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नई दिल्ली: चंद्रयान-2 के सफल प्रक्षेपण पर उपराष्ट्रपति ने वैज्ञानिकों को दी बधाई - vice president congratulates scientists on successful launch of chandrayaan-2

चंद्रयान-2 के सफल प्रक्षेपण पर उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने सदन में वैज्ञानिकों को बधाई दी. उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह अब तक का सबसे शक्तिशाली भारतीय रॉकेट है. वैज्ञानिकों की उपलब्धि ने देश का गौरव और आत्मविश्वास बढ़ाया है.

चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण पर उपराष्ट्रपति ने वैज्ञानिकों को दी बधाई.
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Published : Jul 22, 2019, 8:49 PM IST

नई दिल्ली: भारत के महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 का सोमवार को सफल प्रक्षेपण हो गया. चंद्रयान-2 श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से चंद्रमा के अनछुए पहलुओं का पता लगाने के लिये रवाना हो गया. इस मौके पर राज्यसभा में चंद्रयान-2 की अपार सफलता के बाद देश के वैज्ञानिकों को बधाई दी गई और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने सदन में वैज्ञानिकों को बधाई देने वाला प्रस्ताव भी पेश किया.

चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण पर उपराष्ट्रपति ने वैज्ञानिकों को दी बधाई.

उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन सोमवार को दोपहर 2.43 बजे दूसरा मून मिशन चंद्रयान-2 सफलतापूर्वक लॉन्च हो गया. देश के सबसे ताकतवर रॉकेट GSLV-MK3 से इसे लॉन्च किया गया. इस लॉन्चिंग के साथ ही इसरो ने इतिहास रच दिया. इस खास उपलब्धि पर इसरो की पूरे देश और विदेश में जमकर सराहना हो रही है.

सदन और राष्ट्र की ओर से चेयरमैन ने चंद्रयान -2 के लॉन्च की सफलता के पीछे सभी वैज्ञानिकों और कर्मियों को हार्दिक बधाई देते हुए शुभकामनाएं दीं. राज्यसभा में सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि वैज्ञानिक स्वदेशी प्रयास के लिए प्रशंसा के पात्र हैं. उन्होंने कहा, "यह अब तक का सबसे शक्तिशाली भारतीय रॉकेट है. वैज्ञानिकों की उपलब्धि ने देश का गौरव और आत्मविश्वास बढ़ाया है. यह बाहरी अंतरिक्ष में कहीं भी उतरने वाला पहला भारतीय अंतरिक्ष यान होगा.

उन्होंने कहा कि अब से कुछ हफ्तों में चंद्रमा पर चंद्रयान -2 की सफल लैंडिंग करने वाला भारत चौथा देश बना जाएगा. "चंद्रयान -2 के लिए चुनी गई लैंडिंग साइट पर अब तक कोई भी मानव निर्मित वस्तु नहीं पहुंची है." यह मिशन बाहरी अंतरिक्ष की खोज में भारत के योगदान में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा.

वेकैंया नायडू ने कहा, "चंद्रयान -2 मिशन इस ऐतिहासिक क्षण में एक सुखद संयोग है. यह पूरे देश से डॉ. साराभाई और उन कई अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को भी श्रद्धांजलि है, जिनकी पद यात्रा का अनुशरण किया गया है. सोमवार को देश के दूसरे चंद्रयान-2 को चंद्रमा के अज्ञात दक्षिण ध्रुव का पता लगाने के लिए श्रीहरिकोटा के अंतरिक्षयान से भेजा गया है.

नई दिल्ली: भारत के महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 का सोमवार को सफल प्रक्षेपण हो गया. चंद्रयान-2 श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से चंद्रमा के अनछुए पहलुओं का पता लगाने के लिये रवाना हो गया. इस मौके पर राज्यसभा में चंद्रयान-2 की अपार सफलता के बाद देश के वैज्ञानिकों को बधाई दी गई और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने सदन में वैज्ञानिकों को बधाई देने वाला प्रस्ताव भी पेश किया.

चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण पर उपराष्ट्रपति ने वैज्ञानिकों को दी बधाई.

उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन सोमवार को दोपहर 2.43 बजे दूसरा मून मिशन चंद्रयान-2 सफलतापूर्वक लॉन्च हो गया. देश के सबसे ताकतवर रॉकेट GSLV-MK3 से इसे लॉन्च किया गया. इस लॉन्चिंग के साथ ही इसरो ने इतिहास रच दिया. इस खास उपलब्धि पर इसरो की पूरे देश और विदेश में जमकर सराहना हो रही है.

सदन और राष्ट्र की ओर से चेयरमैन ने चंद्रयान -2 के लॉन्च की सफलता के पीछे सभी वैज्ञानिकों और कर्मियों को हार्दिक बधाई देते हुए शुभकामनाएं दीं. राज्यसभा में सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि वैज्ञानिक स्वदेशी प्रयास के लिए प्रशंसा के पात्र हैं. उन्होंने कहा, "यह अब तक का सबसे शक्तिशाली भारतीय रॉकेट है. वैज्ञानिकों की उपलब्धि ने देश का गौरव और आत्मविश्वास बढ़ाया है. यह बाहरी अंतरिक्ष में कहीं भी उतरने वाला पहला भारतीय अंतरिक्ष यान होगा.

उन्होंने कहा कि अब से कुछ हफ्तों में चंद्रमा पर चंद्रयान -2 की सफल लैंडिंग करने वाला भारत चौथा देश बना जाएगा. "चंद्रयान -2 के लिए चुनी गई लैंडिंग साइट पर अब तक कोई भी मानव निर्मित वस्तु नहीं पहुंची है." यह मिशन बाहरी अंतरिक्ष की खोज में भारत के योगदान में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा.

वेकैंया नायडू ने कहा, "चंद्रयान -2 मिशन इस ऐतिहासिक क्षण में एक सुखद संयोग है. यह पूरे देश से डॉ. साराभाई और उन कई अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को भी श्रद्धांजलि है, जिनकी पद यात्रा का अनुशरण किया गया है. सोमवार को देश के दूसरे चंद्रयान-2 को चंद्रमा के अज्ञात दक्षिण ध्रुव का पता लगाने के लिए श्रीहरिकोटा के अंतरिक्षयान से भेजा गया है.

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