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इस वजह से यूपी की राजनीति में एक्स फैक्टर बनी 'कुर्मी जाति' - भारतीय जनता पार्टी

देश की राजनीति की दशा और दिशा उत्तर प्रदेश के राजनीतिक रुख से तय होती है. ऐसे में सभी राजनीतिक दल यहां अपनी सोशल इंजीनियरिंग मजबूत करने में जुटे रहते हैं. इसके लिए जातीय गणित का भी खास ख्याल रखा जाता है. इन दिनों प्रदेश की राजनीति कुर्मी वोट बैंक के इर्द-गिर्ग घूमती नजर आ रही है.

यूपी की राजनीति का नया केंद्र बना कुर्मी वोट बैंक.
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Published : Jul 18, 2019, 11:47 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में राजनीतिक पार्टियों के केंद्र बिंदु में अब कुर्मी वर्ग अधिक अहम बनता जा रहा है. सिर्फ क्षेत्रीय दल ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय पार्टियां भी कुर्मियों पर केंद्रित राजनीति कर रही हैं. ताजा मिसाल के रूप में भारतीय जनता पार्टी ने हाल ही में प्रदेश की बागडोर कुर्मी नेता स्वतंत्र देव सिंह के हाथों में सौंप दी है. प्रदेश में कुर्मियों का कुल वोट प्रतिशत 9 से 10 फीसद है. इसी राजनीतिक महत्व को देखते हुए प्रदेश की राजनीति में अब कुर्मी वर्ग का दबदबा बढ़ता जा रहा है.

यूपी की राजनीति का नया केंद्र बना कुर्मी वोट बैंक.
कुर्मियों की बढ़ती राजनीतिक पैठ
हाल ही में भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष के रूप में बड़े कुर्मी नेता स्वतंत्र देव सिंह को कमान सौंपी है. इससे अभी तक जो दल कुर्मी वर्ग पर राजनीति कर रहे थे उनमें खलबली मचना स्वाभाविक है. उत्तर प्रदेश में स्व. सोनेलाल पटेल ने अपना दल से कुर्मियों की राजनीति की शुरुआत की थी. अब कुर्मियों की राजनीति सोनेलाल पटेल की पत्नी कृष्णा पटेल अपना दल पार्टी से कर रही हैं तो उनकी बेटी अनुप्रिया पटेल अपना दल सोनेलाल के नाम से. वहीं, समाजवादी पार्टी ने कुर्मियों को लुभाने के लिए प्रदेश की कमान नरेश उत्तम को सौंप दी थी. प्रदेश अध्यक्ष बनने से पहले नरेश उत्तम को शायद ही कोई जनता हो कि वह किस जाति या वर्ग से आते हैं लेकिन जब चुनाव में कुर्मियों का वोट समाजवादी पार्टी की तरफ मोड़ने की जरूरत पड़ी तो नरेश उत्तम ने अपने नाम के साथ 'पटेल' उपनाम को प्रमुखता से आगे रखा.
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यूपी की राजनीति का नया केंद्र बना कुर्मी वोट बैंक.

राष्ट्रीय दलों में भी बढ़ा दबदबा

कुर्मियों को लुभाने में कांग्रेस भी पीछे नहीं है. लोकसभा चुनावों में कुर्मियों को लुभाने के लिए कांग्रेस ने गुजरात से हार्दिक पटेल को यूपी में उतारा. स्टार प्रचारक के रूप में कुर्मियों को कांग्रेस के पक्ष में करने के लिए हार्दिक पटेल ने दिन-रात एक किया. वहीं सहयोगी दल के रूप में कांग्रेस ने कृष्णा पटेल की अपना दल से भी गठबंधन किया और उन्हें भी तीन सीटें देकर कुर्मियों को साधने की कोशिश की. भाजपा भी प्रदेश की कमान स्वतंत्र देव सिंह के हाथों में सौंप कर इस होड़ में शामिल हो गई है.

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यूपी की राजनीति का नया केंद्र बना कुर्मी वोट बैंक.

उत्तर प्रदेश में इन जगहों पर है कुर्मियों का बोलबाला
उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल कुर्मियों के वर्चस्व वाली बेल्ट मानी जाती है. यहां राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से कुर्मियों का ही दबदबा है. मिर्जापुर इस सूची में पहले पायदान पर आता है. इसके बाद प्रतापगढ़, इलाहाबाद, जौनपुर, बनारस, गोंडा, पीलीभीत और राजधानी लखनऊ जैसे क्षेत्रों में कुर्मियों की अच्छी खासी तादाद है. प्रदेश में तकरीबन 9 से 10 फीसद कुर्मी आबादी है जो राजनीतिक दलों के सत्ता हासिल करने के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं है.

