लखनऊ : उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता कल्याण सिंह के निधन पर विभिन्न पार्टियों ने संवेदनाएं प्रकट कीं. उन्हें श्रद्धांजलि देने विभिन्न पार्टियों के नेता भी पहुंचे. लेकिन समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव और मुखिया अखिलेश यादव ने कल्याण के लिए संवेदनाएं प्रकट न करने में ही पार्टी का भला समझा. इसके पीछे मुस्लिम वोट बैंक को वजह माना जा रहा है. समाजवादी पार्टी से मुस्लिम वोट बैंक विधानसभा चुनाव में खिसक न जाए, इसीलिए अखिलेश यादव ने श्रद्धांजलि न देना ही उचित समझा.
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कल्याण को श्रद्धांजलि नहीं दी, तो इसे लेकर भारतीय जनता पार्टी के नेता लगातार अखिलेश यादव पर हमला कर कह रहे हैं कि मुस्लिम वोट बैंक की वजह से अखिलेश ने कल्याण को श्रद्धांजलि नहीं दी. पिछड़ों के इतने बड़े नेता को अखिलेश की तरफ से श्रद्धांजलि न देना, पिछड़ों का अपमान है. उत्तर प्रदेश सरकार के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के साथ ही प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने ट्वीट कर कल्याण सिंह को श्रद्धांजलि न देने पर अखिलेश यादव को आड़े हाथों लिया. दरअसल, कल्याण सिंह को श्रद्धांजलि न देकर अखिलेश यादव ने यूपी विधानसभा चुनाव से पहले एक दांव खेला है. दांव यह है कि इससे मुस्लिम वर्ग में एक बड़ा संदेश जाएगा कि अयोध्या मामले में कल्याण सिंह को मुस्लिम जिम्मेदार मानते हैं और अखिलेश यादव मुस्लिमों के साथ खड़े हैं. इससे भविष्य में समाजवादी पार्टी को मुस्लिम वर्ग का पूरा वोट मिलने की उम्मीद है.
अखिलेश ने ट्वीट से काम चलाया, नेताजी ने दो शब्द भी न बोले
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने तो कम से कम 21 अगस्त को ट्वीट करके कल्याण सिंह को श्रद्धांजलि दी भी, उनके पिता और पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने न कल्याण सिंह के निधन पर दो शब्द ही लिखे और न ही दो फूल चढ़ाने ही कल्याण सिंह के पार्थिव शरीर पर पहुंचे. यह भी चर्चा है कि कल्याण और मुलायम की एक समय इतनी गहरी दोस्ती थी कि कोई सोच भी नहीं सकता था कि मुलायम सिंह, कल्याण सिंह के निधन पर श्रद्धांजलि देने तक नहीं आएंगे. राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि मुलायम सिंह और अखिलेश यादव ने मुस्लिम वोटरों को साधने के लिए यह कदम उठाया. याद किया जाए तो 2002-2003 का वह दौर जब कल्याण सिंह के भारतीय जनता पार्टी से रिश्ते सही नहीं रहे थे और उन्होंने बीजेपी से अलग अपनी राष्ट्रीय क्रांति पार्टी बना ली थी. उस वक्त उन्होंने मुलायम सिंह यादव से हाथ मिलाया और यह बात भी कई बार कल्याण सिंह ने दोहराई थी कि यह दोस्ती बीजेपी को खत्म करने के लिए है, लेकिन कल्याण सिंह ने समाजवादी पार्टी ज्वाइन नहीं की थी. वह अपनी राष्ट्रीय क्रांति पार्टी में ही रहे थे.
बाबरी विध्वंस से मुलायम मुस्लिमों के पक्षधर तो कल्याण को मिली हिंदू सम्राट की उपाधि
अयोध्या में बाबरी विध्वंस के समय मुलायम सिंह यादव मुल्ला मुलायम के नाम से चर्चित हो गए और मुसलमानों के सच्चे हिमायती बनकर सामने आए, जबकि उसी मुद्दे से कल्याण सिंह हिंदुओं के बड़े नेता के रूप में उभरे. उन्हें हिंदू हृदय सम्राट की उपाधि मिल गई. इसलिए भी शायद मुलायम सिंह कल्याण सिंह को श्रद्धांजलि देने से बचे.
मुलायम ने कल्याण से हाथ मिलाने को माना था बड़ी भूल
कल्याण सिंह की गिनती राजनीति के महारथियों में होती थी. 2009 लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने समाजवादी पार्टी से हाथ मिलाया था. एक समय था जब मुलायम सिंह यादव कल्याण सिंह के लिए चुनावी रैलियों को संबोधित करते थे. मुलायम सिंह से हाथ मिलाने के बाद में उन्हें पछतावा भी हुआ था. उन्होंने यहां तक कह दिया था कि कल्याण सिंह से हाथ मिलाना मेरी सबसे बड़ी गलती थी, उन्होंने एक बड़ी भूल माना था.
यूपी में हैं 19 फीसदी मुस्लिम वोटर्स
उत्तर प्रदेश में अगर मुस्लिम वोट बैंक की बात की जाए तो लगभग 19 फीसदी मुस्लिम वोटर्स हैं. माना जाता है कि मुस्लिम समाजवादी पार्टी को ही पसंद करते हैं. वोटों का कुछ हिस्सा कांग्रेस पार्टी और बहुजन समाज पार्टी को मिलता है. लेकिन एक खास बात यह भी है कि मुस्लिमों को जो पार्टी जीतती हुई नजर आती है वह उसी की तरफ झुक जाते हैं. लिहाजा, उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी ही भारतीय जनता पार्टी को टक्कर देती नजर आ रही है, ऐसे में अखिलेश को यह मालूम है कि अगर कल्याण को श्रद्धांजलि देने पहुंचेंगे तो मुस्लिम वर्ग रूठ सकता है. उनकी राजनीति चौपट हो सकती है, इसलिए उन्होंने कल्याण को श्रद्धांजलि न देने में ही अपना नफा समझा.
क्या कहते हैं भाजपा नेता
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता आनंद दुबे का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी के सबसे बड़े नेता कल्याण सिंह को अपने आवास या कार्यालय से एक किलोमीटर की दूरी पर भी अखिलेश यादव श्रद्धांजलि देने नहीं आ पाए. इससे समाजवादी पार्टी के कृतित्व का पता लगता है. दरअसल, एक खास वोट बैंक अखिलेश से छिटक न जाए इसलिए उन्होंने कल्याण सिंह को श्रद्धांजलि देना भी उचित नहीं समझा.
क्या कहते हैं समाजवादी पार्टी के नेता
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अनुराग भदौरिया का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी भी कमाल की पार्टी है. इसी भारतीय जनता पार्टी ने अध्यक्ष कल्याण सिंह को हाशिए पर लाकर खड़ा कर दिया था और पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था. समाजवादी पार्टी ने उनका साथ दिया था. उनका सम्मान समाज में वापस दिलवाया था. आज वह हमारे बीच नहीं हैं तब भारतीय जनता पार्टी उनका मार्केटिंग इवेंट कर रही है. हम समाजवादी लोग दिल के साथ जुड़ते हैं, भावनाओं के साथ जुड़ते हैं, लेकिन हम भावनाओं के ऊपर वोट की राजनीति नहीं करते हैं.