लखनऊ: उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने यूपी महोत्सव को लेकर बयान जारी कर प्रदेश की योगी सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा, बेरोजगारी, वित्तीय घाटे, छोटे एवं मझोले उद्योगों के उद्यमियों और चिकन, बुनकर और आगरा के जूता उद्योग सहित तमाम छोटे-मंझोले उद्यमी आज मरणासन्न स्थिति में पहुंच गये हैं. अन्नदाता किसान अपनी एमएसपी के लिए दिल्ली की सरहदों पर आन्दोलनरत हैं और अपनी जान गंवा रहे हैं. प्रदेश में अपराधी और पुलिस कानून व्यवस्था को खुली चुनौती दे रहे हैं. पूरे प्रदेश में अराजकता है. यूपी का विकास करने और अपराध को रोकने के लिए धरातल पर कार्रवाई करने के बजाए सरकार ऐप, पीआर और औपचारिक कार्रवाई करके अपनी जवाबदेही से बचने का प्रयास कर रही है. ऐसे समय एक असफल मुख्यमंत्री की ब्रान्डिंग के लिए यूपी महोत्सव जैसे कार्यक्रम में करोड़ों रुपये व्यय करके एक आभासी विकास का माहौल बनाए जाने के प्रयासों की कांग्रेस निंदा करती है.
'ऐसे आयोजन से जनता को फायदा नहीं'
अजय कुमार लल्लू ने बयान जारी कर कहा कि यूपी महोत्सव अगर वास्तविक रोजगार का सृजन करता है, तो हम उसका स्वागत करते हैं. आज राजधानी की सड़कें बेरोजगारों, भर्तियों में हुए घोटालों के पीड़ित नौजवानों से पटी पड़ी हैं. बेरोजगारी और वित्तीय घाटे से जूझ रहे प्रदेश में ऐसे आयोजनों पर करोड़ों रुपये व्यय करना योगी सरकार की असंवेदनशीलता का परिचायक है.
'अपनी असफलता छिपा रहे हैं योगी'
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री अपनी असफलताओं को छिपाने के लिए विकास का आभासी माहौल बना रहे हैं. यह पहली बार नहीं है, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने से लेकर आज तक विभिन्न आयोजन इस तरह के प्रदेश सरकार कर चुकी है, जिसका नतीजा सिर्फ और सिर्फ सिफर रहा है. प्रदेश की त्रस्त जनता को संतृप्त करने के लिए यूपी महोत्सव के नाम पर म्यूजिकल फाउन्टेन संग वाटर स्क्रीन का झुनझुना दिखाया जा रहा है. पूरे प्रदेश में छोटे-मंझोले उद्योगपति खुदकुशी करने की कगार पर हैं. राजधानी के चिकन उद्योग के कारीगर और उद्यमी कर्ज में डूबे हुए हैं. प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में बुनकर रिक्शा चलाकर अपना जीवन यापन करने को मजबूर हैं, लेकिन सरकार के पास इन उद्योगों को बचाने के लिए कोई स्पष्ट ब्लूप्रिन्ट नहीं है. उन्होंने सरकार से सवाल करते हुए कहा कि कुम्हारों को चाक वितरित करने से क्या कुम्हार का परम्परागत रोजगार बचाया जा सकता है? आज जरूरत है छोटे और मंझोले उद्योगों को आर्थिक पैकेज देकर उन्हें पुनः पुर्नजीवित करने का कार्य किया जाए, न कि ऐसे आयोजनों पर पैसे की बर्बादी की जाए.
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने पूछे सरकार से सवाल
उन्होंने कहा कि योगी सरकार को इन्वेस्टर्स समिट सहित पूर्व में हुए तीन यूपी महोत्सव की उपलब्धियों का लेखा-जोखा प्रदेश की जनता के सामने रखना चाहिए. करोड़ों रूपये व्यय करके आयोजित किये गये उन आयोजनों से क्या हासिल हुआ? प्रदेश में कितने नये उद्योग लगे? कितने बीमार उद्योगों को पुर्नजीवित किया गया? किन लोगों को रेाजगार उपलब्ध कराया गया? ऐसे कुछ सवाल हैं जिनका जवाब प्रदेश की जनता मुख्यमंत्री से जानना चाहती है.