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यूपी की राजनीति का नया केंद्र बना कुर्मी वोट बैंक.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में राजनीतिक पार्टियों के केंद्र बिंदु में अब कुर्मी वर्ग अधिक अहम बनता जा रहा है. सिर्फ क्षेत्रीय दल ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय पार्टियां भी कुर्मियों पर केंद्रित राजनीति कर रही हैं. ताजा मिसाल के रूप में भारतीय जनता पार्टी ने हाल ही में प्रदेश की बागडोर कुर्मी नेता स्वतंत्र देव सिंह के हाथों में सौंप दी है. प्रदेश में कुर्मियों का कुल वोट प्रतिशत 9 से 10 फीसद है. इसी राजनीतिक महत्व को देखते हुए प्रदेश की राजनीति में अब कुर्मी वर्ग का दबदबा बढ़ता जा रहा है.

यूपी की राजनीति का नया केंद्र बना कुर्मी वोट बैंक.
कुर्मियों की बढ़ती राजनीतिक पैठ
हाल ही में भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष के रूप में बड़े कुर्मी नेता स्वतंत्र देव सिंह को कमान सौंपी है. इससे अभी तक जो दल कुर्मी वर्ग पर राजनीति कर रहे थे उनमें खलबली मचना स्वाभाविक है. उत्तर प्रदेश में स्व. सोनेलाल पटेल ने अपना दल से कुर्मियों की राजनीति की शुरुआत की थी. अब कुर्मियों की राजनीति सोनेलाल पटेल की पत्नी कृष्णा पटेल अपना दल पार्टी से कर रही हैं तो उनकी बेटी अनुप्रिया पटेल अपना दल सोनेलाल के नाम से. वहीं, समाजवादी पार्टी ने कुर्मियों को लुभाने के लिए प्रदेश की कमान नरेश उत्तम को सौंप दी थी. प्रदेश अध्यक्ष बनने से पहले नरेश उत्तम को शायद ही कोई जनता हो कि वह किस जाति या वर्ग से आते हैं लेकिन जब चुनाव में कुर्मियों का वोट समाजवादी पार्टी की तरफ मोड़ने की जरूरत पड़ी तो नरेश उत्तम ने अपने नाम के साथ 'पटेल' उपनाम को प्रमुखता से आगे रखा.
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यूपी की राजनीति का नया केंद्र बना कुर्मी वोट बैंक.

राष्ट्रीय दलों में भी बढ़ा दबदबा

कुर्मियों को लुभाने में कांग्रेस भी पीछे नहीं है. लोकसभा चुनावों में कुर्मियों को लुभाने के लिए कांग्रेस ने गुजरात से हार्दिक पटेल को यूपी में उतारा. स्टार प्रचारक के रूप में कुर्मियों को कांग्रेस के पक्ष में करने के लिए हार्दिक पटेल ने दिन-रात एक किया. वहीं सहयोगी दल के रूप में कांग्रेस ने कृष्णा पटेल की अपना दल से भी गठबंधन किया और उन्हें भी तीन सीटें देकर कुर्मियों को साधने की कोशिश की. भाजपा भी प्रदेश की कमान स्वतंत्र देव सिंह के हाथों में सौंप कर इस होड़ में शामिल हो गई है.

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यूपी की राजनीति का नया केंद्र बना कुर्मी वोट बैंक.

उत्तर प्रदेश में इन जगहों पर है कुर्मियों का बोलबाला
उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल कुर्मियों के वर्चस्व वाली बेल्ट मानी जाती है. यहां राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से कुर्मियों का ही दबदबा है. मिर्जापुर इस सूची में पहले पायदान पर आता है. इसके बाद प्रतापगढ़, इलाहाबाद, जौनपुर, बनारस, गोंडा, पीलीभीत और राजधानी लखनऊ जैसे क्षेत्रों में कुर्मियों की अच्छी खासी तादाद है. प्रदेश में तकरीबन 9 से 10 फीसद कुर्मी आबादी है जो राजनीतिक दलों के सत्ता हासिल करने के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं है.

