लखनऊ: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनुषांगिक संगठन स्वदेशी जागरण मंच के स्वदेशी मेले में भारतीय वैदिक घड़ी का प्रदर्शन किया गया. यह पहली बार है कि किसी सार्वजनिक मंच पर वैदिक घड़ी को प्रदर्शित किया गया है जो कि पूरी तरह से डिजिटल है और इंटरनेट बेस्ड है. इस घड़ी का आविष्कार करने वाले मर्चेंट नेवी इंजीनियर आरोह श्रीवास्तव ने लंदन से पढ़ाई की है मगर वह लखनऊ के रहने वाले हैं. उन्होंने बताया कि इस घड़ी की खासियत यह है कि यह घड़ी सूर्योदय के हिसाब से चलेगी. जब घड़ी में शून्य बजेगा तब सूर्य उदय का समय होगा. दुनिया की किसी भी डिजिटल क्लॉक में इस तरह की सुविधा नहीं है.
सूर्योदय के समय के हिसाब से घड़ी बनने का फायदा पूरी दुनिया को हो सकता है, क्योंकि इसके जरिए टाइम जोन को बदलने की जरूरत पूरी दुनिया में खत्म हो जाएगी. यह भारतीय वैदिक गणित का अद्भुत नमूना होगा. जिसको देश भर के सभी ज्योतिर्लिंगों और चारों धामों के मठाधीशों ने स्वीकृति दे दी है. अब भारत सरकार से इस घड़ी को स्वीकृत कराने के लिए संघ परिवार तैयारी कर रहा है.
टाइम जोन में होने पर होती है दिक्कतें
गोमतीनगर स्थित संगीत नाटक एकेडमी के परिसर में स्वदेशी मेला चल रहा है. जहां आरोह श्रीवास्तव ने अपनी इस घड़ी का डेमो किया है. आरोह श्रीवास्तव ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि जब वह मर्चेंट नेवी के लिए काम कर रहे थे तब समुद्री यात्रा के दौरान उन्होंने ध्यान दिया की अलग-अलग टाइम जोन में होने पर कई तरह की दिक्कतें आती हैं. उन्होंने भारत का उदाहरण देते हुए बताया कि गुवाहाटी में शाम 4:30 बजे तक धूप खत्म होने लगती है और सूर्यास्त होना शुरू हो जाता है. ऐसे में आईआईटी गुवाहाटी के विद्यार्थियों ने भारत सरकार से असम के लिए अलग टाइम जोन की मांग की है, क्योंकि वहां दिन जल्दी शुरू होता है और जल्दी खत्म होता है. ऐसे में भारत में बाकी जगह के मुकाबले उनको अलग तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. मगर वैदिक घड़ी में इस तरह की समस्याओं का समाधान हो जाएगा. उन्होंने बताया कि यह भारतीय घड़ी सूर्य की गति के आधार पर बनाई गई है. जिसमें 0 से लेकर 30 घंटे तक का समय है और जब इस घड़ी में 0 बसता है तब सूर्य उदय होता है.
सूर्य उदय के हिसाब से ही चलती है घड़ी
आरोह श्रीवास्तव ने बताया कि एक सूर्योदय से लेकर दूसरे सूर्योदय के बीच इस घड़ी में 30 घंटे का समय है. जिसके जरिए दुनिया के किसी भी हिस्से में यह घड़ी होगी तो सूर्योदय का एकदम वास्तविक समय बताएगी. अगर आप सूर्य के उदय होने के साथ जागना चाहते हैं तो जीरो बजने का अलार्म लगा दीजिए, आप ठीक सूर्योदय के समय ही जागेंगे. उन्होंने बताया कि घड़ी सूर्य उदय के हिसाब से ही चलती है. सूर्य अस्त होने का समय मौसम के हिसाब से बदल सकता है, मगर सूर्योदय एक जैसा ही रहता है. उन्होंने बताया कि न केवल घड़ी सूर्य उदय का सही समय बता सकती है, बल्कि रोजाना के शुभ मुहूर्त लग्न राशियों की जानकारी भी इस घड़ी के जरिए मिलती है. आरोह बताते हैं कि उनको लगभग 2 साल का समय इस घड़ी को बनाने में लगा और आज की तारीख में यह 22 हजार की कीमत में तैयार हो रही है. आरोह बताते हैं कि इस घड़ी को मान्यता देने के लिए उन्होंने भारत भर के सभी 12 ज्योतिर्लिंग और चारों धाम की यात्रा साइकिल से की और सभी मठाधीशों ने उनकी इस घड़ी को मान्यता दी और माना कि भारतीय ज्योतिषशास्त्र के और सूर्य की गति के साथ या घड़ी पूरी तरह से वैज्ञानिक है. दुनिया में आमूलचूल बदलाव करने के योग्य है.