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परिवहन निगम में बस संचालन का नहीं है कोई कर्ताधर्ता, खाली है कुर्सियां

उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की बसें पिछले एक माह से बिना मुखिया के ही संचालित हो रही हैं. निगम के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब एक माह बीत जाने के बाद भी मुख्य प्रधान प्रबंधक (संचालन) के पद पर किसी की तैनाती ही नहीं हुई है. ऐसे में बसों का संचालन पर निगाह रखने वाला कोई भी अफसर नहीं है. इतना ही नहीं मुख्य प्रधान प्रबंधक (प्रशासन) की भी कुर्सी एक माह से खाली है.

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Published : Feb 5, 2021, 10:10 AM IST

उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम.
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की बसें पिछले एक माह से बिना मुखिया के ही संचालित हो रही हैं. निगम के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब एक माह बीत जाने के बाद भी मुख्य प्रधान प्रबंधक (संचालन) के पद पर किसी की तैनाती ही नहीं हुई है. ऐसे में बसों का संचालन पर निगाह रखने वाला कोई भी अफसर नहीं है. इतना ही नहीं मुख्य प्रधान प्रबंधक (प्रशासन) की भी कुर्सी एक माह से खाली है. इस पर सरकार को किसी पीसीएस की तैनाती करनी है. दोनों अधिकारियों के न होने से कई तरह के काम प्रभावित हो रहे हैं. सीजीएम (प्रशासन) की जब तक तैनाती नहीं होती है तब तक परिवहन निगम के अपर प्रबंध निदेशक ही उनका कार्यभार देखते हैं, लेकिन मुख्य प्रधान प्रबंधक (संचालन) के न होने से यात्री सुविधाओं के साथ ही बसों के संचालन की मॉनिटरिंग का काम ठप पड़ा हुआ है.

इन अफसरों के रिटायरमेंट के बाद तैनाती नहीं
31 दिसंबर को मुख्य प्रधान प्रबंधक(प्रशासन) एसके दुबे और मुख्य प्रधान प्रबंधक (संचालन) पीआर बेलवरियार सेवानिवृत्त हो गए थे. इसके बाद मुख्य प्रधान प्रबंधक (संचालन) के पद पर परिवहन निगम के सबसे वरिष्ठ अफसर की तैनाती होनी थी, जो प्रधान प्रबंधक स्तर के होते हैं. ऐसा पहली बार हुआ है जब परिवहन निगम के मुखिया आईएएस धीरज साहू ने अब तक इस कुर्सी पर किसी की भी पोस्टिंग नहीं की है. वरिष्ठता के हिसाब से इसके दावेदार परिवहन निगम मुख्यालय पर तैनात प्रधान प्रबंधक अनघ मिश्रा हैं.

इतने दिन तक पहली बार पद खाली
साल 1972 से परिवहन निगम के इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है कि एक माह से ज्यादा समय के लिए परिवहन निगम मुख्यालय पर मुख्य प्रधान प्रबंधक संचालन का पद रिक्त रहा हो. हमेशा सेवानिवृत्ति के बाद दूसरे वरिष्ठ अफसर को इस पद पर तैनात कर दिया जाता था, जिससे प्रदेश भर में बसों के संचालन और यात्री सुविधा में किसी तरह की रुकावट न आए, लेकिन इस बार कोई भी अधिकारी तैनात नहीं किया गया. इसमें भी एक बड़ा कारण यह फंस रहा है कि इस कुर्सी पर प्रभारी के रूप में मुख्य प्रधान प्रबंधक (संचालन) तैनात कर दिए जाते थे, लेकिन इस समय जो सबसे सीनियर अधिकारी हैं. वह प्रभारी के रूप में चार्ज लेना भी नहीं चाहते हैं. वह चाहते हैं कि नियमावली के हिसाब से जब सभी मानक पूरे हो रहे हैं तो पूरी तरह से मुख्य प्रधान प्रबंधक (संचालन) का पद दिया जाए न कि प्रभारी मुख्य प्रधान प्रबंधक (संचालन) शायद यही वजह है यह कुर्सी अब तक खाली है.

ये काम हो रहे प्रभावित
मुख्य प्रधान प्रबंधक प्रशासन के न होने से कर्मचारियों की समस्याओं के समाधान से संबंधित फाइलें साइन नहीं हो पा रही हैं तो जिन अधिकारियों और कर्मचारियों की जांचें लंबित है उनका भी कोई निष्कर्ष नहीं निकल पा रहा है. मुख्य प्रधान प्रबंधक संचालन के न होने से प्रदेश में चल रही बसों की मॉनिटरिंग हो पाना मुश्किल हो रहा है, साथ ही यात्रियों की मिलने वाली सुविधाओं पर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा.

