लखनऊ: योगी सरकार (Yogi Government) ने नई ट्रांसफर नीति (transfer policy) के मुताबिक समूह 'क', 'ख' , 'ग' व 'घ' वर्ग के अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए 15 जुलाई से पोर्टल खोलने का आदेश जारी किया. आदेश के बाद सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों के स्थानांतरण का रास्ता साफ हो गया था. शासनादेश के अनुसार 15 जुलाई तक तबादले होने हैं, लेकिन तबादला नीति संबंधी शासनादेश पर लेखपालों (Lekhpal) को एतबार नहीं है. क्योंकि, जमीन के मामलों का निस्तारण कराने वाले लेखपाल ट्रांसफर के लिए लंबे समय से भटक रहे हैं.
लखनऊ में करीब 228 लेखपाल तैनात हैं. जानकारी के अनुसार, राजस्व परिषद (Revenue Council) की वेबसाइट पर लेखपालों के स्थानांतरण के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा, लेकिन नियत समय बीत जाने के बावजूद आवेदन पोर्टल (Application Portal) ओपन नहीं किया गया. लिहाजा, ट्रांसफर प्रक्रिया के लिए संबंधित लेखपाल आवेदन नहीं कर सकते. लेखपाल संघ (लखनऊ) के जिलाध्यक्ष सुशील कुमार शुक्ला ने बताया कि लेखपालों के साथ दोहरा मापदंड किया जा रहा है. शासन की पहली कड़ी होने के बावजूद लेखपाल भेदभाव का शिकार हैं.
15 जुलाई तक होने हैं ट्रांसफर
लखनऊ लेखपाल संघ के जिलाध्यक्ष सुशील कुमार शुक्ला ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) के आदेश अनुसार सभी विभागों में 15 जुलाई तक ट्रांसफर होने तय हैं. लेकिन, लेखपालों के ट्रांसफर के खातिर अभी तक पोर्टल नहीं खोला गया है. ऐसे में ऑनलाइन आवेदन कैसे किया जा सकता है?. कई लेखपाल अन्य दूर के जनपदों में तैनात हैं. वे चाहते हैं कि उनके जनपद में तैनाती मिल जाए. यदि ये संभव न हो तो कम से कम मंडल में ही स्थानांतरण कर दिया जाए. ताकि, वो घर से नजदीक रहकर काम कर सकें.
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'लेखपालों के साथ अपनाई जाती है दो तरफा नीति'
सुशील कुमार शुक्ला का आरोप है कि सरकार ने तो आदेश दे दिए हैं, लेकिन राजस्व विभाग के बोर्ड ऑफ चेयरमैन लेखपालों के साथ दो तरफा नीति अपनाते हैं. लेखपालों को न तो प्रमोशन मिलता है और न ही समय से ट्रांसफर है. सरकार और बोर्ड लेखपालों के साथ उदारवाद नहीं है. कहा, लेखपाल शासन की पहली कड़ी हैं जो शासन की हर व्यवस्था को गांव-गांव तक पहुंचाता है, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के कारण उनके साथ विश्वासघात हो रहा है. इस मसले पर राजस्व परिषद के चेयरमैन मुकुल सिंघल ने कहा कि उन्हें इस मामले की कोई जानकारी नहीं है.
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इस वजह से लाई गई तबादला नीति
दरअसल, पारिवारिक समस्या, बीमारी या अन्य वाजिब कारण से जो कार्मिक तबादला चाहते थे, उनका तबादला नहीं हो पा रहा था. विभागों के स्तर पर समस्याओं का सामना कर रहे कार्मिकों के तबादलों की अर्जियां बढ़ती जा रही थीं. स्थानान्तरण सत्र 2021-22 के लिए सामान्य स्थानान्तरण अवधि 31 मई, 2021 भी बीत गई थी, लेकिन सरकार ने तबादला नीति पर निर्णय नहीं किया था. दूसरा, चुनावी वर्ष की वजह से भी तबादलों पर लगी रोक हटाने का दबाव था. लिहाजा, शासन ने तबादले पर रोक हटाते हुए नीति के अनुसार स्थानान्तरण का आदेश जारी कर दिया है.