लखनऊ: बढ़ते तापमान और कोरोना के कहर के बीच राजधानी की उज्मा परवीन मानवता की अलग ही मिसाल कायम कर रही हैं. वह राजधानी की तंग गलियों में मंदिर, मस्जिद, दुकानों और मोहल्लों को कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाने के मिशन में जुटी हैं. उज्मा हर रोज तेज धूप और गर्मी के बावजूद सैनिटाइजर मशीन अपने कंधों पर टांगकर शहर के अलग-अलग हिस्सों में निकलकर सैनिटाइजर का छिड़काव कर रही हैं.
पुराने लखनऊ की रहने वाली उज्मा परवीन एक बच्चे की मां भी हैं. इन दिनों वह समाज को कोरोना वायरस जैसी जानलेवा बीमारी से निजात दिलाने के लिए अपनी पीठ पर भारी भरकम सैनिटाइजर मशीन लादकर गली, मोहल्लों और तमाम धार्मिक स्थलों को बिना भेदभाव के सैनिटाइज करने का काम कर रही हैं. इसे लेकर उनकी सोशल मीडिया पर भी खूब सरहना हो रही है.
अपने इस काम को लेकर उज्मा ने बताया कि लॉकडाऊन-1 से लेकर अब तक वह इस कार्य को करती आ रही हैं. उनका मकसद कोरोना वायरस के साथ ही धर्मों के नाम पर समाज में फैली नफरत के वायरस को भी मिटाना है. उज्मा का कहना है कि लॉकडाउन के बाद से उनकी दिनचर्या यह है कि गली-गली और मोहल्लों में जाकर वह बिना किसी भेदभाव के मंदिर हों या मस्जिद या फिर कोई शिवालय या गिरजाघर सबको सैनिटाइज करना है. इतना ही नहीं वह लोगों को वायरस से बचाने के लिए मास्क, ग्लव्स और सैनिटाइजर वितरण के साथ ही लोगों को जागरूक भी करती हैं.
आमतौर से समाज में एक धारणा बनी हुई है कि मुस्लिम महिलाएं घरों में ही पर्दे की आड़ में रहती हैं, लेकिन उज्मा का यह कार्य उन धारणाओं पर चोट है. सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद भी कोरोना वायरस की महामारी रुकने का नाम नहीं ले रही है. ऐसे में समाज को इस बीमारी से बचाने के लिए लखनऊ की रहने वाली उज्मा की इस पहल की जमकर सराहना हो रही है.