लखनऊः उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने सरकार पर तीखा हमला किया है. उन्होंने मीडिया को जारी बयान में कहा कि कोरोना के संकटकाल में योगी के चौपट राज ने उत्तर प्रदेश को चौपट प्रदेश में बदल दिया है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में रोजाना हजारों की संख्या में कोविड संक्रमण के मामले और सैकड़ों की संख्या में लोगों के दम तोड़ने की खबरें आ रही हैं. इनमें ज्यादातर मृत्यु ऑक्सीजन या दवाई की कमी के चलते हो रही हैं. यह भयावह है, लेकिन इससे भी ज्यादा भयावह है आंकड़ों में धोखाधड़ी. प्रदेश के ज्यादातर जिलों में आंकड़ों में यह हेर-फेर देखने को मिल रहा है. प्रदेश में जांच कम हो रही हैं. आंकड़ों में हेराफेरी हो रही है और सरकार शुतुरमुर्ग की तरह रेत में गर्दन डालकर तथ्यों को छुपाने का प्रयास कर रही है.
सरकारी आंकड़ों से ज्यादा हैं मौत के आंकड़े
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने प्रशासनिक आंकड़ों को तथ्यों सहित झुठलाते हुए कहा कि प्रशासनिक आंकड़ों के अनुसार लखनऊ में तीन मई तक एक सप्ताह में केवल 276 मृत्यु दर्ज हुईं, जबकि श्मशान घाट के रिकॉर्ड के अनुसार इस दौरान लखनऊ में 400 मृतकों के अंतिम संस्कार हुए. कानपुर में 24 अप्रैल तक एक सप्ताह में 66 मृत्यु (प्रशासनिक आंकड़ा) दर्ज हुआ, जबकि श्मशान घाट में जलाई गई चिताओं का आंकड़ा 462 था. गाज़ियाबाद में 18 अप्रैल तक एक सप्ताह में कई मौतें हुईं, जिनमें से 17 अप्रैल को एक भी मौत सरकारी आंकड़ों में दर्ज नहीं हुई, लेकिन पड़ताल करने पर श्मशान में रोजाना 50 से ज्यादा शव जलने की बात सामने आई. आगरा में 17 अप्रैल का सरकारी आंकड़ा चार मौतों का है, लेकिन आगरा के केवल ताजगंज शमशान घाट में 47 चिताएं जलीं. बिजनौर में पिछले चार दिनों में एक भी मौत सरकारी कागजों में दर्ज नहीं हुई, लेकिन यहां के श्मशान में 100 मृत्यु व अंतिम संस्कार का पता चला. सात मई को हमीरपुर क्षेत्र में यमुना नदी में दर्जनों लाशें तैरती देखी गईं. लोगों का मानना है कि श्मशान घाट में जगह न मिलने के कारण परिजनों ने यह शव यमुना में बहा दिए. अगले दिन इन शवों को कुत्ते खाते मिले. श्मशान घाटों में पड़ताल करने पर पता लगा कि वहां शवों के अंतिम संस्कार के लिए पूरे दिन लाइन में अपनी बारी का इंतज़ार करना पड़ता है. ऐसे हृदय-विदारक दृश्य मानवता को शर्मसार करने व सरकार की विफलता प्रमाणित करने के लिए पर्याप्त हैं.
आंकड़ों में हेरफेर कर पाप कर रही सरकार
अजय कुमार लल्लू ने कहा कि राज्य सरकार के स्थानीय प्रशासन ने संपूर्ण उत्तर प्रदेश में हेर-फेर कर मौतों की संख्या आंकड़ों में कम बताकर झूठ बोलने का पाप किया है. इसी तरह वह टेस्टिंग, ट्रेसिंग, ट्रीटमेंट व टीकाकरण के आंकड़ों में हेरफेर कर गलत तथ्य प्रस्तुत कर सब व्यवस्थित होने का फर्जी दावा कर रही है. सच्चाई यह है कि उत्तर प्रदेश में सब कुछ अव्यवस्थित है. लल्लू ने कहा कि आंकड़ों में हेरफेर का मामला सामने आने पर जब उच्च न्यायालय ने गलत आंकड़ें पेश करने को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई, तब कई और ऐसे मामले सामने आए. इसी दौरान पंचायत चुनाव के चलते राज्य के 800 शिक्षकों और कर्मचारियों की चुनाव ड्यूटी के दौरान संक्रमित होने से मृत्यु हो गई, जिस पर राज्य सरकार चुप्पी साधकर बैठी हुई है.
इस तरह के भी बन गए हालात
जौनपुर में एक बुजुर्ग व्यक्ति अपनी पत्नी का शव साइकिल पर ढोते दिखे. पता चला कि पत्नी के देहांत के बाद वे साइकिल पर उन्हें अंतिम यात्रा के लिए लेकर जा रहे थे क्योंकि उत्तर प्रदेश में एम्बुलेंस जब जीवित को नसीब नहीं तो एक मृतक को अंतिम संस्कार को कैसे उपलब्ध होगी? फिर प्रेम नगरी आगरा के अस्पताल से एक दृश्य वायरल हुआ, जिसमें एक आदमी अपनी मां की सांसों के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस के पैरों में गिरकर गुहार लगा रहा था. वो रोता रहा और पुलिस उसकी मां पर लगा ऑक्सीजन सिलेंडर उतारकर ले गई. थोड़ी ही देर में उसकी मां ने दम तोड़ दिया.
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माननीयों के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं
झांसी से सदर विधायक रवि शर्मा, मऊरानीपुर के विधायक बिहारी लाल आर्य, राजीव सिंह पारीछा, जवाहर लाल राजपूत, लोकेन्द्र प्रताप सिंह, हरीश द्विवेदी, दीनानाथ भास्कर, ब्रजेश पाठक, सांसद सत्यदेव पचौरी और कौशल किशोर, पूर्व केंद्रीय मंत्री भाजपा सांसद मेनका गांधी व केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अपने क्षेत्रों में बिस्तर, ऑक्सीजन, दवाइयां, ICU बेड की कमी के बारे में बताया है. बरेली के नवाबगंज से भाजपा विधायक केसर सिंह ने स्वयं के लिए भी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से अस्पताल में आसीयू बेड की मांग की थी, जिसके बाद नोएडा के यथार्थ अस्पताल में उनका स्वर्गवास हो गया. उनके अलावा उत्तर प्रदेश के आठ भाजपा विधायक व मंत्री भी कोरोना से जंग हार गए. योगी एक चौपट राजा की तरह राम-नगरी स्वरूप इस उत्तर प्रदेश को चौपट प्रदेश में बदलने में लगे हैं.