लखनऊः धोखाधड़ी, जानमाल की धमकी देने के मामले में कोर्ट में आत्मसमर्पण करने आए कानपुर के कुख्यात अपराधी विकास दुबे के भाई दीपक दुबे को कोरोना रिपोर्ट न होने के चलते वापस जाना पड़ा. विशेष सीजेएम सुनील कुमार ने दीपक दुबे की अर्जी को कोरोना की रिपोर्ट के साथ पेश करने का आदेश दिया है.
दीपक के खिलाफ 5 जुलाई को दर्ज हुई थी रिपोर्ट
बिकरू कांड का मुख्य आरोपी कुख्यात विकास दुबे और उसके भाई दीपक के खिलाफ कृष्णानगर थाने में विनीत पांडेय ने 5 जुलाई को रिपोर्ट दर्ज कराई थी. रिपोर्ट में विनीत ने आरोप लगाया था कि उसने नीलामी में सरकारी गाड़ी खरीदी थी, जिसे विकास और दीपक ने धमकी देकर ले लिया था और बाद में मांगने पर देने से इनकार कर दिया. इस गाड़ी को बाद में पुलिस ने दीपक दुबे के घर से बरामद किया था. इस मामले में आरोपी बनने के बाद दीपक दुबे ने कोर्ट में आत्मसमर्पण करने की अर्जी दी थी. जिस पर कृष्णा नगर की पुलिस ने कोर्ट को बताया था कि दीपक वांछित है.
कोरोना रिपोर्ट लेकर पेश होने का आदेश
कोर्ट ने दीपक को सरेंडर करने के लिये 21 दिसम्बर की तारीख तय किया था. लेकिन शनिवार को दीपक दुबे की ओर से जल्द सुनवाई की मांग वाली अर्जी दी गई और कोर्ट से गुजारिश की गई कि उसे हिरासत में ले लिया जाए. लेकिन कोरोना की रिपोर्ट न होने के चलते कोर्ट ने आरोपी को हिरासत में नहीं लिया और अर्जी को कोरोना की रिपोर्ट आने पर पेश करने का आदेश दिया.
दीपक की संपत्ति हो चुकी है कुर्क
बता दें कि कृष्णानगर स्थित दीपक प्रकाश की संपत्ति लखनऊ पुलिस ने शुक्रवार कुर्क की थी. कुछ साल पहले दीपक की लाइसेंसी बंदूक के साथ गैंगस्टर विकास दुबे पकड़ा गया था. इसके बाद से ही दीपक प्रकाश फरार चल रहा था. लखनऊ पुलिस ने उस पर 50 हज़ार का इनाम भी घोषित कर रखा है.