लखनऊ : उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने प्रदेशवासियों को 24 घंटे बिजली देने का वादा किया है, हालांकि पिछले साल रिकॉर्ड विद्युत उत्पादन के बावजूद प्रदेश भर में बिजली के लिए हाहाकार मचा रहा. इस साल अभी से गर्मी पड़ने लगी है और उम्मीद जताई जा रही है कि पिछले साल की तुलना में गर्मी ज्यादा पड़ेगी. ऐसे में सरकार के सामने 24 घंटे बिजली दे पाना बड़ी चुनौती होगा. ऊर्जा मंत्री का दावा है कि हमने तैयारी शुरू कर दी है. हमारा लक्ष्य है कि प्रदेशवासियों को 24 घंटे निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित हो. केंद्र सरकार के सहयोग से रिवैंप योजना के तहत बिजली के क्षेत्र में तेजी से काम कराया जा रहा है. नए उपकेंद्रों का निर्माण हो रहा है. उत्पादन इकाइयों को दुरुस्त किया जा रहा है नई उत्पादन इकाइयां भी स्थापित की जा रही हैं.
उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा के मुताबिक, वर्ष 2019-2020 में प्रतिदिन औसतन उत्पादन उपलब्धता 3766 मेगावाट, वर्ष 2020-2021 में औसत उत्पादन उपलब्धता 3816 मेगावाट प्रतिदिन और वर्ष 2021-2022 में औसतन उत्पादन उपलब्धता 3998 मेगावाट प्रतिदिन रही. पारेषण तंत्र की क्षमता जो वित्तीय वर्ष 2016-2017 में 16,348 मेगावाट थी, को वर्ष 2021-2022 में 28,000 मेगावाॅट तक किया गया, जिसे वित्तीय वर्ष 2022-2023 तक बढ़ाकर 30,806 मेगावाॅट तक किया जाना लक्षित है. बिजली उत्पादन में बढ़ोतरी से प्रदेश में बिजली संकट दूर किया जा सकेगा.
बुधवार को विधानसभा में पेश किए गए बजट के दौरान वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि 'वर्तमान में जिला मुख्यालय पर 24 घंटे, तहसील मुख्यालय पर 20 से 22 घंटे और गांवों को 18 से 20 घंटे बिजली दिये जाने का रोस्टर निर्धारित है. एक अप्रैल 2017 से पूर्व ग्रामीण क्षेत्र में 14ः38 घंटे, तहसील क्षेत्र में 16ः58 घंटे व शहरी क्षेत्र में 21ः08 घंटे आपूर्ति के सापेक्ष वर्ष 2022-23 में माह अप्रैल, 2022 से अक्टूबर, 2022 तक औसतन ग्रामीण क्षेत्र में 17ः26 घंटे, तहसील क्षेत्र में 20ः52 घंटे तथा शहरी क्षेत्र में 23ः26 घंटे आपूर्ति की गई. 2017-18 से कुल 1,21,324 मजरे विद्युतीकृत किये जा चुके हैं. प्रदेश में स्थापित होने वाली तापीय उत्पादन परियोजनाओं जिनमें घाटमपुर, ओबरा ‘सी‘ व जवाहरपुर से ऊर्जा निकासी के लिए लगभग 7076.37 करोड़ रुपये की पारेषण परियोजनाओं का निर्माण पीपीपी पद्धति से कराया जा रहा है. इनमें से लगभग 4081.23 करोड़ रुपये की परियोजनाएं पूरी कर ली गई हैं और शेष निर्माणाधीन हैं. इन परियोजनाओं का कार्य पूरा होने के बाद विद्युत आपूर्ति और भी बेहतर होगी.'
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