लखनऊः जिले में बायोमीट्रिक मशीन पर दूसरे का अंगूठा बनाकर नकदी निकालने वाले गैंग से पुलिस ने पूछताछ की तो ऐसे राज सामने आए कि पुलिस भी चौंक गई. आरोपियों ने बताया कि वह भारत सरकार के भू-लेख वेबसाइट से आसानी से दूसरों के अंगूठे का निशान और आधार कार्ड की डिटेल हासिल कर लेते थे. इसके बाद आसानी से दूसरों के खाते से नकदी निकाल लेते थे. गौरतलब है कि लखनऊ में साइबर क्राइम सेल और कृष्णानगर की पुलिस ने बीते गुरुवार को दो जालसाजों को दबोचा था. उन्होंने पूछताछ में यह सब बातें कबूल कीं.
गैंग के पास मिले 68 नकली अंगूठे
बायोमीट्रिक मशीन पर दूसरे का अंगूठा बनाकर नकदी निकालने वाले गैंग के पास से कुल 68 नकली अंगूठे मिले हैं. यह ऐसे अंगूठें हैं, जो कभी खराब नहीं हो सकते. इसका प्रयोग वह डबल साइट टेप के जरिए बायोमीट्रिक मशीन पर करके नकदी निकालते थे. वहीं, एक आरोपी के पास पेईनर कंपनी की डिस्ट्रीब्यूटरशिप भी है. वह पूरे देश में किसी को भी कंपनी की एजेंसी दे सकता है. यह कंपनी आरबीआई के निर्देश पर काम करती है, जो ग्रामीण इलाकों में एजेंट रखकर लोगों को नकदी उपलब्ध कराना व बैंकों में जमा कराने का काम करती है.
70 से अधिक खातों से रुपये निकालने की बात कबूली
जालसाजों ने कबूला कि वह काफी समय से बायोमीट्रिक मशीन के जरिए लोगों के खाते से नकदी निकाल रहे थे. अब तक ठगों ने 70 से अधिक लोगों के खाते से रुपये निकालने की बात कबूली है. बायोमीट्रिक मशीन और आधार कार्ड के जरिए अधिकतम 20 हजार रुपये ही खाते से निकाले जाते हैं. इस कारण जालसाज खातों से एक दिन में इतनी ही रकम निकालते थे. आरोपियाें ने भू-लेख वेबसाइट से सैकड़ों लोगों के अंगूठे के निशान व आधार कार्ड निकाले थे. जिसे स्कैन कर नकली अंगूठा बनाया था.
आजीवन निकाल सकते थे नकदी
साइबर सेल के एसीपी क्राइम विवेक रंजन राय के मुताबिक, आरोपियों के पास से 68 अंगूठे बरामद हुए हैं, जो कभी नष्ट नहीं हो सकते हैं. वह इन अंगूठों को एक बार बनाने के बाद आजीवन नकदी निकालने का काम कर सकते थे.
आरबीआई के निर्देश पर काम करती है पेईनर कंपनी
दबोचे गए जालसाजों में देवेंद्र मौर्या पेईनर कंपनी का डिस्ट्रीब्यूटर है. वह पूरे देश में किसी को भी एजेंट बना सकता है. उसने कई एजेंट बनाए थे. उनके जरिए ही वह अलग-अलग जिलों से नकदी निकलवाता था. पुलिस के मुताबिक, यह कंपनी एईपीएस (आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम) का काम करती है. यह कंपनी आरबीआई के निर्देश पर काम करती है. कंपनी का मूल काम ग्रामीणों इलाके में रहने वाले लोगों को आधार कार्ड व अंगूठे के निशान से नकदी उपलब्ध कराना है. वहीं, ग्रामीण इलाकों में लोगों से नकदी कलेक्ट कर बैंकों में जमा करती है. देवेंद्र ने इसी का फायदा उठाया. वह आधार कार्ड व अंगूठे से किसानों व ग्रामीणों के खाते से रकम निकालने के बाद एजेंटों के वॉलेट में ट्रांसफर करता था.
पूरी तरह से असुरक्षित है भू-लेख वेबसाइट
इस घटना के बाद साबित हुआ कि भारत सरकार का भूलेख वेबसाइट पूरी तरह से असुरक्षित है. कोई भी आसानी से इस वेबसाइट से पूरा डाटा चोरी कर सकता है. भूलेख वेबसाइट खोलने के बाद यूजर्स रजिस्ट्री व स्टांप के पिक्चर को क्लिक कर उसे खोल सकता है. इसके बाद वह अपने तहसील का नाम दर्ज करने के बाद एक पासवर्ड कंप्यूटर स्क्रीन पर ही दिखता है. जिसे भरने के बाद खोलकर किसी का भी रिकॉर्ड खंगाल सकता है. जैसे ही रिकॉर्ड सामने आया उसके सामने दर्ज स्कैन रिकॉर्ड को खोलकर अंगूठे के निशान, आधार कार्ड, रजिस्ट्री का पूरा दस्तावेज, गवाहों के अंगूठे के निशान और आधार कार्ड आसानी से डाउनलोड कर सकता है. इसी का फायदा इन जालसाजों ने उठाया. अंगूठे के निशान से नकली अंगूठा बनाकर खाते से रुपये उड़ा दिए. साइबर क्राइम सेल के निरीक्षक मथुरा राय के मुताबिक, इस तरह के महत्वपूर्ण वेबसाइट पर गोपनीयता का विशेष ख्याल रखना होगा. नहीं तो किसी के भी दस्तावेज से छेड़छाड़ कर जालसाजी की जा सकती है.
साइबर क्राइम सेल के अधिकारियों के मुताबिक, आरोपियों के पास से 68 अंगूठे बरामद हुए हैं, जो कभी नष्ट नहीं हो सकते हैं. वह इन अंगूठों को एक बार बनाने के बाद आजीवन नकदी निकालने का काम कर सकते थे.