UP महोत्सव के नाम पर दिखाया जा रहा म्यूजिकल फाउन्टेन संग वाटर स्क्रीन का झुनझुना: लल्लू
उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू शुक्रवार को प्रदेश की योगी सरकार पर हमलावर दिखे. योगी सरकार पर तंज कसते हुए लल्लू ने कहा कि यूपी का विकास, अपराध की रोकथाम आज ऐप, पीआर और सतही कार्रवाई तक सिमट कर रह गया है. उन्होंने कहा कि यूपी महोत्सव जैसे कार्यक्रम में करोड़ों रुपए व्यय करके एक आभासी विकास का माहौल तय किये जाने के प्रयासों की कांग्रेस निंदा करती है.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने यूपी महोत्सव को लेकर बयान जारी कर प्रदेश की योगी सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा, बेरोजगारी, वित्तीय घाटे, छोटे एवं मझोले उद्योगों के उद्यमियों और चिकन, बुनकर और आगरा के जूता उद्योग सहित तमाम छोटे-मंझोले उद्यमी आज मरणासन्न स्थिति में पहुंच गये हैं. अन्नदाता किसान अपनी एमएसपी के लिए दिल्ली की सरहदों पर आन्दोलनरत हैं और अपनी जान गंवा रहे हैं. प्रदेश में अपराधी और पुलिस कानून व्यवस्था को खुली चुनौती दे रहे हैं. पूरे प्रदेश में अराजकता है. यूपी का विकास करने और अपराध को रोकने के लिए धरातल पर कार्रवाई करने के बजाए सरकार ऐप, पीआर और औपचारिक कार्रवाई करके अपनी जवाबदेही से बचने का प्रयास कर रही है. ऐसे समय एक असफल मुख्यमंत्री की ब्रान्डिंग के लिए यूपी महोत्सव जैसे कार्यक्रम में करोड़ों रुपये व्यय करके एक आभासी विकास का माहौल बनाए जाने के प्रयासों की कांग्रेस निंदा करती है.
'ऐसे आयोजन से जनता को फायदा नहीं'
अजय कुमार लल्लू ने बयान जारी कर कहा कि यूपी महोत्सव अगर वास्तविक रोजगार का सृजन करता है, तो हम उसका स्वागत करते हैं. आज राजधानी की सड़कें बेरोजगारों, भर्तियों में हुए घोटालों के पीड़ित नौजवानों से पटी पड़ी हैं. बेरोजगारी और वित्तीय घाटे से जूझ रहे प्रदेश में ऐसे आयोजनों पर करोड़ों रुपये व्यय करना योगी सरकार की असंवेदनशीलता का परिचायक है.
'अपनी असफलता छिपा रहे हैं योगी'
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री अपनी असफलताओं को छिपाने के लिए विकास का आभासी माहौल बना रहे हैं. यह पहली बार नहीं है, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने से लेकर आज तक विभिन्न आयोजन इस तरह के प्रदेश सरकार कर चुकी है, जिसका नतीजा सिर्फ और सिर्फ सिफर रहा है. प्रदेश की त्रस्त जनता को संतृप्त करने के लिए यूपी महोत्सव के नाम पर म्यूजिकल फाउन्टेन संग वाटर स्क्रीन का झुनझुना दिखाया जा रहा है. पूरे प्रदेश में छोटे-मंझोले उद्योगपति खुदकुशी करने की कगार पर हैं. राजधानी के चिकन उद्योग के कारीगर और उद्यमी कर्ज में डूबे हुए हैं. प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में बुनकर रिक्शा चलाकर अपना जीवन यापन करने को मजबूर हैं, लेकिन सरकार के पास इन उद्योगों को बचाने के लिए कोई स्पष्ट ब्लूप्रिन्ट नहीं है. उन्होंने सरकार से सवाल करते हुए कहा कि कुम्हारों को चाक वितरित करने से क्या कुम्हार का परम्परागत रोजगार बचाया जा सकता है? आज जरूरत है छोटे और मंझोले उद्योगों को आर्थिक पैकेज देकर उन्हें पुनः पुर्नजीवित करने का कार्य किया जाए, न कि ऐसे आयोजनों पर पैसे की बर्बादी की जाए.
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने पूछे सरकार से सवाल
उन्होंने कहा कि योगी सरकार को इन्वेस्टर्स समिट सहित पूर्व में हुए तीन यूपी महोत्सव की उपलब्धियों का लेखा-जोखा प्रदेश की जनता के सामने रखना चाहिए. करोड़ों रूपये व्यय करके आयोजित किये गये उन आयोजनों से क्या हासिल हुआ? प्रदेश में कितने नये उद्योग लगे? कितने बीमार उद्योगों को पुर्नजीवित किया गया? किन लोगों को रेाजगार उपलब्ध कराया गया? ऐसे कुछ सवाल हैं जिनका जवाब प्रदेश की जनता मुख्यमंत्री से जानना चाहती है.