लखनऊ: उत्तर प्रदेश में राजनीतिक पार्टियों के केंद्र बिंदु में अब कुर्मी वर्ग अधिक अहम बनता जा रहा है. सिर्फ क्षेत्रीय दल ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय पार्टियां भी कुर्मियों पर केंद्रित राजनीति कर रही हैं. ताजा मिसाल के रूप में भारतीय जनता पार्टी ने हाल ही में प्रदेश की बागडोर कुर्मी नेता स्वतंत्र देव सिंह के हाथों में सौंप दी है. प्रदेश में कुर्मियों का कुल वोट प्रतिशत 9 से 10 फीसद है. इसी राजनीतिक महत्व को देखते हुए प्रदेश की राजनीति में अब कुर्मी वर्ग का दबदबा बढ़ता जा रहा है.
राष्ट्रीय दलों में भी बढ़ा दबदबा
कुर्मियों को लुभाने में कांग्रेस भी पीछे नहीं है. लोकसभा चुनावों में कुर्मियों को लुभाने के लिए कांग्रेस ने गुजरात से हार्दिक पटेल को यूपी में उतारा. स्टार प्रचारक के रूप में कुर्मियों को कांग्रेस के पक्ष में करने के लिए हार्दिक पटेल ने दिन-रात एक किया. वहीं सहयोगी दल के रूप में कांग्रेस ने कृष्णा पटेल की अपना दल से भी गठबंधन किया और उन्हें भी तीन सीटें देकर कुर्मियों को साधने की कोशिश की. भाजपा भी प्रदेश की कमान स्वतंत्र देव सिंह के हाथों में सौंप कर इस होड़ में शामिल हो गई है.
उत्तर प्रदेश में इन जगहों पर है कुर्मियों का बोलबाला
उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल कुर्मियों के वर्चस्व वाली बेल्ट मानी जाती है. यहां राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से कुर्मियों का ही दबदबा है. मिर्जापुर इस सूची में पहले पायदान पर आता है. इसके बाद प्रतापगढ़, इलाहाबाद, जौनपुर, बनारस, गोंडा, पीलीभीत और राजधानी लखनऊ जैसे क्षेत्रों में कुर्मियों की अच्छी खासी तादाद है. प्रदेश में तकरीबन 9 से 10 फीसद कुर्मी आबादी है जो राजनीतिक दलों के सत्ता हासिल करने के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं है.