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कितनी कारगर होगी कस्बों में टाउनशिप के लिए मदद की सरकारी पेशकश

उत्तर प्रदेश सरकार ने कस्बों में टाउनशिप विकसित करने के लिए सरकारी मदद देने का प्रस्ताव रखा है. इससे निश्चित ही शहरों के विकास को गति मिलेगी. साथ ही गांव-कस्बों में सुविधाएं बढ़ेंगी और पलायन भी रुकेगा. पढ़ें यूपी के ब्यूरो चीफ आलोक त्रिपाठी का विश्लेषण.

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Published : Apr 10, 2023, 9:32 AM IST

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लखनऊ : उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ने कस्बों में टाउनशिप विकसित करने के लिए विकास कर्ताओं को सरकारी मदद देने का प्रस्ताव रखा है. इस प्रस्ताव में विकास कर्ताओं को कई तरीके के लाभ मिलेंगे. यदि यह योजना परवान चढ़ी तो निश्चितरूप से इसका बड़ा लाभ होगा. एक तो गांव से पलायन रुकेगा और बड़े शहरों पर बढ़ता आबादी का बोझ थमेगा. गांवों और कस्बों में शिक्षा और चिकित्सा के अच्छे साधन न होने के कारण लोग पलायन कर महानगरों की ओर भागते हैं. जाहिर है इस तरह की पहल से पलायन रुकेगा. हालांकि अभी यह देखना है बाकी है कि सरकार जमीनी स्तर पर विकास कर्ताओं को कितना सहयोग देती है.

कितनी कारगर होगी कस्बों में टाउनशिप के लिए मदद की सरकारी पेशकश
कितनी कारगर होगी कस्बों में टाउनशिप के लिए मदद की सरकारी पेशकश
कोई भी व्यक्ति अपनी जड़ों को छोड़कर यूं ही शहर की ओर पलायन नहीं करता. भावी पीढ़ी को अच्छी शिक्षा, चिकित्सा सुविधाएं और रोजगार के अवसर दिलाने के लिए ही उसे अपना गांव छोड़कर शहर का रुख करना पड़ता है. यदि कस्बों का अच्छा विकास हो जाए वहां स्वास्थ्य और शिक्षा का अच्छा प्रबंध हो जाए, तो तमाम लोग गांव में रहकर ही अपने बच्चों को अच्छी तालीम के लिए 10-12 किलोमीटर दूर कस्बे में पढ़ने भेज सकते हैं. पिछले एक दशक में प्रदेश में सड़कों का जाल बिछ गया है. इसके साथ ही यातायात के अच्छे साधन भी उपलब्ध हो गए हैं.‌ इसलिए अब 10-15 किलोमीटर की यात्रा किसी के लिए कठिन बात नहीं है. निजी वाहन भी उपलब्ध हैं. जब कस्बों का विकास होगा तो वहां शिक्षा और स्वास्थ्य के साथ-साथ रोजगार के साधन भी बढ़ेंगे.‌ कई तरह के व्यापार करने का अवसर भी लोगों के सामने होगा. ऐसे में बड़ी संभावना है कि लोगों को स्थानीय स्तर पर ही रोजगार भी मिल सके.
कितनी कारगर होगी कस्बों में टाउनशिप के लिए मदद की सरकारी पेशकश
कितनी कारगर होगी कस्बों में टाउनशिप के लिए मदद की सरकारी पेशकश
सरकार के लिए दिनों दिन बढ़ती शहरी आबादी और उसके लिए किए जाने वाले जरूरी प्रबंध चुनौती हैं. शहरों में पेयजल आपूर्ति के लिए ज्यादातर भूगर्भ जल का ही दोहन होता है. इस कारण भूगर्भ जल का स्तर लगातार नीचे जा रहा है. भूगर्भ जल विज्ञानियों का मानना है कि यदि यही स्थिति रही तो बहुत जल्द महानगरों को बड़े पेयजल संकट का सामना करना पड़ेगा. यही नहीं खाली होती भूगर्भ कोख भूकंप जैसे संकट को भी न्योता देती है. ऐसे में सरकार का कस्बा को विकसित करने का उपाय सराहनीय है. यदि यह हो सका, तो गांव की भी स्थितियों में सुधार होगा.
कितनी कारगर होगी कस्बों में टाउनशिप के लिए मदद की सरकारी पेशकश
कितनी कारगर होगी कस्बों में टाउनशिप के लिए मदद की सरकारी पेशकश
राजनीतिक विश्लेषक डॉ. एसटी मिश्रा कहते हैं सरकार द्वारा देर से उठाया गया यह एक सही कदम है. यदि कस्बों का समुचित विकास हो सका तो इसके कई फायदे होंगे. गांव से न सिर्फ पलायन रुकेगा, बल्कि इससे कृषि क्षेत्र में भी लाभ होगा. जो लोग गांव छोड़कर शहर आ जाते हैं उनका नाता कृषि से टूट जाता है, लेकिन जब लोग गांव में ही रहेंगे और अपनी जरूरतों को नजदीकी कस्बों से पूरा कर पाएंगे, तो समय मिलने पर वापस में भी अपना योगदान कर पाएंगे. मुख्य बात शिक्षा और चिकित्सा की है. ज्यादातर लोग शहरों की ओर से शिक्षा के लिए ही भागते हैं. कस्बे विकसित हुए और वहां अच्छे शिक्षण संस्थान मिले तो कोई भी अपना घर नहीं छोड़ेगा. हालांकि यह कहना भी बहुत जल्दबाजी वाली बात होगी. निवेशक और सरकार एक दूसरे पर कितना विश्वास करते हैं और इसे लेकर कितना आगे बढ़ते हैं यह भविष्य ही बताएगा.

