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अधिकारी मना करते रहे विनय पाठक चहेतों को देते रहे फायदा, STF ने जांच में किए कई खुलासे - डिजिटेक्स टेक्नोलॉजीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड

कानपुर विश्वविद्यालय के वीसी विनय पाठक ने अपने मातहतों के रोकने और टोकने के बावजूद अपने चहेते अजय मिश्र समेत अन्य लोगों को फायदा पहुंचाते रहे. एसटीएफ की 67 दिनों की छानबीन और 177 लोगों से पूछताछ के बाद कुछ ऐसी ही रिपोर्ट शासन को सौंपी है. सूत्रों के अनुसार एसटीएफ की रिपोर्ट में कई अहम खुलासे भी किए गए हैं.

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Published : Jan 6, 2023, 10:01 AM IST

लखनऊ : कानपुर यूनिवर्सिटी के वीसी विनय पाठक (Vinay Pathak VC of Kanpur University) से जुड़ी जांच रिपोर्ट एसटीएफ ने शासन को सौंप दी है. शासन को सौंपी रिपोर्ट में सामने आया है कि एजेंसी ने कमीशन खोरी के मामले की जांच 67 दिनों तक चली. इस दौरान 177 लोगों से पूछताछ की गई थी. रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रशासनिक अधिकारियों ने कई बार विरोध किया. बावजूद इसके विनय पाठक अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए सभी नियम तोड़ने पर आमादा थे. एसटीएफ को एकेटीयू, आगरा व कानपुर यूनिवर्सिटी के प्रशासनिक अधिकारियों के बयानों में इसकी पुष्टि हुई है.

सूत्रों के मुताबिक शासन को सौंपी गई रिपोर्ट (Corruption of Vinay Pathak) में इस बात का जिक्र है कि किस तरह एक्सएलआईसीटी कंपनी के संचालक अजय मिश्र को प्री व पोस्ट परीक्षा की जिम्मेदारी देने के अलावा भी और फायदा देने का हर स्तर पर विरोध होता रहा, लेकिन पाठक ने इन सभी की अनदेखी करते हुए अजय मिश्रा को लाभ पहुंचाते रहे. रिपोर्ट में एसटीएफ ने शासन को बताया है कि पाठक के चहेते अजय मिश्र की लखनऊ के इंदिरानगर स्थित प्रिंटिंग प्रेस में बिहार की कई यूनिवर्सिटी के अलावा लखनऊ यूनिवर्सिटी के पेपर भी यहां नियम विरुद्ध छापे गए.

बता दें, सरकार ने विनय पाठक से जुड़े कमीश्वनखोरी व भ्रष्टाचार (kickbacks and corruption) के मामले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की है. इसी के चलते शासन ने एसटीएफ से पाठक से जुड़ी जांच की प्रगति रिपोर्ट तलब की थी. जिसे बुधवार को एजेंसी ने सौंप दिया था. दरअसल, लखनऊ के इंदिरानगर थाने में 26 अक्टूबर को डिजिटेक्स टेक्नोलॉजीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के एमडी डेविड एम. डेनिस ने FIR दर्ज कराते हुए आरोप लगाया था कि उनकी कंपनी वर्ष 2014 से एग्रीमेंट के तहत आगरा विश्वविद्यालय में प्री और पोस्ट एग्जाम का काम करती रही है. विश्वविद्यालय के एग्जाम पेपर छापना, कॉपी को एग्जाम सेंटर से यूनिवर्सिटी तक पहुंचाने का पूरा काम इसी कंपनी के द्वारा किया जाता रहा है. वर्ष 2019 में एग्रीमेंट खत्म हुआ तो डिजिटेक्स टेक्नोलॉजीज (Digitex Technologies) ने यूपीएलसी के जरिए आगरा विश्वविद्यालय का काम किया. इस बीच वर्ष 2020 से 2022 तक कंपनी के द्वारा किए गए काम का करोड़ों रुपये बिल बकाया हो गया था. इसी दौरान जनवरी 2022 में आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा के कुलपति का चार्ज प्रो. विनय पाठक को मिला तो उन्होंने बिल पास करने के एवज में कमीशन की मांग की. इस मामले में एसटीएफ ने अभी तक तीन आरोपियों अजय मिश्रा, अजय जैन और संतोष सिंह को गिरफ्तार किया है.

