लखनऊ: सड़क हादसों में हुई मौतों के मामले में उत्तर प्रदेश नंबर एक पर है. 2018 के आंकड़ों के अनुसार, साल 2018 में उत्तर प्रदेश में कुल 22 हजार 256 मौतें सड़क हादसों में हुईं. इन आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश में प्रतिदिन 60 लोगों की मौत सड़क हादसे के चलते होती है.
अन्य राज्यों की बात करें तो सड़क हादसों के मामले में तमिलनाडु और मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश से आगे हैं, लेकिन सड़क हादसों में मौतों के मामले में उत्तर प्रदेश सबसे आगे है. 2018 के आंकड़ों के अनुसार तमिलनाडु में कुल 63,920 एक्सीडेंट हुए, जोकि उत्तर प्रदेश में हुए सड़क हादसों से 50% से भी अधिक है. वहीं तमिलनाडु में होने वाली मौतों का आंकड़ा उत्तर प्रदेश से (8679) 39% कम है.
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मध्य प्रदेश की बात करें तो मध्य प्रदेश में साल 2018 में 51397 एक्सीडेंट हुए, जिसमें कुल 10,706 लोगों की मौत हुई. मध्य प्रदेश में उत्तर प्रदेश से 20% अधिक एक्सीडेंट हुए, लेकिन मौतों का आंकड़ा उत्तर प्रेदश से 51% कम है. वर्ष 2018 के आकड़ों के सामने आने के बाद उत्तर प्रदेश की ट्रैफिक व्यवस्था पर सवाल खड़े होते दिख रहे हैं. सीधे तौर पर माना जा रहा है कि लोग सीट बेल्ट और हेलमेट लगाकर वाहन नहीं चलाते, जिसके चलते एक्सीडेंट से उनकी मौत होती है.
सड़क हादसों के बारे में ईटीवी भारत से बात करते हुए एसपी ट्रैफिक सुरेंद्र सिंह बताया कि 2018 में 22 हजार से अधिक मौतें हुईं. इसके बाद लगातार प्रयास किए जा रहे हैं कि सड़क हादसों में मौतें न हों. इसके लिए राजधानी लखनऊ ही नहीं बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में ट्रैफिक नियमों का पालन कराने के लिए अभियान चलाया जा रहा है. इस अभियान के तहत लोगों से सीट बेल्ट और हेलमेट लगाने के लिए कहा जाता है. ऐसा न करने पर चालान भी काटा जाता है.