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यूपी की राजनीति का नया केंद्र बना कुर्मी वोट बैंक.
Intro:कुर्मियों पर केंद्रित हो रही यूपी के राजनीतिक दलों की राजनीति

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की तमाम राजनीतिक पार्टियों के केंद्र बिंदु में अब राजनीति का सबसे बड़ा मोहरा कुर्मी वर्ग बनता जा रहा है। प्रदेश की एक या दो नहीं बल्कि 5 पार्टियां कुर्मियों पर केंद्रित राजनीति कर रही हैं। भारतीय जनता पार्टी ने भी राजनीतिक फायदे के लिए कुर्मियों के महत्व को समझते हुए प्रदेश की बागडोर कुर्मी नेता स्वतंत्र देव सिंह के हाथों में सौंप दी है। उत्तर प्रदेश में अगर कुर्मी वोटर्स की बात की जाए तो इनकी संख्या 9 से 10 फीसद है जो राजनीति में बड़ा महत्व रखती है। शायद इसीलिए राजनीतिक दलों की राजनीति के केंद्र बिंदु में अब कुर्मी वर्ग का दबदबा बढ़ता जा रहा है।


Body:दो दिन पहले भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष के रूप में बड़े कुर्मी नेता स्वतंत्र देव सिंह को कमान सौंप दी है इससे अभी तक जो दल कुर्मी वर्ग पर राजनीति कर रहे थे उनमें खलबली मचना स्वाभाविक है। उत्तर प्रदेश में कुर्मियों की राजनीति की बात की जाए तो स्वर्गीय सोनेलाल पटेल ने अपना दल से इसकी शुरुआत की अब कुर्मियों की राजनीति सोनेलाल पटेल की पत्नी कृष्णा पटेल अपना दल पार्टी से कर रही हैं तो उनकी बेटी अनुप्रिया पटेल अपना दल सोनेलाल के नाम से। वहीं, तीसरी पार्टी समाजवादी पार्टी की बात की जाए तो कुर्मियों को लुभाने के लिए इस पार्टी ने भी प्रदेश की कमान नरेश उत्तम को सौंप दी थी प्रदेश अध्यक्ष बनने से पहले नरेश उत्तम को शायद ही कोई जनता हो कि वह किस जाति या वर्ग से आते हैं लेकिन जब चुनाव में कुर्मियों का वोट समाजवादी पार्टी की तरफ मोड़ने की जरूरत पड़ी तो नरेश उत्तम ने अपने नाम के साथ 'पटेल' उपनाम को प्रमुखता से आगे रखा। चौथी पार्टी के रूप में कांग्रेस की बात की जाए तो कुर्मियों को लुभाने में कांग्रेस भी पीछे नहीं है। लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने गुजरात से हार्दिक पटेल को यूपी में उतारा। स्टार प्रचारक के रूप में कुर्मियों को कांग्रेस के पक्ष में करने के लिए हार्दिक पटेल ने दिन रात एक किया, वहीं सहयोगी दल के रूप में कांग्रेस ने कृष्णा पटेल की अपना दल से भी गठबंधन किया और उन्हें भी तीन सीटें देकर कुर्मियों में यह संदेश फैलाया कि कांग्रेस कुर्मियों के साथ है। अब पांचवी पार्टी भारतीय जनता पार्टी ऐसी पार्टी बन गई है जिसने प्रदेश की कमान स्वतंत्र देव सिंह के हाथों में सौंप कर शेष चारों पार्टियों में खलबली मचा दी है।

यहां पर है कुर्मी वर्ग का बोलबाला

उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल बेल्ट कुर्मियों के वर्चस्व वाली बेल्ट मानी जाती है। यहां पर कुर्मियों का ही दबदबा है। इसमें पहले नंबर पर मिर्जापुर क्षेत्र आता है। इसके बाद प्रतापगढ़, इलाहाबाद, जौनपुर, बनारस, गोंडा, पीलीभीत व उत्तर प्रदेश की राजनीति लखनऊ जैसे क्षेत्रों में कुर्मियों की अच्छी खासी तादाद है। प्रदेश में तकरीबन 9 से 10 फीसद कुर्मी आबादी है जो राजनीतिक दलों के सत्ता हासिल करने के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं है। कुर्मियों की राजनीति पर विभिन्न दलों ने अपनी राय व्यक्त की है।

बाइट 1: राजेश पटेल, प्रदेश प्रवक्ता, अपना दल, (सोनेलाल)
बाइट 2: बृजेंद्र सिंह, प्रदेश प्रवक्ता, कांग्रेस
बाइट 3: जुगल किशोर, प्रदेश प्रवक्ता, बीजेपी
बाइट 4: प्रो.ध्रुव कुमार त्रिपाठी, राजनीतिक विश्लेषक


Conclusion:अब उत्तर प्रदेश में 2022 विधानसभा चुनावों में देखना दिलचस्प होगा कि कुर्मी वर्ग को कौन सी पार्टी अपनी तरफ आकर्षित कर सत्ता के शिखर पर पहुंचती है। इसमें भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस या सपा सफल होती है या फिर अपना दल की पकड़ इस वर्ग पर पहले ही की तरह मजबूत बनी रहती है।
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