लखनऊ: प्रदेश में बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच जीवन रक्षक दवाओं की कालाबाजारी और जमाखोरी भी शुरू हो गई है, निजी अस्पताल मरीजों से मनमानी फीस वसूल रहे हैं. ऐसे में यूपी एसटीएफ जीवन रक्षक दवाओं की कालाबाजारी और जमाखोरी को रोकेगी. एसटीएफ के एडीजी अमिताभ यश ने ये निर्देश दिए हैं.
3500 रुपये की रेमडेसिविर के लिए लोग चुका रहे 7 हजार
एडीजी एसटीएफ अमिताभ यश ने बताया कि जिनके पास पहले से जीवन रक्षक दवाएं थी, उन्होंने मांग बढ़ने पर कालाबाजारी शुरू कर दी है. वहीं, ड्रग्स माफिया भी सक्रिय हो गए हैं. वे दूसरे राज्यों से दवाइयों की कालाबाजारी करने लगे हैं. नतीजतन, 3500 रुपये एमआरपी पर मिलने वाला रेमडेसिविर इंजेक्शन कानपुर में सात-सात हजार में बिक रहा था. मिलिट्री इंटेलिजेंस के इनपुट पर कानपुर में रेमडेसिविर के 265 इंजेक्शन जब्त किए गए थे.
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महाराष्ट्र में 60 से 70 हजार रुपये तक बिक रहा रेमडेसिविर इंजेक्शन
एडीजी ने बताया कि रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए महाराष्ट्र में लोग 60 से 70 हजार रुपये तक देने को तैयार हैं. इसको देखते हुए लोग यूपी में भी कालाबाजारी करने की कोशिश कर रहे हैं. एसटीएफ इन पर लगातार निगाह रखे है. इस काम में जो भी लिप्त पाया जाएगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
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कालाबाजारी करने वालों पर लगाएं NSA : सीएम
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को कोविड-19 प्रबंधन को लेकर वरिष्ठ अफसरों के साथ वर्चुअल समीक्षा बैठक में रेमडेसिविर जैसी जीवनरक्षक दवाओं की कालाबाजारी में लिप्त व्यक्तियों के खिलाफ गैंगस्टर और रासुका के तहत कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे. उन्होंने कहा था कि रेमडेसिविर जैसी जीवनरक्षक दवाओं की कालाबाजारी बड़ा अपराध है.