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Uttar Pradesh Power Corporation Limited : केंद्रीय उर्जा मंत्री से उपभोक्ता परिषद ने पूछे चार सवाल, जानिए क्यों

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद (Uttar Pradesh Power Corporation Limited) ने विद्युत उपभोक्ताओं के घर में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने की व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं. उपभोक्ता परिषद ने इन्वेस्टर समिट में हिस्सा लेने पहुंच रहे केंद्रीय उर्जा मंत्री आरके सिंह और ऊर्जा सचिव आलोक कुमार से कुछ सवालों के जवाब मांगे हैं.

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Published : Feb 10, 2023, 4:52 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में कल से शुरू होने वाले इन्वेस्टर समिट में हिस्सा लेने केंद्रीय उर्जा मंत्री आरके सिंह, ऊर्जा सचिव आलोक कुमार लखनऊ आ रहे हैं. उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अजय कुमार वर्मा का कहना है कि परिषद उनसे पूछना चाहता है कि विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 47(5 ) जिसमें उपभोक्ता को प्रीपेड मीटर लेने की सहमति जरूरी है, का प्रावधान है. इस संबंध में केंद्र सरकार का क्या कहना है? इसके अलावा विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 56 में किसी भी उपभोक्ता के बकाए पर विद्युत आपूर्ति को तभी काटा जा सकता है जब अनिवार्य रूप से 15 दिन की लिखित नोटिस उसे दी जाए अभी तक इन दोनों कानूनों में कोई भी बदलाव नहीं किया गया.

केंद्र सरकार ने एक रूल बनाकर कि वर्ष 2025 तक सभी विद्युत उपभोक्ताओं के घर में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगा दिया जाए, क्या यह संवैधानिक है ? स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जाने के बाद उसमें बकाए पर विद्युत उपभोक्ता की विद्युत आपूर्ति रिमोट विधि से काट दी जाती है. इस दशा में उसे नोटिस कैसे प्राप्त होगी? बिना प्रदेश के उपभोक्ताओं की सहमति के प्रदेश के सभी विद्युत उपभोक्ताओं के घरों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने के लिए 2.5 करोड स्मार्ट प्रीपेड मीटर का टेंडर जारी कर दिया गया क्या ये संवैधानिक है? उत्तर प्रदेश का गरीब आम विद्युत उपभोक्ता देश के ऊर्जा मंत्री से जवाब चाहता है. उपभोक्ता परिषद देश के ऊर्जा मंत्री से स्मार्ट प्रीपेड मीटर के ऊंची दरों पर हो रहे टेंडर पर भी उपभोक्ताओं के हित में उनका पक्ष जानना चाहता है. अगर इस मुद्दे पर भी कुछ कहा गया तो निश्चित ही उपभोक्ताओं का भ्रम दूर होगा. उपभोक्ता परिषद इस पर भी ऊर्जा मंत्री का जवाब चाहता है कि केंद्र ने ऐसा कानून क्यों बनाया जिसमें मीटर निर्माता कंपनियां न भाग लेकर देश के बडे़ निजी घराने भाग ले रहे हैं. क्या ये प्रदेश या देश के उपभोक्ताओं के हित में हैं.

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि जब उत्तर प्रदेश में उद्योगपतियों के लिए इन्वेस्टर समिट बुलाई गई है. उसमें आ रहे देश के ऊर्जा मंत्री से उपभोक्ता परिषद कुछ सवालों का जवाब चाहता है. क्योंकि यह जवाब प्रदेश के गरीब आम विद्युत उपभोक्ताओं का है. वर्तमान में जिस प्रकार से स्मार्ट प्रीपेड मीटर के टेंडर को 48 से 65 प्रतिशत अधिक दरों पर दिलाने के लिए काफी लंबे समय से उत्तर प्रदेश में ड्रामा चल रहा है. कल जब देश के ऊर्जा मंत्री लखनऊ पहुंच रहे हैं. ऐसे में प्रदेश के तीन करोड़ 26 लाख विद्युत उपभोक्ता देश के ऊर्जा मंत्री का पक्ष जरूर सुनना चाहेंगे, क्योंकि स्मार्ट प्रीपेड मीटर के मामले में जो भी कुछ सभी राज्यों में हो रहा है. वह केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के इशारे पर ही हो रहा है. उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा कि इसकी सीबीआई जांच नहीं होनी चाहिए कि विद्युत अधिनियम 2003 में प्राविधानित अनेकों व्यवस्था को रूल बनाकर शिथिल किया जा रहा है. इसके लिए जिम्मेदार कौन है? इसका जवाब कौन देगा?

