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PF घोटाले में फर्जी निकले IAS संजय अग्रवाल के सिग्नेचर, CBI को पूछताछ की अनुमति नहीं

यूपीपीसीएल में हुए 22 अरब रुपये के पीएफ घोटाले में आईएएस संजय अग्रवाल के हस्ताक्षर फर्जी निकले हैं. फोरेंसिक जांच में इसकी पुष्टि होने के बाद शासन ने कॉरपोरेशन में तैनात तत्कालीन चेयरमैन संजय अग्रवाल, आलोक कुमार और तत्कालीन एमडी अपर्णा यू के खिलाफ पूछताछ की मंजूरी नहीं दी.

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Published : Apr 30, 2022, 9:07 AM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश पॉवर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) में हुए 22 अरब रुपये के पीएफ घोटाले में आईएएस संजय अग्रवाल के हस्ताक्षर फर्जी निकले हैं. फोरेंसिक जांच में इसकी पुष्टि होने के बाद शासन ने कॉरपोरेशन में तैनात तत्कालीन चेयरमैन संजय अग्रवाल, आलोक कुमार और तत्कालीन एमडी अपर्णा यू के खिलाफ पूछताछ की मंजूरी नहीं दी है. सीबीआई ने कुछ समय पहले इन तीनों से पूछताछ की अनुमति मांगी थी.

गौर हो कि यह पीएफ घोटाला 2019 में सामने आया था. वहीं, पहले इसकी जांच ईओडब्ल्यू ने की और इसके बाद मामले को सीबीआई को सौंप दिया गया था. शासन के उच्चपदस्थ सूत्रों के अनुसार नियुक्ति व कार्मिक विभाग ने जब तथ्यों की पड़ताल की तो सामने आया कि जिस बोर्ड बैठक में अधिक रिटर्न देने वाली कंपनियों में निवेश का फैसला किया गया था, उसके कार्यवृत्त पर तत्कालीन चेयरमैन संजय अग्रवाल के हस्ताक्षर फर्जी थे.

इसे भी पढ़ें - BHU छात्रों ने रोजा इफ्तार के विरोध में कराया मुंडन, गंगाजल से कुलपति आवास का किया शुद्धिकरण

वहीं, उनके बाद चेयरमैन बने आलोक कुमार के इससे संबंधित एक कागज पर हस्ताक्षर जरूर मिले, लेकिन उन्होंने यह हस्ताक्षर पूर्ववर्ती चेयरमैन के हस्ताक्षर देखकर कर किए थे. जिसे गुड फेथ में किया गया हस्ताक्षर माना गया. इधर, अपर्णा यू के हस्ताक्षर इस मामले से संबंधित एक बैलेंस शीट पर मिले. शासन का मानना है कि बैलेंस शीट से यह पता नहीं चलता कि राशि कहां निवेश की गई है. इसलिए उनका भी कोई दोष नहीं बनता है. वर्तमान में 1984 बैच के आईएएस अधिकारी संजय अग्रवाल और 1988 बैच के अधिकारी आलोक कुमार केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर हैं. अपर्णा यू सचिव, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के पद पर तैनात हैं.

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश पॉवर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) में हुए 22 अरब रुपये के पीएफ घोटाले में आईएएस संजय अग्रवाल के हस्ताक्षर फर्जी निकले हैं. फोरेंसिक जांच में इसकी पुष्टि होने के बाद शासन ने कॉरपोरेशन में तैनात तत्कालीन चेयरमैन संजय अग्रवाल, आलोक कुमार और तत्कालीन एमडी अपर्णा यू के खिलाफ पूछताछ की मंजूरी नहीं दी है. सीबीआई ने कुछ समय पहले इन तीनों से पूछताछ की अनुमति मांगी थी.

गौर हो कि यह पीएफ घोटाला 2019 में सामने आया था. वहीं, पहले इसकी जांच ईओडब्ल्यू ने की और इसके बाद मामले को सीबीआई को सौंप दिया गया था. शासन के उच्चपदस्थ सूत्रों के अनुसार नियुक्ति व कार्मिक विभाग ने जब तथ्यों की पड़ताल की तो सामने आया कि जिस बोर्ड बैठक में अधिक रिटर्न देने वाली कंपनियों में निवेश का फैसला किया गया था, उसके कार्यवृत्त पर तत्कालीन चेयरमैन संजय अग्रवाल के हस्ताक्षर फर्जी थे.

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वहीं, उनके बाद चेयरमैन बने आलोक कुमार के इससे संबंधित एक कागज पर हस्ताक्षर जरूर मिले, लेकिन उन्होंने यह हस्ताक्षर पूर्ववर्ती चेयरमैन के हस्ताक्षर देखकर कर किए थे. जिसे गुड फेथ में किया गया हस्ताक्षर माना गया. इधर, अपर्णा यू के हस्ताक्षर इस मामले से संबंधित एक बैलेंस शीट पर मिले. शासन का मानना है कि बैलेंस शीट से यह पता नहीं चलता कि राशि कहां निवेश की गई है. इसलिए उनका भी कोई दोष नहीं बनता है. वर्तमान में 1984 बैच के आईएएस अधिकारी संजय अग्रवाल और 1988 बैच के अधिकारी आलोक कुमार केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर हैं. अपर्णा यू सचिव, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के पद पर तैनात हैं.

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