अधिकारियों को बांट दिया काम
परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक धीरज साहू ने सीजीएम संचालन के पद पर किसी अधिकारी की तैनाती के बजाय जीएम स्तर के अधिकारियों में काम वितरित कर दिए. हालांकि कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री का सड़क सुरक्षा को लेकर जो कार्यक्रम हुआ उसमें मुख्य प्रधान प्रबंधक संचालन के न होने से काफी दिक्कत हुई. वजह है कि अधिकारियों से समन्वय स्थापित करने वाला मुख्य अफसर कार्यक्रम में मौजूद नहीं था.

इसे भी पढे़ं- परिवहन विभाग ने तैयार किया खास एम-परिवहन ऐप

लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की बसें पिछले एक माह से बिना मुखिया के ही संचालित हो रही हैं. निगम के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब एक माह बीत जाने के बाद भी मुख्य प्रधान प्रबंधक (संचालन) के पद पर किसी की तैनाती ही नहीं हुई है. ऐसे में बसों का संचालन पर निगाह रखने वाला कोई भी अफसर नहीं है. इतना ही नहीं मुख्य प्रधान प्रबंधक (प्रशासन) की भी कुर्सी एक माह से खाली है. इस पर सरकार को किसी पीसीएस की तैनाती करनी है. दोनों अधिकारियों के न होने से कई तरह के काम प्रभावित हो रहे हैं. सीजीएम (प्रशासन) की जब तक तैनाती नहीं होती है तब तक परिवहन निगम के अपर प्रबंध निदेशक ही उनका कार्यभार देखते हैं, लेकिन मुख्य प्रधान प्रबंधक (संचालन) के न होने से यात्री सुविधाओं के साथ ही बसों के संचालन की मॉनिटरिंग का काम ठप पड़ा हुआ है.

इन अफसरों के रिटायरमेंट के बाद तैनाती नहीं
31 दिसंबर को मुख्य प्रधान प्रबंधक(प्रशासन) एसके दुबे और मुख्य प्रधान प्रबंधक (संचालन) पीआर बेलवरियार सेवानिवृत्त हो गए थे. इसके बाद मुख्य प्रधान प्रबंधक (संचालन) के पद पर परिवहन निगम के सबसे वरिष्ठ अफसर की तैनाती होनी थी, जो प्रधान प्रबंधक स्तर के होते हैं. ऐसा पहली बार हुआ है जब परिवहन निगम के मुखिया आईएएस धीरज साहू ने अब तक इस कुर्सी पर किसी की भी पोस्टिंग नहीं की है. वरिष्ठता के हिसाब से इसके दावेदार परिवहन निगम मुख्यालय पर तैनात प्रधान प्रबंधक अनघ मिश्रा हैं.

इतने दिन तक पहली बार पद खाली
साल 1972 से परिवहन निगम के इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है कि एक माह से ज्यादा समय के लिए परिवहन निगम मुख्यालय पर मुख्य प्रधान प्रबंधक संचालन का पद रिक्त रहा हो. हमेशा सेवानिवृत्ति के बाद दूसरे वरिष्ठ अफसर को इस पद पर तैनात कर दिया जाता था, जिससे प्रदेश भर में बसों के संचालन और यात्री सुविधा में किसी तरह की रुकावट न आए, लेकिन इस बार कोई भी अधिकारी तैनात नहीं किया गया. इसमें भी एक बड़ा कारण यह फंस रहा है कि इस कुर्सी पर प्रभारी के रूप में मुख्य प्रधान प्रबंधक (संचालन) तैनात कर दिए जाते थे, लेकिन इस समय जो सबसे सीनियर अधिकारी हैं. वह प्रभारी के रूप में चार्ज लेना भी नहीं चाहते हैं. वह चाहते हैं कि नियमावली के हिसाब से जब सभी मानक पूरे हो रहे हैं तो पूरी तरह से मुख्य प्रधान प्रबंधक (संचालन) का पद दिया जाए न कि प्रभारी मुख्य प्रधान प्रबंधक (संचालन) शायद यही वजह है यह कुर्सी अब तक खाली है.

ये काम हो रहे प्रभावित
मुख्य प्रधान प्रबंधक प्रशासन के न होने से कर्मचारियों की समस्याओं के समाधान से संबंधित फाइलें साइन नहीं हो पा रही हैं तो जिन अधिकारियों और कर्मचारियों की जांचें लंबित है उनका भी कोई निष्कर्ष नहीं निकल पा रहा है. मुख्य प्रधान प्रबंधक संचालन के न होने से प्रदेश में चल रही बसों की मॉनिटरिंग हो पाना मुश्किल हो रहा है, साथ ही यात्रियों की मिलने वाली सुविधाओं पर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा.

अधिकारियों को बांट दिया काम
परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक धीरज साहू ने सीजीएम संचालन के पद पर किसी अधिकारी की तैनाती के बजाय जीएम स्तर के अधिकारियों में काम वितरित कर दिए. हालांकि कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री का सड़क सुरक्षा को लेकर जो कार्यक्रम हुआ उसमें मुख्य प्रधान प्रबंधक संचालन के न होने से काफी दिक्कत हुई. वजह है कि अधिकारियों से समन्वय स्थापित करने वाला मुख्य अफसर कार्यक्रम में मौजूद नहीं था.

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