लखनऊः विजिलेंस ने भ्रष्टाचार के मामले में फंसे IPS डॉ. अजयपाल शर्मा पर शिकंजा कस दिया है. कोर्ट से मंजूरी मिलने के बाद विजिलेंस ने आईपीएस समेत चार आरोपियों का वॉयस सैंपल लेने की कवायद शुरू कर दी है. हालांकि, लंबे समय से अजय पाल शर्मा वॉयस सैम्पल देने से कतरा रहे हैं. उन्होंने इसके खिलाफ कोर्ट में अपील भी की है.
बता दें कि, आईपीएस डॉ. अजय पाल शर्मा समेत भ्रष्टाचार के मामले के चारों आरोपियों को 20 सितंबर को अपना वॉयस सैंपल देना है. मेरठ के विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम कोर्ट ने विजिलेंस को आईपीएस अजय पाल शर्मा, कथित पत्रकार चंदन राय, स्वप्निल राय और अतुल कुमार शुक्ला का वॉइस सैंपल लेने की मंजूरी दी थी. आगामी 20 सितंबर को विधि विज्ञान प्रयोगशाला में चारों आरोपियों का वॉयस सैंपल लिया जाएगा.
विजिलेंस ने आईपीएस हिमांशु कुमार और डॉ. अजय पाल शर्मा के खिलाफ सितंबर 2020 में प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट की धारा आठ के तहत FIR दर्ज करवाई थी. दोनों मामलों में कथित पत्रकार चंदन राय, स्वप्निल राय और अतुल शुक्ला के खिलाफ भी केस दर्ज हुआ था. तीनों पर सरकारी अधिकारियों को भ्रष्टाचार के लिए प्रेरित करने का आरोप है.
विजिलेंस ने एफआईआर दर्ज करने के बाद से ही चारों आरोपियों के वॉयस सैंपल लेने के लिए प्रयासरत थी. आईपीएस अजय पाल शर्मा वॉयस सैंपल देने से बच रहे थे. बिजनेस में कोर्ट के जरिए उनका वॉयस सैंपल लेने की कोशिश की, जिसके खिलाफ अजय पाल ने कोर्ट में अपील की. डॉ. अजय पाल शर्मा वर्तमान में "112 यूपी" मुख्यालय में एसपी के पद पर तैनात हैं.
आईपीएस वैभव कृष्ण ने एसएसपी नोएडा रहते हुए पोस्टिंग कराने वाले कथित पत्रकारों की गिरफ्तारी के बाद शासन को एक जांच रिपोर्ट भेजी थी. इसमें आईपीएस हिमांशु कुमार और डॉ. अजयपाल शर्मा समेत 5 आईपीएस अफसरों पर गंभीर आरोप थे. इन दोनों अफसरों पर जिलों में ट्रांसफर पोस्टिंग के लिए लाखों रुपये के लेन-देन की बात हो रही थी. इस रिपोर्ट की जांच के लिए एक एसआईटी का गठन हुआ था. एसआईटी ने दोनों अफसरों को दोषी पाते हुए कार्रवाई की सिफारिश की थी. एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर दोनों के खिलाफ विजिलेंस की खुली जांच के आदेश हुए. विजिलेंस ने भी जांच के बाद दोनों को दोषी पाते हुए एफआईआर की संस्तुति की थी.
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