लखनऊ: कांवड़ यात्रा को लेकर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा यूपी, उत्तराखंड और हरियाणा के मुख्यमंत्री चर्चा करेंगे. यात्रा के आयोजन पर बन रहे संशय को लेकर मंथन किया जाएगा. शाम 7 बजे होने वाली इस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में यात्रा के आयोजन को लेकर फैसला होगा.
मौजूदा दौर में कांवड़ यात्रा के आयोजन की संभावनाओं को लेकर तीन राज्यों के मुख्यमंत्री मंथन करेंगे. वहीं कई जिलों की कांवड़ समितियों ने कोविड-19 के चलते यात्रा स्थगित करने पर सहमति जताई है.
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर शनिवार की शाम 7 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कांवड़ यात्रा को लेकर निर्णय लेंगे. कांवड़ यात्रा स्थगित होने की स्थिति में अन्य विकल्पों पर भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान चर्चा हो सकती है.
उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में कांवड़ यात्रा निकाली जाती है. कांवड़ यात्रा के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करा पाना पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती हो सकती है. इसे लेकर तीनों राज्य के मुख्यमंत्री वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर चर्चा करेंगे. कांवड़ यात्रा में शामिल होने के लिए उत्तर प्रदेश के पड़ोसी राज्यों के लोग भी प्रदेश में आते हैं, जिसे देखते हुए तीनों राज्य के मुख्यमंत्री एक साथ मंथन करेंगे.
कांवड़ यात्रा का इतिहास
श्रावण मास में शिव भक्त कांवड़ लेकर गंगाजल लेने जाते हैं और फिर उस जल से भोलेनाथ का जलाभिषेक करते हैं. ऐसे में आपके सामने जब भी कोई कांवड़ यात्रा का जिक्र करता होगा तो आपके जेहन में एक ही सवाल उठता होगा कि कांवड़ यात्रा आखिर शुरू किसने की ?
भगवान परशुराम भगवान शिव के परम भक्त थे. मान्यता है कि वे सबसे पहले कांवड़ लेकर बागपत जिले के पास पुरा महादेव गए थे. उन्होंने गढ़मुक्तेश्वर से गंगा का जल लेकर भोलेनाथ का जलाभिषेक किया था. उस समय श्रावण मास चल रहा था. तब से इस परंपरा को निभाते हुए भक्त श्रावण मास में कांवड़ यात्रा निकालने लगे.
कई प्रकार की होती है कांवड़
शुरुआत में कांवड़ यात्रा पैदल ही निकाली जाती थी, लेकिन समय के साथ इसके तमाम प्रकार और नियम कायदे सामने आ गए हैं.
- खड़ी कांवड़
- झांकी वाली कांवड़
- डाक कांवड़
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