यह भी पढ़ें : प्रदेश में निवेश के लिए अनुकूल माहौल पर निचले तंत्र में सुधार की जरूरत

लखनऊ : कानपुर यूनिवर्सिटी के वीसी विनय पाठक (Vinay Pathak VC of Kanpur University) से जुड़ी जांच रिपोर्ट एसटीएफ ने शासन को सौंप दी है. शासन को सौंपी रिपोर्ट में सामने आया है कि एजेंसी ने कमीशन खोरी के मामले की जांच 67 दिनों तक चली. इस दौरान 177 लोगों से पूछताछ की गई थी. रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रशासनिक अधिकारियों ने कई बार विरोध किया. बावजूद इसके विनय पाठक अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए सभी नियम तोड़ने पर आमादा थे. एसटीएफ को एकेटीयू, आगरा व कानपुर यूनिवर्सिटी के प्रशासनिक अधिकारियों के बयानों में इसकी पुष्टि हुई है.

सूत्रों के मुताबिक शासन को सौंपी गई रिपोर्ट (Corruption of Vinay Pathak) में इस बात का जिक्र है कि किस तरह एक्सएलआईसीटी कंपनी के संचालक अजय मिश्र को प्री व पोस्ट परीक्षा की जिम्मेदारी देने के अलावा भी और फायदा देने का हर स्तर पर विरोध होता रहा, लेकिन पाठक ने इन सभी की अनदेखी करते हुए अजय मिश्रा को लाभ पहुंचाते रहे. रिपोर्ट में एसटीएफ ने शासन को बताया है कि पाठक के चहेते अजय मिश्र की लखनऊ के इंदिरानगर स्थित प्रिंटिंग प्रेस में बिहार की कई यूनिवर्सिटी के अलावा लखनऊ यूनिवर्सिटी के पेपर भी यहां नियम विरुद्ध छापे गए.

बता दें, सरकार ने विनय पाठक से जुड़े कमीश्वनखोरी व भ्रष्टाचार (kickbacks and corruption) के मामले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की है. इसी के चलते शासन ने एसटीएफ से पाठक से जुड़ी जांच की प्रगति रिपोर्ट तलब की थी. जिसे बुधवार को एजेंसी ने सौंप दिया था. दरअसल, लखनऊ के इंदिरानगर थाने में 26 अक्टूबर को डिजिटेक्स टेक्नोलॉजीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के एमडी डेविड एम. डेनिस ने FIR दर्ज कराते हुए आरोप लगाया था कि उनकी कंपनी वर्ष 2014 से एग्रीमेंट के तहत आगरा विश्वविद्यालय में प्री और पोस्ट एग्जाम का काम करती रही है. विश्वविद्यालय के एग्जाम पेपर छापना, कॉपी को एग्जाम सेंटर से यूनिवर्सिटी तक पहुंचाने का पूरा काम इसी कंपनी के द्वारा किया जाता रहा है. वर्ष 2019 में एग्रीमेंट खत्म हुआ तो डिजिटेक्स टेक्नोलॉजीज (Digitex Technologies) ने यूपीएलसी के जरिए आगरा विश्वविद्यालय का काम किया. इस बीच वर्ष 2020 से 2022 तक कंपनी के द्वारा किए गए काम का करोड़ों रुपये बिल बकाया हो गया था. इसी दौरान जनवरी 2022 में आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा के कुलपति का चार्ज प्रो. विनय पाठक को मिला तो उन्होंने बिल पास करने के एवज में कमीशन की मांग की. इस मामले में एसटीएफ ने अभी तक तीन आरोपियों अजय मिश्रा, अजय जैन और संतोष सिंह को गिरफ्तार किया है.

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