यह भी पढ़ें : Bharat Jodo Yatra : लोकसभा चुनाव 2024 के लिए कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा 2.0 की तैयारी, इन पर रहेगा फोकस

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में कल से शुरू होने वाले इन्वेस्टर समिट में हिस्सा लेने केंद्रीय उर्जा मंत्री आरके सिंह, ऊर्जा सचिव आलोक कुमार लखनऊ आ रहे हैं. उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अजय कुमार वर्मा का कहना है कि परिषद उनसे पूछना चाहता है कि विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 47(5 ) जिसमें उपभोक्ता को प्रीपेड मीटर लेने की सहमति जरूरी है, का प्रावधान है. इस संबंध में केंद्र सरकार का क्या कहना है? इसके अलावा विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 56 में किसी भी उपभोक्ता के बकाए पर विद्युत आपूर्ति को तभी काटा जा सकता है जब अनिवार्य रूप से 15 दिन की लिखित नोटिस उसे दी जाए अभी तक इन दोनों कानूनों में कोई भी बदलाव नहीं किया गया.

केंद्र सरकार ने एक रूल बनाकर कि वर्ष 2025 तक सभी विद्युत उपभोक्ताओं के घर में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगा दिया जाए, क्या यह संवैधानिक है ? स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जाने के बाद उसमें बकाए पर विद्युत उपभोक्ता की विद्युत आपूर्ति रिमोट विधि से काट दी जाती है. इस दशा में उसे नोटिस कैसे प्राप्त होगी? बिना प्रदेश के उपभोक्ताओं की सहमति के प्रदेश के सभी विद्युत उपभोक्ताओं के घरों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने के लिए 2.5 करोड स्मार्ट प्रीपेड मीटर का टेंडर जारी कर दिया गया क्या ये संवैधानिक है? उत्तर प्रदेश का गरीब आम विद्युत उपभोक्ता देश के ऊर्जा मंत्री से जवाब चाहता है. उपभोक्ता परिषद देश के ऊर्जा मंत्री से स्मार्ट प्रीपेड मीटर के ऊंची दरों पर हो रहे टेंडर पर भी उपभोक्ताओं के हित में उनका पक्ष जानना चाहता है. अगर इस मुद्दे पर भी कुछ कहा गया तो निश्चित ही उपभोक्ताओं का भ्रम दूर होगा. उपभोक्ता परिषद इस पर भी ऊर्जा मंत्री का जवाब चाहता है कि केंद्र ने ऐसा कानून क्यों बनाया जिसमें मीटर निर्माता कंपनियां न भाग लेकर देश के बडे़ निजी घराने भाग ले रहे हैं. क्या ये प्रदेश या देश के उपभोक्ताओं के हित में हैं.

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि जब उत्तर प्रदेश में उद्योगपतियों के लिए इन्वेस्टर समिट बुलाई गई है. उसमें आ रहे देश के ऊर्जा मंत्री से उपभोक्ता परिषद कुछ सवालों का जवाब चाहता है. क्योंकि यह जवाब प्रदेश के गरीब आम विद्युत उपभोक्ताओं का है. वर्तमान में जिस प्रकार से स्मार्ट प्रीपेड मीटर के टेंडर को 48 से 65 प्रतिशत अधिक दरों पर दिलाने के लिए काफी लंबे समय से उत्तर प्रदेश में ड्रामा चल रहा है. कल जब देश के ऊर्जा मंत्री लखनऊ पहुंच रहे हैं. ऐसे में प्रदेश के तीन करोड़ 26 लाख विद्युत उपभोक्ता देश के ऊर्जा मंत्री का पक्ष जरूर सुनना चाहेंगे, क्योंकि स्मार्ट प्रीपेड मीटर के मामले में जो भी कुछ सभी राज्यों में हो रहा है. वह केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के इशारे पर ही हो रहा है. उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा कि इसकी सीबीआई जांच नहीं होनी चाहिए कि विद्युत अधिनियम 2003 में प्राविधानित अनेकों व्यवस्था को रूल बनाकर शिथिल किया जा रहा है. इसके लिए जिम्मेदार कौन है? इसका जवाब कौन देगा?

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