ETV Bharat / state

स्मार्ट प्रीपेड मीटर पर नियामक आयोग के सवालों का जवाब नहीं दे पाया यूपी पावर कॉरपोरेशन - मध्यांचल विद्युत वितरण निगम

यूपी पावर कॉरपोरेशन (Uttar Pradesh Power Corporation Limited) स्मार्ट प्रीपेड मीटर पर विद्युत नियामक आयोग के सवालों का जवाब नहीं दे पाया

यूपी विद्युत नियामक आयोग
यूपी विद्युत नियामक आयोग
author img

By

Published : Jun 2, 2023, 8:13 AM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में लगभग 25 हजार करोड के स्मार्ट प्रीपेड मीटर की खरीद को लेकर नए-नए खुलासे हो रहे हैं. स्मार्ट प्रीपेड मीटर की खरीदारी (Purchase of Smart Prepaid Meter) बिजली कंपनियों के लिए परेशानी का सबब बन गयी है. उपभोक्ता परिषद ने पिछले दिनों विद्युत नियामक आयोग में दाखिल याचिका का यूपी पावर कारपोरेशन (Uttar Pradesh Power Corporation Limited) 15 दिन बीत जाने के बाद भी जवाब नहीं दे पाया. यूपी विद्युत नियामक आयोग ने पूछा था कि विद्युत अधिनियम 2003 प्रावधानों के अनुसार उपभोक्ताओं को प्रीपेड मीटर लगाने का विकल्प क्या दिया गया? दूसरा यह कि 15 दिन की लिखित नोटिस दिए जाने के बाद ही किसी की बकाए पर विद्युत आपूर्ति काटी जाएगी इन दोनों प्रावधानों को कैसे स्मार्ट प्रीपेड मीटर में लागू किया जाएगा?



पिछले दिनों दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम में जीएमआर न्यूनतम निविदा दाता के स्मार्ट प्रीपेड मीटर का रेट 7,556 प्रति मीटर सामने आया था जो ऐस्टीमेटेड कॉस्ट से लगभग 25 प्रतिशत अधिक थी. पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में खुले टेंडर में जीएमआर ही न्यूनतम निविदा दाता थी. उसके स्मार्ट प्रीपेड मीटर की दर दो कलस्टर में 23 से 26 प्रतिशत अधिक आई जो 65 प्रतिशत से ज्यादा है. मध्यांचल विद्युत वितरण निगम में एक कलस्टर के टेंडर में सिर्फ अडानी ट्रांसमिशन ने टेंडर डाला था इसलिए अब मध्यांचल विद्युत वितरण निगम ने पावर कारपोरेशन की केंद्रीय कार्यसमिति से टेंडर निरस्त कर टेंडर को तीन कलस्टर में निकालने की अनुमति मांगी है.

खास बात ये है कि सभी बिजली कंपनियों में एक ही स्टैंडर्ड बिल्डिंग गाइडलाइन है लेकिन एक साथ कलस्टर को तोडकर टेंडर क्यों नहीं निकाला गया, यह जांच का मुद्दा है. विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि बिजली कंपनियों के पास अभी भी समय है पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम के इन टेलीस्मार्ट के टेंडर को निरस्त कर एक साथ सभी कंपनियों में छोटे क्लस्टर के टेंडर निकाले जाएं उससे दरें कम आएंगी और बिजली कंपनियों का फायदा होगा. उसका लाभ उपभोक्ता उठा पाएंगे.



उनका कहना है कि जिस तरीके से स्मार्ट प्रीपेड मीटर के मामले में सभी बिजली कंपनियां अलग अलग चल रही हैं. उससे आने वाले समय में वह दिन दूर नहीं जब सीएजी ऑडिट को भी इस पूरे मामले की छानबीन करनी पड़ेगी.
ये भी पढ़ें- मुख्तार अंसारी के करीबी संदीप सिंह के शस्त्र लाइसेंस का मामला, लखनऊ में बाबू STF की रडार पर

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में लगभग 25 हजार करोड के स्मार्ट प्रीपेड मीटर की खरीद को लेकर नए-नए खुलासे हो रहे हैं. स्मार्ट प्रीपेड मीटर की खरीदारी (Purchase of Smart Prepaid Meter) बिजली कंपनियों के लिए परेशानी का सबब बन गयी है. उपभोक्ता परिषद ने पिछले दिनों विद्युत नियामक आयोग में दाखिल याचिका का यूपी पावर कारपोरेशन (Uttar Pradesh Power Corporation Limited) 15 दिन बीत जाने के बाद भी जवाब नहीं दे पाया. यूपी विद्युत नियामक आयोग ने पूछा था कि विद्युत अधिनियम 2003 प्रावधानों के अनुसार उपभोक्ताओं को प्रीपेड मीटर लगाने का विकल्प क्या दिया गया? दूसरा यह कि 15 दिन की लिखित नोटिस दिए जाने के बाद ही किसी की बकाए पर विद्युत आपूर्ति काटी जाएगी इन दोनों प्रावधानों को कैसे स्मार्ट प्रीपेड मीटर में लागू किया जाएगा?



पिछले दिनों दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम में जीएमआर न्यूनतम निविदा दाता के स्मार्ट प्रीपेड मीटर का रेट 7,556 प्रति मीटर सामने आया था जो ऐस्टीमेटेड कॉस्ट से लगभग 25 प्रतिशत अधिक थी. पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में खुले टेंडर में जीएमआर ही न्यूनतम निविदा दाता थी. उसके स्मार्ट प्रीपेड मीटर की दर दो कलस्टर में 23 से 26 प्रतिशत अधिक आई जो 65 प्रतिशत से ज्यादा है. मध्यांचल विद्युत वितरण निगम में एक कलस्टर के टेंडर में सिर्फ अडानी ट्रांसमिशन ने टेंडर डाला था इसलिए अब मध्यांचल विद्युत वितरण निगम ने पावर कारपोरेशन की केंद्रीय कार्यसमिति से टेंडर निरस्त कर टेंडर को तीन कलस्टर में निकालने की अनुमति मांगी है.

खास बात ये है कि सभी बिजली कंपनियों में एक ही स्टैंडर्ड बिल्डिंग गाइडलाइन है लेकिन एक साथ कलस्टर को तोडकर टेंडर क्यों नहीं निकाला गया, यह जांच का मुद्दा है. विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि बिजली कंपनियों के पास अभी भी समय है पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम के इन टेलीस्मार्ट के टेंडर को निरस्त कर एक साथ सभी कंपनियों में छोटे क्लस्टर के टेंडर निकाले जाएं उससे दरें कम आएंगी और बिजली कंपनियों का फायदा होगा. उसका लाभ उपभोक्ता उठा पाएंगे.



उनका कहना है कि जिस तरीके से स्मार्ट प्रीपेड मीटर के मामले में सभी बिजली कंपनियां अलग अलग चल रही हैं. उससे आने वाले समय में वह दिन दूर नहीं जब सीएजी ऑडिट को भी इस पूरे मामले की छानबीन करनी पड़ेगी.
ये भी पढ़ें- मुख्तार अंसारी के करीबी संदीप सिंह के शस्त्र लाइसेंस का मामला, लखनऊ में बाबू STF की रडार पर

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.