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आजीवन मान्य रहेगा टीईटी प्रमाणपत्र, आदेश जारी

जिन लोगों ने यूपी में टीईटी की परीक्षा पास कर ली है, उन्हें दोबारा एग्जाम देने की जरुरत नहीं होगी. सरकार ने इस संबंध में पहले ही घोषणा की थी, सोमवार को परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने आदेश जारी कर दिया है.

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Published : Jul 12, 2021, 10:54 PM IST

आजीवन मान्य रहेगा टीईटी प्रमाणपत्र
आजीवन मान्य रहेगा टीईटी प्रमाणपत्र

प्रयागराज: परीक्षा नियामक प्राधिकारी की तरफ से यूपी में टीईटी के प्रमाण पत्र को आजीवन मान्यता देने का आदेश जारी कर दिया गया है. परीक्षा नियामक प्राधिकारी की तरफ से 12 जुलाई को ये आदेश जारी किया गया है. जिसमें लिखा है कि फरवरी 2011 के बाद से उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करने वाले सभी अभ्यर्थियों का प्रमाण पत्र अब आजीवन मान्य रहेगा. इसके लिये जून महीने में ही एनसीटीई की तरफ से दिशा निर्देश जारी किया जा चुका था.

बता दें कि टीईटी का प्रमाण पत्र शिक्षक बनने के लिये जरुरी होता है. उत्तर प्रदेश में सरकारी शिक्षक बनने के लिये टीईटी का सर्टिफिकेट होना जरुरुी है, लेकिन पहले टीईटी पास करने के बाद मिलने वाले प्रमाण पत्र की वैधता सिर्फ पांच सालों तक के लिये ही मान्य रहती थी. शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों को टीईटी परीक्षा पास करने के 5 साल के अंदर ही नौकरी हासिल करने का दबाव रहता था, जिसको लेकर अभ्यर्थियों की तरफ से इस तरह की मांग उठ रही थी कि टीईटी के प्रमाणपत्र को आजीवन मान्यता दी जाए. जिसके बाद पिछले दिनों 9 जून को एनसीटीई की तरफ से दिशा-निर्देश जारी किया गया था. जिसके यूपी सरकारी की तरफ से मंजूरी मिलने के बाद सोमवार को परीक्षा नियामक प्राधिकारी की तरफ से आदेश जारी कर दिया गया है, जिसके तहत अब एक बार टीईटी पास करने वाले अभ्यर्थी को मिलने वाला सर्टिफिकेट जीवन भर के लिए वैध रहेगा. अब शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों को शिक्षक बनने के लिये सिर्फ एक बार ही टीईटी की परीक्षा पास करनी होगी. 11 फरवरी 2011 के बाद से उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करने वाले सभी अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्र आजीवन मान्य रहेगा.

आदेश जारी
आदेश जारी

इसे भी पढ़ें- उत्तर प्रदेश में भी ताउम्र मान्य होगा टीईटी प्रमाण पत्र, जल्द फैसले की उम्मीद

उत्तर प्रदेश में प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक बनने के लिये 10 साल पहले शिक्षक पात्रता परीक्षा कराये जाने की शुरुआत हुई थी. पिछले साल कोरोना महामारी की वजह से ये परीक्षा नहीं हो सकी थी. इसके पहले 2012 में भी परीक्षा नहीं हुई थी. दस सालों के इस सफर में 20 लाख से अधिक अभ्यर्थी इस परीक्षा में शामिल हो चुके हैं, लेकिन इसमें से लाखों लोग नौकरी न मिल पाने की वजह से पुनः इस परीक्षा में शामिल हो रहे थे. वहीं सरकार के इस फैसले के बाद अब लाखों अभ्यर्थियों को इस परीक्षा में शामिल होने की जरुरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि फरवरी 2011 के बाद से सफल हुए सभी अभ्यर्थियों को 5 साल की अवधि पूरी होने के बाद दोबारा परीक्षा में शामिल होने की जरुरत नहीं है. उनका पुराना प्रमाण पत्र अब आजीवन मान्य रहेगा. सरकार के इस फैसले से लाखों अभ्यर्थियों को दोबारा परीक्षा में शामिल होने की चिंता से मुक्ति मिल गयी है. सोमवार को सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी संजय उपाध्याय की तरफ से ये आदेश जारी किया गया है. जिसे उनकी तरफ से सचिव बेसिक शिक्षा परिषद के साथ ही उप शिक्षा निदेशकों और जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों के अलावा बेसिक शिक्षा अधिकारियों के यहां भी भेजा जा चुका है.

