिलाओं की स्थिति सुधारने का लिया दृढ़ निश्चय
महिला दिवस के मौके पर श्वेता सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि जब शादी करके लतीफपुर आई तो महिलाओं की स्थिति देखकर बेचैन हो उठी. उन्होंने अपने पति से राय ली कि आखिर महिलाओं की स्थिति कैसे बेहतर की जा सकती है. दोनों पति-पत्नी ने मिलकर तय किया कि अगर ग्राम प्रधानी जीत ली जाए तो उन संसाधनों की मदद से महिलाओं की स्थिति में सुधार लाया जा सकता है.
गांव प्रधान बन सुधारी स्थिति
श्वेता सिंह ने गांव से चुनाव लड़ा और उन्हें तीन साल पहले जीत मिली. जीत के बाद श्वेता सिंह ने गांव के चौमुखी विकास के लिए प्रयास किया और आज वह गांव-शहर व पूरे प्रदेश में पहचाना जाता है. श्वेता सिंह ने कहा कि महिलाओं की स्थिति को सुधारने के लिए सबसे पहले उन्हें जागरूक किया गया. पिछले लंबे समय से चली आ रही प्रथाओं को हटाना आसान नहीं था. धीमे-धीमे प्रयास किए गए अपने परिवार से शुरुआत की, जिसको देखकर बाकी लोगों में बदलाव आया.
महिलाएं कर रहीं रोजगार के लिए प्रयास
आज आलम यह है कि महिलाएं घर से निकलती हैं और रोजगार के लिए प्रयास करती हैं. महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए सरकारी योजनाएं उन्हें उपलब्ध कराई जा रही है, जिसकी मदद से गांव में 7 समूह तैयार किए गए हैं. ये समूह विभिन्न कार्यों के माध्यम से व्यवसाय करती हैं और आर्थिक रूप से मजबूत हो रहे है. पहले ग्राम पंचायत में महिलाएं घर से नहीं निकलती थी, लंबा सा घुंघट करती थी, लेकिन आज महिलाएं घर से भी निकलती हैं और अपने भविष्य के बारे में विचार करते हुए फैसले भी लेती हैं.
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