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वाहन को मनमाने तरीके से बना ली खानपान की दुकान, परिवहन विभाग के अधिकारी अनजान

परिवहन विभाग की अनदेखी से शहर की कई सड़कों पर मनमाने तरीके से बनी मॉडिफाई फूड वैन दौड़ रही हैं. इस तरह के मॉडिफाई वाहन शहरवासियों के लिए खतरा हैं. बड़ा सवाल यह है कि ऐसे वाहनों को फिटनेस टेस्ट में क्लीरियरेंस कैसे मिल रहा है.

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Published : Dec 30, 2022, 11:44 AM IST

मॉडिफाई फूड वैन.

लखनऊ : परिवहन विभाग (transport Department) के अधिकारियों की अनदेखी के चलते वाहनों में खानपान की दुकानें चल रही हैं. वाहन स्वामियों ने वाहन का रजिस्ट्रेशन आरटीओ कार्यालय में बंद और खुले वाहनों के रूप में कराया, लेकिन बाद में इन्हें मॉडिफाई कर खानपान की दुकानों में तब्दील कर लिया. शहर की कई सड़कों पर ऐसे फूड वैन देखी जा सकती है. इन गाड़ियों में किचन का पूरा सामान, गैस बर्नर, सिलेंडर, खड़े होने के लिए लिए फुट रेस्ट बना लिए गए हैं. इन फूड वैन पर चाऊमीन, मोमोज, दाल-चावल, बाटी चोखा और नॉनवेज बिकता है. सबसे बड़ा सवाल यह है कि मॉडिफाई होने के बाद इन वाहनों को फिटनेस कैसे मिल रही है. जबकि अब फिटनेस मैनुअल न होकर मशीनों से होती है.

परिवहन विभाग (transport Department) के नियमों के मुताबिक किसी भी वाहन का स्वरूप परिवहन विभाग की अनुमति के बिना नहीं बदला जा सकता है. परिवहन विभाग में खुली और बंद कामर्शियल वाहनों का रजिस्ट्रेशन हो सकता है. कैंपर के रूप में सिर्फ बोलेरो ही रजिस्टर्ड होती है, लेकिन शहर में ऐसी भी गाड़ियां हैं जो आरटीओ में रजिस्टर्ड तो खुली या बंद गाड़ियों के रूप में हुईं, लेकिन बाद में इनका स्वरूप मनमाने ढंग से बदल लिया गया.

खाद्य वैन के लिए नियम (Rules for Food Vans) : खाद्य वैन (food van) के व्यवसाय संचालन के लिए कामर्शियल वाहन होना जरूरी है. उपयोग किए जा रहे वाणिज्यिक वाहन के लिए आरटीओ से वाहन लाइसेंस प्राप्त करना खाद्य वैन मालिक के लिए जरूरी है. एआरटीओ (प्रशासन) अखिलेश द्विवेदी (ARTO Administration Akhilesh Dwivedi) का कहना है कि फूड वैन आरटीओ में रजिस्टर्ड हैं या नहीं, इसकी जानकारी मुझे नहीं है. बंद और खुली कामर्शियल गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन (commercial vehicle registration) होता है. इसके अलावा कैम्पर के रूप में बोलेरो ही रजिस्टर्ड होती है. इस तरह की गाड़ियों का कोई प्रावधान भी नहीं है. अब यह पता करना पड़ेगा कि ऐसे वाहनों को फिटनेस कैसे दी जा रही है. इन वाहनों की फिटनेस है भी या नहीं, इसकी भी जानकारी करनी होगी.

यह भी पढ़ें : राहुल गांधी की पदयात्रा से यूपी कांग्रेस को मिलेगी ऊर्जा, इस रणनीति पर भी काम कर रही पार्टी

मॉडिफाई फूड वैन.

लखनऊ : परिवहन विभाग (transport Department) के अधिकारियों की अनदेखी के चलते वाहनों में खानपान की दुकानें चल रही हैं. वाहन स्वामियों ने वाहन का रजिस्ट्रेशन आरटीओ कार्यालय में बंद और खुले वाहनों के रूप में कराया, लेकिन बाद में इन्हें मॉडिफाई कर खानपान की दुकानों में तब्दील कर लिया. शहर की कई सड़कों पर ऐसे फूड वैन देखी जा सकती है. इन गाड़ियों में किचन का पूरा सामान, गैस बर्नर, सिलेंडर, खड़े होने के लिए लिए फुट रेस्ट बना लिए गए हैं. इन फूड वैन पर चाऊमीन, मोमोज, दाल-चावल, बाटी चोखा और नॉनवेज बिकता है. सबसे बड़ा सवाल यह है कि मॉडिफाई होने के बाद इन वाहनों को फिटनेस कैसे मिल रही है. जबकि अब फिटनेस मैनुअल न होकर मशीनों से होती है.

परिवहन विभाग (transport Department) के नियमों के मुताबिक किसी भी वाहन का स्वरूप परिवहन विभाग की अनुमति के बिना नहीं बदला जा सकता है. परिवहन विभाग में खुली और बंद कामर्शियल वाहनों का रजिस्ट्रेशन हो सकता है. कैंपर के रूप में सिर्फ बोलेरो ही रजिस्टर्ड होती है, लेकिन शहर में ऐसी भी गाड़ियां हैं जो आरटीओ में रजिस्टर्ड तो खुली या बंद गाड़ियों के रूप में हुईं, लेकिन बाद में इनका स्वरूप मनमाने ढंग से बदल लिया गया.

खाद्य वैन के लिए नियम (Rules for Food Vans) : खाद्य वैन (food van) के व्यवसाय संचालन के लिए कामर्शियल वाहन होना जरूरी है. उपयोग किए जा रहे वाणिज्यिक वाहन के लिए आरटीओ से वाहन लाइसेंस प्राप्त करना खाद्य वैन मालिक के लिए जरूरी है. एआरटीओ (प्रशासन) अखिलेश द्विवेदी (ARTO Administration Akhilesh Dwivedi) का कहना है कि फूड वैन आरटीओ में रजिस्टर्ड हैं या नहीं, इसकी जानकारी मुझे नहीं है. बंद और खुली कामर्शियल गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन (commercial vehicle registration) होता है. इसके अलावा कैम्पर के रूप में बोलेरो ही रजिस्टर्ड होती है. इस तरह की गाड़ियों का कोई प्रावधान भी नहीं है. अब यह पता करना पड़ेगा कि ऐसे वाहनों को फिटनेस कैसे दी जा रही है. इन वाहनों की फिटनेस है भी या नहीं, इसकी भी जानकारी करनी होगी.

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