प्रयागराज: परीक्षा नियामक प्राधिकारी की तरफ से यूपी में टीईटी के प्रमाण पत्र को आजीवन मान्यता देने का आदेश जारी कर दिया गया है. परीक्षा नियामक प्राधिकारी की तरफ से 12 जुलाई को ये आदेश जारी किया गया है. जिसमें लिखा है कि फरवरी 2011 के बाद से उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करने वाले सभी अभ्यर्थियों का प्रमाण पत्र अब आजीवन मान्य रहेगा. इसके लिये जून महीने में ही एनसीटीई की तरफ से दिशा निर्देश जारी किया जा चुका था.

बता दें कि टीईटी का प्रमाण पत्र शिक्षक बनने के लिये जरुरी होता है. उत्तर प्रदेश में सरकारी शिक्षक बनने के लिये टीईटी का सर्टिफिकेट होना जरुरुी है, लेकिन पहले टीईटी पास करने के बाद मिलने वाले प्रमाण पत्र की वैधता सिर्फ पांच सालों तक के लिये ही मान्य रहती थी. शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों को टीईटी परीक्षा पास करने के 5 साल के अंदर ही नौकरी हासिल करने का दबाव रहता था, जिसको लेकर अभ्यर्थियों की तरफ से इस तरह की मांग उठ रही थी कि टीईटी के प्रमाणपत्र को आजीवन मान्यता दी जाए. जिसके बाद पिछले दिनों 9 जून को एनसीटीई की तरफ से दिशा-निर्देश जारी किया गया था. जिसके यूपी सरकारी की तरफ से मंजूरी मिलने के बाद सोमवार को परीक्षा नियामक प्राधिकारी की तरफ से आदेश जारी कर दिया गया है, जिसके तहत अब एक बार टीईटी पास करने वाले अभ्यर्थी को मिलने वाला सर्टिफिकेट जीवन भर के लिए वैध रहेगा. अब शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों को शिक्षक बनने के लिये सिर्फ एक बार ही टीईटी की परीक्षा पास करनी होगी. 11 फरवरी 2011 के बाद से उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करने वाले सभी अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्र आजीवन मान्य रहेगा.

आदेश जारी
आदेश जारी

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उत्तर प्रदेश में प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक बनने के लिये 10 साल पहले शिक्षक पात्रता परीक्षा कराये जाने की शुरुआत हुई थी. पिछले साल कोरोना महामारी की वजह से ये परीक्षा नहीं हो सकी थी. इसके पहले 2012 में भी परीक्षा नहीं हुई थी. दस सालों के इस सफर में 20 लाख से अधिक अभ्यर्थी इस परीक्षा में शामिल हो चुके हैं, लेकिन इसमें से लाखों लोग नौकरी न मिल पाने की वजह से पुनः इस परीक्षा में शामिल हो रहे थे. वहीं सरकार के इस फैसले के बाद अब लाखों अभ्यर्थियों को इस परीक्षा में शामिल होने की जरुरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि फरवरी 2011 के बाद से सफल हुए सभी अभ्यर्थियों को 5 साल की अवधि पूरी होने के बाद दोबारा परीक्षा में शामिल होने की जरुरत नहीं है. उनका पुराना प्रमाण पत्र अब आजीवन मान्य रहेगा. सरकार के इस फैसले से लाखों अभ्यर्थियों को दोबारा परीक्षा में शामिल होने की चिंता से मुक्ति मिल गयी है. सोमवार को सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी संजय उपाध्याय की तरफ से ये आदेश जारी किया गया है. जिसे उनकी तरफ से सचिव बेसिक शिक्षा परिषद के साथ ही उप शिक्षा निदेशकों और जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों के अलावा बेसिक शिक्षा अधिकारियों के यहां भी भेजा जा चुका है.

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