यह भी पढ़ें : भारत का सबसे अमीर गांव जहां हर परिवार में एक NRI

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ने कस्बों में टाउनशिप विकसित करने के लिए विकास कर्ताओं को सरकारी मदद देने का प्रस्ताव रखा है. इस प्रस्ताव में विकास कर्ताओं को कई तरीके के लाभ मिलेंगे. यदि यह योजना परवान चढ़ी तो निश्चितरूप से इसका बड़ा लाभ होगा. एक तो गांव से पलायन रुकेगा और बड़े शहरों पर बढ़ता आबादी का बोझ थमेगा. गांवों और कस्बों में शिक्षा और चिकित्सा के अच्छे साधन न होने के कारण लोग पलायन कर महानगरों की ओर भागते हैं. जाहिर है इस तरह की पहल से पलायन रुकेगा. हालांकि अभी यह देखना है बाकी है कि सरकार जमीनी स्तर पर विकास कर्ताओं को कितना सहयोग देती है.

कितनी कारगर होगी कस्बों में टाउनशिप के लिए मदद की सरकारी पेशकश
कितनी कारगर होगी कस्बों में टाउनशिप के लिए मदद की सरकारी पेशकश
कोई भी व्यक्ति अपनी जड़ों को छोड़कर यूं ही शहर की ओर पलायन नहीं करता. भावी पीढ़ी को अच्छी शिक्षा, चिकित्सा सुविधाएं और रोजगार के अवसर दिलाने के लिए ही उसे अपना गांव छोड़कर शहर का रुख करना पड़ता है. यदि कस्बों का अच्छा विकास हो जाए वहां स्वास्थ्य और शिक्षा का अच्छा प्रबंध हो जाए, तो तमाम लोग गांव में रहकर ही अपने बच्चों को अच्छी तालीम के लिए 10-12 किलोमीटर दूर कस्बे में पढ़ने भेज सकते हैं. पिछले एक दशक में प्रदेश में सड़कों का जाल बिछ गया है. इसके साथ ही यातायात के अच्छे साधन भी उपलब्ध हो गए हैं.‌ इसलिए अब 10-15 किलोमीटर की यात्रा किसी के लिए कठिन बात नहीं है. निजी वाहन भी उपलब्ध हैं. जब कस्बों का विकास होगा तो वहां शिक्षा और स्वास्थ्य के साथ-साथ रोजगार के साधन भी बढ़ेंगे.‌ कई तरह के व्यापार करने का अवसर भी लोगों के सामने होगा. ऐसे में बड़ी संभावना है कि लोगों को स्थानीय स्तर पर ही रोजगार भी मिल सके.
कितनी कारगर होगी कस्बों में टाउनशिप के लिए मदद की सरकारी पेशकश
कितनी कारगर होगी कस्बों में टाउनशिप के लिए मदद की सरकारी पेशकश
सरकार के लिए दिनों दिन बढ़ती शहरी आबादी और उसके लिए किए जाने वाले जरूरी प्रबंध चुनौती हैं. शहरों में पेयजल आपूर्ति के लिए ज्यादातर भूगर्भ जल का ही दोहन होता है. इस कारण भूगर्भ जल का स्तर लगातार नीचे जा रहा है. भूगर्भ जल विज्ञानियों का मानना है कि यदि यही स्थिति रही तो बहुत जल्द महानगरों को बड़े पेयजल संकट का सामना करना पड़ेगा. यही नहीं खाली होती भूगर्भ कोख भूकंप जैसे संकट को भी न्योता देती है. ऐसे में सरकार का कस्बा को विकसित करने का उपाय सराहनीय है. यदि यह हो सका, तो गांव की भी स्थितियों में सुधार होगा.
कितनी कारगर होगी कस्बों में टाउनशिप के लिए मदद की सरकारी पेशकश
कितनी कारगर होगी कस्बों में टाउनशिप के लिए मदद की सरकारी पेशकश
राजनीतिक विश्लेषक डॉ. एसटी मिश्रा कहते हैं सरकार द्वारा देर से उठाया गया यह एक सही कदम है. यदि कस्बों का समुचित विकास हो सका तो इसके कई फायदे होंगे. गांव से न सिर्फ पलायन रुकेगा, बल्कि इससे कृषि क्षेत्र में भी लाभ होगा. जो लोग गांव छोड़कर शहर आ जाते हैं उनका नाता कृषि से टूट जाता है, लेकिन जब लोग गांव में ही रहेंगे और अपनी जरूरतों को नजदीकी कस्बों से पूरा कर पाएंगे, तो समय मिलने पर वापस में भी अपना योगदान कर पाएंगे. मुख्य बात शिक्षा और चिकित्सा की है. ज्यादातर लोग शहरों की ओर से शिक्षा के लिए ही भागते हैं. कस्बे विकसित हुए और वहां अच्छे शिक्षण संस्थान मिले तो कोई भी अपना घर नहीं छोड़ेगा. हालांकि यह कहना भी बहुत जल्दबाजी वाली बात होगी. निवेशक और सरकार एक दूसरे पर कितना विश्वास करते हैं और इसे लेकर कितना आगे बढ़ते हैं यह भविष्य ही बताएगा.

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